For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ARVIND BHATNAGAR
  • Male
  • Varanasi, Uttar Pradesh
  • India
Share on Facebook MySpace

ARVIND BHATNAGAR's Friends

  • Anil Chauhan '' Veer"
  • अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव
  • Priyanka singh
  • Abhinav Arun
 

ARVIND BHATNAGAR's Page

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on ARVIND BHATNAGAR's blog post वो एक नींद ही तो थी
"आ. अरविंद जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।"
Feb 11, 2020
ARVIND BHATNAGAR commented on ARVIND BHATNAGAR's blog post वो एक नींद ही तो थी
"धन्यवाद , महोदय"
Feb 10, 2020
Samar kabeer commented on ARVIND BHATNAGAR's blog post वो एक नींद ही तो थी
"जनाब अरविन्द भटनागर जी आदाब, अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति  पर बधाई स्वीकार करें ।"
Feb 8, 2020
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on ARVIND BHATNAGAR's blog post वो एक नींद ही तो थी
"आदरणीय अरविंद भटनागर जी बहुत सुंदर। हार्दिक बधाई"
Feb 3, 2020
ARVIND BHATNAGAR posted a blog post

वो एक नींद ही तो थी

वो एक नींद ही तो थी कि जिसमे मै जाग रहा था / सपने तितलियों से कोमल हथेलिओं की कोटर में छुपा कर चला था मैं कि बिखेर दूंगा इन रंगों को चुपचाप आसमान के कोने कोने में, और चल दूंगा अपने झोले में कुछ मुस्कुराहटें कुछ खुशियां कुछ उम्मीदें कुछ शरारतें लेकर एक खुशनुमा सफर पर एक बंजारे सा भटकता हुआ गांव - गांव शहर - शहर कि शायद मेरा होना किसी के होठों की मुस्कुराहट किसी के आँखों की उम्मीद किसी के चेहरे की शरारत बन कर आसमान के कोने कोने में फैले रंगों को और चटक और खुशनुमा कर दे…See More
Feb 3, 2020

Profile Information

Gender
Male
City State
VARANASI, UTTAR PRADESH
Native Place
VARANASI
Profession
GOVERNMENT JOB

ARVIND BHATNAGAR's Blog

वो एक नींद ही तो थी

वो एक नींद ही तो थी

कि जिसमे

मै जाग रहा था /

सपने

तितलियों से कोमल

हथेलिओं की कोटर में

छुपा कर

चला था मैं

कि

बिखेर दूंगा इन रंगों को

चुपचाप

आसमान के कोने कोने में,

और चल दूंगा

अपने झोले में

कुछ मुस्कुराहटें

कुछ खुशियां

कुछ उम्मीदें

कुछ शरारतें लेकर

एक खुशनुमा सफर पर

एक बंजारे सा भटकता हुआ

गांव - गांव

शहर - शहर

कि

शायद मेरा होना

किसी के होठों की…

Continue

Posted on February 2, 2020 at 3:30pm — 4 Comments

तान्या :फिर मिलना कभी

मैं सोचता था

कि वह खो गया है कहीं

मगर

गुनगुनी धूप से धुली

उस सुबह

एक मोड़ पर

वह अचानक मिला

मैं जानता था

कि वह रुकेगा

वह रुक गया

मैं

यह भी जानता था

कि वह

मुझसे बातेँ करेगा

और वह

मुझ से बातेँ करने लगा

और तभी मैंने चाहा कि

मैं

उन अचानक मिले

कुछ पलों में

वे सारे स्वप्न साकार कर लूं

जो मैंने संजोये थे

मगर

उसके लिए ये पल तो

सिर्फ

कुछ पल थे ,

और वह…

Continue

Posted on January 27, 2015 at 11:00pm — 8 Comments

तान्या : तुम्हे पा कर

तुम आये

मै खुश था

बहुत खुश /

मुझे घेर लेते थे

या कहो

कोशिश करते थे

घेर लेने की /

कुछ अहसास

उल्लास ,दर्प , ईर्ष्या ,द्धेष

सम्मान / कुछ मखमली से

कुछ अनजाने से भी

और मैं उड़ता था / परी कथाओं के

नायक की तरह

पंखों वाले सफ़ेद घोड़े पर

खुशगवार मौसम में

चमकीली धूप में

नीले आसमान में /

सर-सर चलती हवाएं से आगे

और आगे ।

और फिर

जैसा कि सुनता आया था सबसे/

कि ऐसा ही होता है /…

Continue

Posted on May 3, 2014 at 8:00am — 11 Comments

तान्या : तुम बिन

दरवाज़ा तो मैंने ही खुला छोड़ा था 

कि तुम भीतर आओगे

और बंद कर दोगे /

मगर

खुले दरवाज़े से आते रहे

सर्द हवाओं के झोंके

और ठिठुरता रहा मैं /

चेतनाशून्य होने ही वाला था कि

किसी ने

भीतर आ के

दरवाज़ा बंद कर लिया /

अधमुंदी आँखों से मैंने देखा

वो तुम नहीं थे /

मगर वो गर्मी कितनी सुखद थी /

और फिर

ना जाने कैसे

कब से

पेड़ कि फुनगी पर

बैठा चाँद

चुपके से उतर कर

मेरी आँखों में…

Continue

Posted on January 30, 2014 at 8:30pm — 14 Comments

Comment Wall (4 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 9:12am on February 5, 2014,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

आपकी सदशयता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय. यों, रचनाओं पर हुई टिप्पणियों पर धन्यवाद रचनाओं के पन्नों पर दें तो वह रचनाओं पर किसी सनद की तरह सदा उपलब्ध रहेगा.

सादर

At 3:03pm on August 22, 2013, Abhinav Arun said…

हार्दिक स्वागत और शुभकामनायें आदरणीय श्रीअरविन्द जी !!

At 5:31pm on August 19, 2013, विजय मिश्र said…
बेहद प्यारी और खूबसूरत गजल ,मिजाज उम्दा अन्दाज भी उम्दा ,काश दो-चार बंद और बढे होते तो हमारा दिल भी भरता . ढेर सारी शुभकामनाएँ शेखरजी
At 5:30pm on August 19, 2013, विजय मिश्र said…
बेहद प्यारी और खूबसूरत गजल ,मिजाज उम्दा अन्दाज भी उम्दा ,काश दो-चार बंद और बढे होते तो हमारा दिल भी भरता . ढेर सारी शुभकामनाएँ शेखरजी
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी "
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
19 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अच्छी रचना हुई है ब्रजेश भाई। बधाई। अन्य सभी की तरह मुझे भी “आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा”…"
21 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"बेहतरीन अशआर हुए हैं आदरणीय रवि जी। सभी एक से बढ़कर एक।"
21 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश नूर भाई। बहुत बधाई "
21 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आभार रक्षितासिंह जी    "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"अच्छे दोहे हुए हैं भाई लक्ष्मण धामी जी। एक ही भाव को आपने इतने रूप में प्रकट किया है जो दोहे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. रक्षिता जी, दोहों पर उपस्थिति, और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
yesterday
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"सधन्यवाद आदरणीय !"
yesterday
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"बहुत खूब आदरणीय,  "करो नहीं विश्वास पर, भूले से भी चोट।  देता है …"
yesterday
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"सधन्यवाद आदरणीय,  सत्य कहा आपने । निरंतर मनुष्य जाति की संवेदनशीलता कम होती जा रही है, आज के…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service