For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तान्या : दो प्रेम कविताएँ

एक

चाँद झाँका

बादलों की ओट से ,

चाँदनी चुपके से आ

खिड़की के रस्ते,

बिछ गई बिस्तर पे मेरे/ 

और 

हवा  का एक झोंका,

सोंधी सी खुश्बू लिए

छू कर गया गालों को मेरे /

यूँ लगा मुझको कि

तुम सोई हो मेरे पास ,

मेरी बाहों के घेरे में /

लेकर होठों पर

एक इंद्रधनुषी मुस्कुराहट

तृप्त |

दो

सपने, तान्या

एक दम छोटे से बच्चे 

जैसे होते हैं/

अपने मे खोए से / 

जाने क्या सोचते रहते हैं/

फिर हौले से मुस्कुरा देते हैं/

फिर कुछ गुनगुनाने लगते हैं/

फिर गाने लगते हैं/

फिर नाचने लगते हैं/

फिर चकित हो जाते हैं/

फिर खामोश हो जाते हैं/

फिर उदास हो जाते हैं/

फिर सुबकने लगते हैं/

फिर दर्द की भाप मे बदल जाते हैं/

ओर दिल से उठ कर 

आँखों की कोरों पर आ के 

बैठ जाते हैं/

ओर खोई खोई आँखों से 

अपनी तान्या को खोजने लगते हैं/

फिर उन्ही गालों पर

बहने लगते हैं

जिन्हे तुम ने  चूमा था/

भीगे भीगे इस मौसम मे/

ऐसा ही एक सपना 

मेरे दिल से उठ कर /

मेरी आँखों की कोरों पर 

आ बैठा है/

ओर  खोज रहा है  तुम्हे |

 

 मौलिक एवं अप्रकाशित

                               अरविंद भटनागर ' शेखर'

 

 

Views: 851

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2013 at 3:15am

वाह भाई वाह.. . शुद्ध सात्विक समृद्ध सनातन भाव-दशा की सुन्दर अभिव्यक्ति !

बहुत बहुत बधाई हो .. .

Comment by MAHIMA SHREE on August 30, 2013 at 10:13pm

सुंदर .. विरह के क्षणों को कोमल एहसासों से पिरोती सपनो की रंगबिरंगी दुनिया दिखलाती ..बहुत खूब .. बधाई आपको

Comment by राजेश 'मृदु' on August 30, 2013 at 3:17pm

नर्म अहसासों वाली बड़ी सुंदर कविता रची है आपने, सादर

Comment by vijay nikore on August 30, 2013 at 8:35am

सुन्दर भावाभिव्यक्ति .... बधाई।

सादर,

विजय निकोर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 29, 2013 at 9:25pm

आ0 अरविन्द भाई जी, अतिसुन्दर सरस रचना। हृदयतल से हार्दिक बधाई। सादर,

Comment by बृजेश नीरज on August 29, 2013 at 7:55pm

अच्छा है! हार्दिक बधाई आपको!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 29, 2013 at 1:21pm

अरविंद भाई , अति सुदर , वाह !!

ऐसा ही एक सपना 

मेरे दिल से उठ कर /

मेरी आँखों की कोरों पर 

आ बैठा है/

ओर  खोज रहा है  तुम्हे |   बहुत अच्छे !! बधाई !!

 

 

Comment by ARVIND BHATNAGAR on August 29, 2013 at 1:07pm
Adarniya Abhinav Arun ji jitendra ji.Raj Navadavi ji Shyam Narain Varma ji evam Rajesh Kumari ki
Aap sabhi ko haardik dhanyavaad. OBO parivaar ne jis tarah baahen faila ke mera swagat kiya hai, mai abhiboot hun. ..........
Comment by Shyam Narain Verma on August 29, 2013 at 12:54pm

बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें................


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 29, 2013 at 8:55am

दोनों ही कवितायेँ बहुत अच्छी लगी बधाई आपको बेहतरीन भावाभिव्यक्ति 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
9 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service