For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तान्या :फिर मिलना कभी

मैं सोचता था
कि वह खो गया है कहीं
मगर
गुनगुनी धूप से धुली
उस सुबह
एक मोड़ पर
वह अचानक मिला
मैं जानता था
कि वह रुकेगा
वह रुक गया
मैं
यह भी जानता था
कि वह
मुझसे बातेँ करेगा
और वह
मुझ से बातेँ करने लगा
और तभी मैंने चाहा कि
मैं
उन अचानक मिले
कुछ पलों में
वे सारे स्वप्न साकार कर लूं
जो मैंने संजोये थे
मगर
उसके लिए ये पल तो
सिर्फ
कुछ पल थे ,
और वह चला गया ,
फिर मिलने की आस दिला कर
और मैं
फिर भटकने लगा ,
हर मोड़ पर रुक कर
कुछ देर
उसका इंतज़ार करता ।


मौलिक एवं अप्रकाशित
अरविन्द भटनागर 'शेखर'

Views: 479

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ARVIND BHATNAGAR on February 2, 2015 at 1:06pm

bahut bahut dhanyawad aadarniya Shijju Shakur ji.....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 1, 2015 at 10:05am

वाह अरविंद भटनागर जी अर्से बाद आपको फिर देखकर अच्छा लगा बहुत बहुत बधाई आपको इस रचना के लिये

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 29, 2015 at 11:58am

रचना के साथ साथ प्रतिक्रियाएं पड़कर आनंद आ गया आ० अरविन्द भाई . बहुत बहुत बधाई .

Comment by somesh kumar on January 29, 2015 at 11:37am

accha hai ,pr vhi baat,yaadon ko kavy rupon me dhalon pr naam lekr uski zindgi me bhuchal mt lao


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 29, 2015 at 12:20am

हा हा हा ... क्या खूब कहा डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  सर, तान्याएं  फिर नहीं मिलती  दोस्त i जिन्दगी में यादे रह जाती हैं i ईश्वर आपको शांति दे i

भाई अरविन्द जी , आदरणीय डॉ  गोपाल सर की बात पर जरुर गौर कीजियेगा. समझिये आपको गुरुदेव का आशीर्वाद और  जीवन अनुभव  का परम ज्ञान मिल गया है. बहरहाल इस स्वानुभूति से लबरेज सुमधुर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें.

Comment by Hari Prakash Dubey on January 28, 2015 at 9:58pm

हा..हा...हा..सर यही बात मैं भी सोच रहा था , पर अरविन्द जी लगता है अभी नए हैं , पर प्रयास ठीक है 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 28, 2015 at 9:54pm

यह तान्या कौन  है भाई ?आपकी कविता  ने नहीं पर आपके दिल में यह नाम अंकित है i पर तान्याएं  फिर नहीं मिलती  दोस्त i जिन्दगी में यादे रह जाती हैं i ईश्वर आपको शांति दे i

Comment by Hari Prakash Dubey on January 28, 2015 at 8:22pm

आदरणीय अरविन्द भटनागर जी ,बढ़िया प्रयास ,सुन्दर रचना ,हार्दिक बधाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल में कुछ दोष आदरणीय अजय गुप्ता जी नें अपनी टिप्पणी में बताये। उन्हे ठीक कर ग़ज़ल पुन: पोस्ट कर…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश नूर जी, आपकी ग़ज़ल का मैं सदैव प्रशंसक रहा हूँ। यह ग़ज़ल भी प्रशंसनीय है किंतु दूसरे…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी, पोस्ट पर आने और सुझाव देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। बशर शब्द का प्रयोग…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्ते ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई। अच्छे भाव और शब्दों से सजे अशआर हैं। पर यह भी है कि…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई आपको  अच्छे मतले से ग़ज़ल की शुरुआत के लिए…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रास्ता  घर  का  दूसरा  तो  नहीं  जीना मरना अलग हुआ तो…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"2122 1212 22 दिल को पत्थर बना दिया तो नहीं  वो किसी याद का किला तो नहीं 1 कुछ नशा रात मुझपे…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल अंत आतंक का हुआ तो नहींखून बहना अभी रुका तो नहीं आग फैली गली गली लेकिन सिर फिरा कोई भी नपा तो…"
8 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार नीलेश भाई, एक शानदार ग़ज़ल के लिए बहुत बधाई। कुछ शेर बहुत हसीन और दमदार हुए…"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार जयहिंद रायपुरी जी, ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास हुआ है। //ज़ेह्न कुछ और कहता और ही दिलकोई अंदर मेरे…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ज़िन्दगी जी के कुछ मिला तो नहीं मौत आगे का रास्ता तो नहीं. . मेरे अन्दर ही वो बसा तो नहीं मैंने…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी आयोजन का उद्घाटन करने बधाई.ग़ज़ल बस हो भर पाई है. मिसरे अधपके से हैं…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service