For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जो किसी का नहीं अब वही है मेरा ....( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)

212 212 212 212

आज दिल उसके दुख से दुखी है मेरा
जो किसी का नहीं अब वही है मेरा (1)

मौत मुझको बुलाती है हर पल मगर
ज़िंदगी रास्ता रोकती है मेरा  (2)

लिख न पाऊँगा मैं आज क्या हो गया
मौत से सामना आज भी है मेरा  (3)

डगमगाते हैं जब भी क़दम ये मिरे
यार मंज़िल पता पूछती है मेरा   (4)

रख दिया है मुझे आग के सामने
जानता है बदन काग़ज़ी है मेरा  (5)

रोक सकता नहीं रथ के पहिए कोई
अब ख़ुदा जंग में सारथी है मेरा  (6)

ज़िंदगी मेरी सुनती नहीं आजकल
मौत भी कब कहा मानती है मेरा  (7)

जानता ही नहीं वो मुझे आज तक
यार 'सालिक' वही अजनबी है मेरा  (8)

* मौलिक/अप्रकाशित

Views: 776

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 17, 2020 at 8:02pm

बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है आदरणीय...

Comment by सालिक गणवीर on November 5, 2020 at 1:02pm

उस्ताद -ए -मुहतरम समर कबीर साहिब
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.आपकी क़ीमती इस्लाह पर तामील हो गई है जनाब। शुक्रिय :

Comment by Samar kabeer on November 4, 2020 at 6:49pm

जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'मौत हर दम बुलाती रही है मुझे
ज़िंदगी रास्ता रोकती है मेरा'

उचित लगे तो ऊला यूँ कर लें:-

'मौत मुझको बुलाती है हर पल मगर' 

 'मंज़िलें रास्ता पूछती है मेरा'

इस मिसरे में 'मंज़िलें' बहुवचन है इस कारण रदीफ़ 'है मेरा' की जगह "हैं मेरा" हो रही है, इस मिसरे को यूँ कह सकते हैं:-

'यार मंज़िल पता पूछती है मेरा' 

Comment by सालिक गणवीर on November 4, 2020 at 4:13pm

मुहतरमा अंजलि गुप्ता जी.
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.

उस्ताद जी से इस्लाह के बाद मतला यूँ पढ़ा जाए...

आज दिल उसके दुख से दुखी है मेरा
जो  किसी  का  नहीं अब वही है मेरा

Comment by सालिक गणवीर on November 4, 2020 at 4:08pm

आदरणीय चेतन प्रकाश जी.
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.

आपने सहीह फरमाया मुहतरम. मतला यूँ पढ़ा जाए...।

आज दिल उसके दुख से दुखी है मेरा
जो  किसी  का  नहीं अब वही है मेरा

Comment by सालिक गणवीर on November 4, 2020 at 4:04pm

आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी.
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ.

Comment by anjali gupta on November 3, 2020 at 11:44pm
  • आदरणीय सालिक गणवीर जी सातवाँ शेर ख़ास पसन्द आया। मतले का सानी अस्पष्ट लगा। अच्छी ग़ज़ल हुई। सादर 
Comment by Chetan Prakash on November 3, 2020 at 7:46pm

बह्रे मुतदारिक मुसम्मन सालिम मे कही हुई अच्छी ग़ज़ल ! बंधुवर सालिक गणवीर जी बधाई स्वीकार करें । मतला कानों को थोड़ा खटकता है, मुआफ करें, मगर मुझे लगा सानी मिसरे का प्रवाह कहीं बाधित है।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 3, 2020 at 7:38am

आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
5 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
9 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
10 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
16 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
yesterday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
yesterday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service