For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – April 2021 Archive (6)

मानता हूँ तम गहन सरकार लेकिन-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२/२१२२/२१२२



किसलिए भण्डार अपने भर रहे हो

देश बेबस को  निवाला  कर रहे हो।१।

*

रंग पोते धर्म  का  बाहर से अपने

आप केवल पाप के ही घर रहे हो।२।

*

निर्वसनता  चन्द  लोगों  को सुहाती

इसलिए क्या चीर सब का हर रहे हो।३।

*

कत्ल का आदेश तुमने ही दिया जब

खून के छींटों से क्योंकर  डर रहे हो।४।

*

व्यर्थ है  उम्मीद  पिघलोगे  कभी ये

है पता  हर  जन्म  में  पत्थर…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 29, 2021 at 5:40am — 6 Comments

अब हो गये हैं आँख वो भूखे से गिद्ध की- लक्ष्मण धामी'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२

चिन्ता करें जो आम की शासन नहीं रहे

कारण इसी के लाखों के जीवन नहीं रहे।१।

*

हर कोई खेल सकता है पैसों के जोर पर

कानून  आज  देश  में  बन्धन  नहीं  रहे।२।

*

अब हो गये हैं आँख वो भूखे से गिद्ध की

जो थे  बचाते  लाज  को  यौवन नहीं रहे।३।

*

आई हवा नगर की  तो दीवारें बन गयीं

मिलजुल जहाँ थे बैठते आगन नहीं रहे।४।

*

जीवन का दर्द आँखों में उनकी रहा जवाँ

बेवा हो जिनके  हाथों  में  कंगन नहीं रहे।५।

*

तकनीक…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 26, 2021 at 12:48pm — 4 Comments

कालिख लगी है इनमें जो -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'( गजल )

२२१/२१२१/१२२१/२१२



हमने किसी को हर्ष का इक पल नहीं दिया

सूखी धरा को  जैसे  कि  बादल  नहीं दिया।१।

*

रूठे तो उससे रोज ही लेकिन मनाया कब

आँसू ढले जो आँखों से आँचल नहीं दिया।२।

*

गंगा से  भर  के  लाये  थे  पुरखों  को तारने

जलते वनों की प्यास को वो जल नहीं दिया।३।

*

कहने पे मन को आपके बंदिश में क्यों रखें

यूँ जब किसी भी द्वार को साँकल नहीं दिया।४।

*

कालिख लगी है इनमें जो सौगात जग की है

आँखों में हम ने एक  भी  काजल नहीं…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 25, 2021 at 12:36pm — 6 Comments

कौन आया काम जनता के लिए- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२/२१२२/२१२



कौन आया काम जनता के लिए

कह गये सब राम जनता के लिए।१।

*

सुख सभी रखते हैं नेता पास में

हैं वहीं दुख आम जनता के लिए।२।

*

देख पाती है नहीं मुख सोच कर

बस बदलते नाम जनता के लिए।३।

*

छाँव नेताओं  के हिस्से हो गयी

और तपता घाम जनता के लिए।४।

*

अच्छे वादे और बोतल वोट को

हो गये तय दाम जनता के लिए।५।

*

न्याय के पलड़े में समता है कहाँ

भोर नेता  साम …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 8, 2021 at 10:01pm — 3 Comments

हमने कहीं पे लौट आ बचपन क्या लिख दिया-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२



हमने कहीं पे लौट आ बचपन क्या लिख दिया

बोली जवानी क्रोध  में दुश्मन क्या लिख दिया।१।

*

घर के बड़े  भी  काट  के  पेड़ों  को  खुश हुए

बच्चों ने चौड़ा चाहिए आँगन क्या लिख दिया।२।

*

तस्कर तमाम  आ  गये  गुपचुप  से  मोल को

माटी को यार देश की चन्दन क्या लिख दिया।३।

*

आँखों से उस की धार  ये  रुकती नहीं है अब 

भाता है जब से आपने सावन क्या लिख दिया।४।

*

वो  सब  विहीन  रीड़  के  श्वानों  से  बन …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 7, 2021 at 1:00pm — 10 Comments

गर तबीयत जाननी है देश की -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२/२१२२/२१२



सादगी से  घर  सँभाला कीजिए

लालसा को मत उछाला कीजिए।१।

*

यह धरा  तो  रौंद  डाली  जालिमों

चाँद का मुँह अब न काला कीजिए।२।

*

करके सूरज से उधारी आब की

चाँद से कहते उजाला कीजिए।३।

*

जब नया देने की कुव्वत ही नहीं

मत फटे में  पाँव  डाला कीजिए।४।

*

गर तबीयत  जाननी  है  देश की

सबसे पहले ठीक आला कीजिए।५।

*

चाँद तारे सिर्फ महलों को न दो

झोपड़ी में भी उजाला कीजिए।६।…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 6, 2021 at 6:30pm — 4 Comments

Monthly Archives

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post बेटी दिवस पर दोहा ग़ज़ल. . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार । सहमत"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"हार्दिक आभार आदरणीय"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आ. भाई सशील जी, शब्दों को मान देने के लिए आभार। संशोधन के बाद दोहा निखर भी गया है । सादर..."
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .राजनीति

दोहा पंचक. . . राजनीतिराजनीति के जाल में, जनता है  बेहाल । मतदाता पर लोभ का, नेता डालें जाल…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post बेटी दिवस पर दोहा ग़ज़ल. . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  अबला बेटी करने से वाक्य रचना…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on KALPANA BHATT ('रौनक़')'s blog post डर के आगे (लघुकथा)
"आ. कल्पना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही खूबसूरत सृजन हुआ है सर । हार्दिक बधाई"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।सहमत देखता हूँ"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for Radheshyam Sahu 'Sham'
"आ. भाई राधेश्याम जी, आपका ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत है।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२२२ २२२२ २२२२ २**पर्वत पीछे गाँव पहाड़ी निकला होगा चाँद हमें न पा यूँ कितने दुख से गुजरा होगा…See More
Sunday
Radheshyam Sahu 'Sham' is now a member of Open Books Online
Sunday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service