२१२२/११२२/११२२/२२
कब चुना हमने मुसलमान या हिन्दू होना
न तो माँ बाप चुनें और न घर ही को चुना
हम ने ये भी न चुना था कि बशर हो जायें.
हम को इंसान बना कर था यहाँ भेजा गया,
कैसे मज़हब के कई ख़ानों में तक्सीम हुए?
क्यूँ सिखाये गए हम को ये सबक नफरत के?
.
हम ने दहशत से परे जा के बुना इक सपना
अपनी दुनिया न सही, काश हो आँगन अपना
ऐसा आँगन कि जहाँ साथ पलें राम-ओ-रहीम.
.
जुर्म ये था कि जलाया था अँधेरों में चराग़
हम ने नफ़रत की हवाओं के…
Added by Nilesh Shevgaonkar on March 14, 2017 at 9:30pm — 8 Comments
२१२२,२१२२, २१२२, २१२
.
सोचने लगता हूँ अक्सर मैं कि क्या है ज़िन्दगी,
आग पानी आसमां धरती हवा है ज़िन्दगी.
.
मौत जो मंज़िल है उसका रास्ता है ज़िन्दगी,
या कि अपने ही गुनाहों की सज़ा है ज़िन्दगी.
.
बिन तुम्हारे इक मुसलसल हादसा है ज़िन्दगी,
सच कहूँ! ज़िन्दा हूँ लेकिन बेमज़ा है ज़िन्दगी.
.
ज़िन्दगी की हर अलामत यूँ तो आती है नज़र,
शोर है शहरों में फिर भी लापता है ज़िन्दगी.
.…
Added by Nilesh Shevgaonkar on March 4, 2017 at 2:37pm — 10 Comments
22. 22. 22. 22. 22. 22. 2
तन्हा शाम बिताते हो तुम, इश्क़ हुआ है क्या?
मंज़र में खो जाते हो तुम, इश्क़ हुआ है क्या?
.
बारिश से पहले बादल पर अपनी आँखों से,
कोई अक्स बनाते हो तुम, इश्क़ हुआ है क्या?
.
ज़िक्र किसी का आये तो फूलों से खिलते हो,
शर्माते सकुचाते हो तुम, इश्क़ हुआ है क्या?
.
होटों पर मुस्कान बिना कारण आ जाती है,
बेकारण झुँझलाते हो तुम, इश्क़ हुआ है क्या?-…
Added by Nilesh Shevgaonkar on March 1, 2017 at 7:00pm — 12 Comments
२१२२, ११२२, ११२२, २२
ये नहीं है कि हमें उन से मुहब्बत न रही,
बस!! मुहब्बत में मुहब्बत भरी लज्ज़त न रही.
.
रब्त टूटा था ज़माने से मेरा पहले-पहल,
रफ़्ता-रफ़्ता ये हुआ ख़ुद से भी निस्बत न रही.
.
ज़ह’न में कोई ख़याल और न दिल में हलचल,
ज़िन्दगी!! मुझ में तेरी कोई अलामत न रही.
.
उन से नज़रें जो मिलीं मुझ पे क़यामत टूटी,
वो क़यामत!! कि क़यामत भी क़यामत न रही.
.
याद गर कीजै मुझे, यूँ न…
Added by Nilesh Shevgaonkar on February 21, 2017 at 12:00pm — 17 Comments
ग़ज़ल
मात्रिक (22)
संघर्षों के जीवन रण में अपना हिस्सा हार गया,
मान के मिथ्या इस आँगन को, कोई इस के पार गया.
.
विद्वत्ता से श्रेष्ठ कहाई सत्कर्मों की पुण्याई,
अहँकार के फेर में रावण! तेरा जीवन सार गया.
.
प्रश्न हमारे सच्चे थे पर उत्तर झूठे थे उनके,
जब से सच का बोध हुआ है, धर्मों का आधार गया.
.
ईश्वर पूजा, अल्लाह पूजा, ख़ुद के तन को कष्ट दिए,
उस जीवन की आस में मानव, ये जीवन बेकार गया.
.
ईश्वर तेरे साथ चलेगा बस…
Added by Nilesh Shevgaonkar on October 20, 2016 at 8:15pm — 13 Comments
२१२२/१२१२/२२ (११२)
.
उन की गर्दन लगे सुराही, हय!!
उन को लगता हूँ मैं शराबी, हय!!
.
मैंने भेजा सलाम महफ़िल में,
उस ने भेजी नज़र जवाबी, हय!!
.
मुझ को कोई चुड़ैल फाँस न ले,
गाहे-गाहे मेरी तलाशी, हय!!
.
जिस नज़र से ये दिल तमाम हुआ,
हाय चाकू, छुरी, कटारी, हय!!
.
सारी अच्छाइयाँ उदू में थीं,
मेरी हर बात में ख़राबी, हय!!
.
भींच लेती हैं तेरी यादें मुझे,
“नूर” हर शाम ये कहानी, हय!!
.
मौलिक /…
Added by Nilesh Shevgaonkar on July 1, 2016 at 7:30pm — 12 Comments
मात्रिक बहर
२२/२२/२२/२२/
.
अपना ग़म ख़ुद ही से छुपा कर,
जब निकलो,, मुस्कान सजा कर.
.
ग़ैरों से इतना न खुला कर,
दिल नौचेंगे ...मौका पा कर.
.
नया तज़्रबा है हर धोका,
जश्न मनाओ बोतल ला कर.
.
तुम समझे लोबान जला है,
मैं रक्साँ था ज़ख्म जला कर.
.
मैंने ख़ुद को तर्क किया है,
तेरी मर्ज़ी हाँ कर...ना कर.
.
शायद कोई राह छुपी हो,
देख ज़रा दीवार ढहा कर.
.
यादों को हम याद आएं हैं,
लौट आयी हैं वापस,…
Added by Nilesh Shevgaonkar on June 21, 2016 at 8:58am — 10 Comments
२१२२/२१२२/२१२१२
.
ज़िन्दगी क़दमों पे थी तब शूल थे गड़े,
जब चले कांधो पे, पीछे... फूल थे पड़े.
.
काम तो छोटे ही आये.. वक़्त जब पडा,
लिस्ट में कितने अगरचे नाम थे बड़े.
.
एक है अल्लाह ये कह कर गये रसूल,…
Added by Nilesh Shevgaonkar on May 29, 2016 at 7:47pm — 19 Comments
१२२२/१२२२/१२२
ख़ुदाया आज फिर धडकन थमी है,
किसी की याद दिल में चुभ रही है.
.
मसीहा को मसीहाई चढ़ी है,
मसीहा को हमारी क्या पड़ी है.
.
कहीं पर अश्क मिट्टी हो रहे हैं
कहीं प्यासी तड़पती ज़िन्दगी है.
.
कई जुगनू चमक उट्ठे हैं
लेकिन कमी सूरज की रातों में खली है.
.
मेरी नज़रें जमी हैं आसमां पर,
न जानें क्यूँ वहाँ भी ख़लबली है.
.
रगड़ता है हर इक साहिल पे माथा,
समुन्दर की ये कैसी बे-बसी है.
.
गुनाहों में गिनीं जाएगी…
Added by Nilesh Shevgaonkar on May 10, 2016 at 8:23am — 8 Comments
२१२२/१२१२/२२ (११२)
.
अश्क आँखों से फिर बहा जाये,
अपना जाये, किसी का क्या जाये.
.
तुम अगर चश्म-ए-तर में आ जाओ,
झील में चाँद झिलमिला जाये.
.
ढ़लती उम्रों के मोजज़े हैं मियाँ
इक बुझा जाए, इक जला जाये.
.
याद माज़ी को कर के जी लूँगा,
फिर जहाँ तक ये सिलसिला जाये.
.
ज़ह’न कहता है, कर ले सब्र ज़रा,
और दिल है कि बस…
Added by Nilesh Shevgaonkar on May 6, 2016 at 7:00am — 20 Comments
१२१२/११२२/१२१२/२२ (११२)
.
नए मिज़ाज के लोगों में तल्खियाँ हैं बहुत,
कई ख़ुदा से, कई ख़ुद से सरगिराँ हैं बहुत.
.
किसी के मिलने मिलाने का पालिये न भरम,
ज़मीं-फ़लक में उफ़ुक़ पर भी दूरियाँ हैं बहुत.
.
अभी ग़ज़ल में कई रँग और भरने हैं,
अभी ख़याल की शाख़ों पे तितलियाँ हैं बहुत.
.
सियासी चाल है हिन्दी की जंग उर्दू से,
सहेलियाँ हैं ये बचपन की; हमज़बाँ हैं बहुत.
.
परिंदे यादों के, आ बैठते हैं ताक़ों पर,
उजाड़ माज़ी के खंडर में खिड़कियाँ…
Added by Nilesh Shevgaonkar on May 4, 2016 at 5:42pm — 21 Comments
१२१२ /११२२ /१२१२ /२२ (११२)
.
कोई चराग़ जला कर खुली हवा में रखो,
जो कश्तियाँ नहीं लौटीं उन्हें दुआ में रखो.
.
ग़ज़ब सितम है इसे यूँ अलग थलग रखना,
शराब ज़ह’र नहीं है इसे दवा में रखो.
.
इधर हैं बाढ़ के हालात और उधर सूखा,
हमारी दीदएतर अब, उधर फ़ज़ा में रखो.
.
शबाब हुस्न पे आया तो है मगर कम कम,
है मशविरा कि हया भी हर इक अदा में रखो.
.
तमाम फ़ैसले मेरे तुम्हे लगेंगे सही,
अगर जो ख़ुद को कभी तुम मेरी क़बा में रखो.
.
ज़बां…
Added by Nilesh Shevgaonkar on May 1, 2016 at 12:28pm — 20 Comments
१२२/१२२/१२२/१२
.
कोई राज़ मुझ पर खुला देर से,
वो आँसू वहीँ था,, बहा देर से.
.
चिता की हुई राख़ ठंडी मगर,
सुलगता हुआ दिल बुझा देर से.
.
मैं दुनिया से लड़ने को तैयार था,
मगर ..ख़त तुम्हारा मिला देर से.
.
तेरा नाम धडकन पे गुदवा लिया,
ये ताबीज़ मुझ को फला देर से.
.
हमारी सिफ़ारिश फ़रिश्तों ने की,
मगर आसमां ही झुका देर से.
.
अजब सी नमी लिपटी हर्फ़ों से थी,
वो ख़त तो जला पर जला देर से.
.
कई खेत…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2016 at 8:32pm — 23 Comments
२१२/२१२/२१२
.
वक़्त यूँ आज़माता रहा,
रोज़ ठोकर लगाता रहा.
.
साहिलों पर समुन्दर ही ख़ुद,
नाम लिखता,, मिटाता रहा.
.
वो मेरे ख़त जलाते रहे,
और मैं दिल जलाता रहा.
.
वक़्त कम है, पता था मुझे
रोज़..फिर भी लुटाता रहा.
.
डूबती नाव का नाख़ुदा,
बस उम्मीदें बँधाता रहा.
.
वो समझते रहे शेर हैं,
धडकनें मैं सुनाता रहा.
.
कोई तो प्यास से मर गया,
कोई आँसू बहाता…
Added by Nilesh Shevgaonkar on April 6, 2016 at 5:04pm — 3 Comments
221/2121/122/1212
.
आसानियों के साथ परेशानियाँ रहीं,
गर रौशनी ज़रा रही, परछाइयाँ रहीं.
.
क़दमों तले रहा कोई तपता सा रेगज़ार,
यादों में भीगती हुई पुरवाइयाँ रहीं.
.
नाकामियों में कुछ तो रहा दोष वक़्त का,
ज़्यादा कुसूरवार तो ख़ुद्दारियाँ रहीं.
.
ऐसा नहीं कि तेरे बिना थम गया सफ़र
हाँ! ज़िन्दगी की राह में तन्हाइयाँ रहीं.
.
क़िरदार.. कुछ कहानी के, कमज़ोर पड़ गए
कुछ लिखने वाले शख्स की कमज़ोरियाँ रहीं.
.
मिलते…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on March 18, 2016 at 9:08pm — 19 Comments
ग़ज़ल
२२१/२१२/११२२/१२१२
कश्ती थी बादबानी, हवा ही नहीं चली,
मर्ज़ी नहीं थी रब की सो अपनी नहीं चली.
.
ज़ह’न-ओ-जिगर की, दिल की, अना की नहीं चली
मौला के दर पे क़िस्सा कहानी नहीं चली.
.
कितने थे शाह कितने क़लन्दर क़तार में,
धमक़ी तो छोड़ दीजिये, अर्ज़ी नहीं चली.
.
धुलवा दिए थे अश्क-ए-नदामत से सब गुनाह,
चादर वहाँ ज़रा सी भी मैली नहीं चली.
.
होता रहा हिसाब-ए-अमल, रोज़-ए-हश्र, ‘नूर’
कोई वहाँ पे बात किताबी नहीं…
Added by Nilesh Shevgaonkar on March 11, 2016 at 7:00pm — 18 Comments
२१२२/१२१२/२२/
ख़ुशबुओं का सफ़र नहीं आया,
खत लिए नाम:बर नहीं आया.
.
सुब’ह, राहें भटक गया... कोई,
शाम तक उस का घर नहीं आया.
.
देर तुम से न देर मुझ से हुई,
वक़्त ही वक़्त पर नहीं आया.
.
चलते चलते गुज़ार दी सदियाँ,
अब भी मौला का दर नहीं आया.
.
जिस्म की छाँव में रखा जिन को,
उन पे मेरा असर नहीं आया.
.
‘नूर’ ऐसा!! निगाहें क्या उठती,
हश्र पर कुछ नज़र नही आया.
.
मौलिक / अप्रकाशित
निलेश "नूर"
Added by Nilesh Shevgaonkar on February 11, 2016 at 6:40pm — 4 Comments
ग़ज़ल
गा गा लगा लगा/ लल/ गा गा लगा लगा
.
झीलों में ऐसे..... चाँद डिबोता हूँ आज भी,
आँखों में रख के आप को रोता हूँ आज भी.
.
अब तक दरख्त जितने उगाए, बबूल हैं,
दिल में मगर मैं यादों को बोता हूँ आज भी.
.
आदत में था शुमार तेरे साथ जागना,
तेरे बगैर देर से सोता हूँ आज भी.
.
नमकीन पानियों से जो रंगत निखरती है,
रुख़सार आँसुओं से मैं धोता हूँ आज भी.
.
काँधे पे इक सलीब उठाए फिरा करूँ,
नाकामियों का बोझ मैं ढ़ोता हूँ आज…
Added by Nilesh Shevgaonkar on February 7, 2016 at 9:30pm — 16 Comments
१२२२/१२२२/१२२२/१२२२
.
कभी बदनाम गलियों में भटकती हैं तमन्नाएँ,
कभी खुद की निगाहों में खटकती हैं तमन्नाएँ.
.
हवस की मकड़ियाँ बुनती है दिल में जाल हसरत के,
जहाँ मौका मिला, आकर, अटकती है तमन्नाएँ.
.
तमन्नाओं का अंधड़ रोक पाना है बहुत मुश्किल,
मगर दिल में बसा हो रब, ठिठकती हैं तमन्नाएँ.
.
कोई इंसान जब अपनी ख़ुदी को जीत लेता है,
तो फिर क़दमों में उस के, सर पटकती हैं तमन्नाएँ.
.
सफ़र जब जिस्म से बाहर का करने रूह चलती है,
चिता की…
Added by Nilesh Shevgaonkar on January 28, 2016 at 6:00pm — 16 Comments
२१२२/१२१२/२२
अपने दिल में वो राज़ रखता है,
शायरों सा मिजाज़ रखता है.
.
अब सियासत में आ गया है तो
हर किसी को नवाज़ रखता है.
.
बात करता है गर्क़ होने की,
और कितने जहाज़ रखता है.
.
दिल से देता है वो दुआएँ जब
उन पे थोड़ी नमाज़ रखता है.
.
जानें कितनों से दिल लगा होगा
दिल में ढेरों दराज़ रखता है.
.
ये सदी और ये वफ़ादारी
जाहिलों से रिवाज़ रखता है.
.
हर्फ़ उसके तो हैं ज़मीनी, पर
वो तख़य्युल…
Added by Nilesh Shevgaonkar on January 17, 2016 at 11:00am — 10 Comments
2025
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2025 Created by Admin.
Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |