For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दिल्ली जलती है जलने दे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२२२/२२२२/२२२२/२२२
**

कब कहता हूँ आम आदमी मुझको अपने पैसे दे
हो सकता है तुझ से  कुछ  तो क़ुर्बानी में रिश्ते दे।१।

**
दिल्ली जलती है जलने दे मुझे सियासत करने दे
हर नेता का ये कहना  है  कुछ तो कुर्सी फलने दे।२।
**
ये  लाशों  के  ढेर  हमेशा  सीढ़ी  बन  कर  उभरे  हैं
इनको मत रो इन पर मुझको पद की खातिर चढ़ने दे।३।
**
खूब सुरक्षा मुझे 'कैट' की मुझ तक आग न आयेगी
जलकर इसमें शाम किसी की ढलती है तो ढलने दे।४।
**
कोई  गौतम  कोई  अनवर  मेरे  काम  ही आया है
देश भक्ति के नाम इन्हें भी अर्पण कुछ तो करने दे।५।
**
साँस इसी से राजनीति की सफल तरीके चलती है
विष पूरित इन पवनों  को  आजाद हमेशा बहने दे।६।
**
मौलिक.अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 770

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 4, 2020 at 7:11am

आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए आभार ।

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on March 2, 2020 at 10:11pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई, आपको इस सुंदर ग़ज़ल की रचना पर बहुत बधाई। आदरणीय उस्ताद समर कबीर साहब को ज्ञानवर्धन के लिए हार्दिक आभार।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 2, 2020 at 9:03am

आ. भाई विजय निकोर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by vijay nikore on March 1, 2020 at 8:04pm

आप गज़ल अच्छी लिखते हैं, मित्र लक्ष्मण जी। हार्दिक बधाई।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 29, 2020 at 10:13pm

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by TEJ VEER SINGH on February 29, 2020 at 8:46pm

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी।बेहतरीन गज़ल।

दिल्ली जलती है जलने दे मुझे सियासत करने दे
हर नेता का ये कहना  है  कुछ तो कुर्सी फलने दे।२।

Comment by Samar kabeer on February 29, 2020 at 11:59am

ठीक है,'कुर्वानी'' को "क़ुर्बानी" कर लें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 29, 2020 at 4:46am

आ. भाई समर जी, अब ठीक है क्या 

हो सकता है तुझ से कुछ तो कुर्वानी में रिश्ते दे।।

Comment by Samar kabeer on February 28, 2020 at 3:30pm

//
कब कहता हूँ आम आदमी मुझको अपने पैसे दे
हो सकता है तुझ से कुछ तो कुर्वानी में बच्चे दे।।
दिल्ली जलती है जलने दे मुझे सियासत करने दे
मैं हूँ नेता मेरे हित में कुछ तो कुर्सी फलने दे।।//

'बच्चे दे' की जगह कुछ और कहें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 28, 2020 at 3:12pm

आ. भाई समर जी, क्या अब ठीक है ..देखियेगा

कब कहता हूँ आम आदमी मुझको अपने पैसे दे
हो सकता है तुझ से कुछ तो कुर्वानी में बच्चे दे।।
दिल्ली जलती है जलने दे मुझे सियासत करने दे
मैं हूँ नेता मेरे हित में कुछ तो कुर्सी फलने दे।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
13 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
20 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
23 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
27 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
32 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service