For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विनय कुमार's Blog – October 2016 Archive (7)

सर्जिकल अटैक--

चिरौंजीलाल बड़े पेशोपेश में थे, एक बार तो उनको लगा कि उनकी लुगाई ने बात बस यूँ ही कह दी, शायद बिना ज्यादा कुछ सोचे ही| लेकिन जब उन्होंने गौर से सोचा तो चेहरे पर चिंता की लकीरें दौड़ गईं कि भला मजाक में भी कोई ऐसा कहता है|

हफ़्तों क्या महीनों से ही घर में चर्चा चल रही थी और उनको बार बार याद दिलाया जा रहा था| वह एक कान से सुनते और दूसरे से निकाल देते, आखिर शादी के १५ वर्षों में इतना तो उन्होंने सीख ही लिया था| जब उनको लगता कि लुगाई समझ रही है कि वह अनसुना कर रहे हैं तो हाँ हूँ भी कह देते|…

Continue

Added by विनय कुमार on October 20, 2016 at 6:23pm — 4 Comments

देखा देखी--

पूरा दिन धूप में गुजर गया रग्घू का, लेकिन आज ठीक ठाक दिहाड़ी मिल गई थी उसको| आजकल मौसम कुछ बदल सा गया है, इस समय तो ठण्ड शुरू हो जाती थी और काम करने में दिक्कत नहीं होती थी, रग्घू सोचते हुए घर की तरफ चला| ठेला चलाना वैसे तो काफी श्रमसाध्य होता है, लेकिन जब घर पर पत्नी और बच्चे इंतज़ार में हों तो कोई और रास्ता भी नहीं बचता| मंडी के पास से गुजरते हुए उसकी नज़र किनारे बैठे एक बुढ़िया पर पड़ी जो केले बेच रही थी| केले पिलपिले और काले हो गए थे लेकिन काफी सस्ते मिले तो उसने एक दर्जन खरीद लिए|…

Continue

Added by विनय कुमार on October 18, 2016 at 4:24pm — 4 Comments

समझदारी--

'मेरे लिए क्या लायी, मेरे लिए क्या है", बच्चे हल्ला मचा रहे थे| बड़े भी कुछ कह तो नहीं रहे थे लेकिन उनकी भी नज़रें उसी की तरफ टिकी हुई थीं| नौकरी शुरू करने के दो महीने बाद श्रुति अपने कस्बे वाले घर लौटी थी और इस बीच घर के अधिकतर सदस्यों ने उससे कुछ न कुछ लाने की फरमाईस कर दी थी| अपनी सीमित तनख़्वाह में भी उसने सबके लिए कुछ न कुछ ले लिया था| एक किनारे बैठी उसकी दादी उसे बेहद प्यार भरी नज़रों से देख रही थी और इंतज़ार कर रही थीं कि कब सब लोग हटें तो वह अपनी पोती को लाड करें| श्रुति उनकी सबसे ज्यादा…

Continue

Added by विनय कुमार on October 13, 2016 at 8:07pm — 8 Comments

जकड़न--

रग्घू के यहाँ तेरहवीं का भोज खाने के बाद गांव के कुछ बुजुर्ग वहीँ दरवाजे पर बने कउड़ा पर हाथ सेंकने बैठ गए| जाड़े का दिन था और ठंढ भी कुछ ज्यादा थी| कुछ लोग खाने के बारे में बात करने लगे, किसी को अच्छा लगा था तो किसी को साधारण| जोखू चच्चा को हमेशा से ये ब्रम्ह भोज खराब लगता था और उन्होंने कई बार इसके विरोध में बोला भी था लेकिन किसी ने उसपर ध्यान नहीँ दिया| रग्घू की माली हालात अच्छी नहीँ थी, उसपर पिता की बिमारी ने उसे और कंगाल कर दिया था| अब ये भोज का खर्च, आज जोखू चच्चा ने सोच लिया कि बात…

Continue

Added by विनय कुमार on October 12, 2016 at 8:30pm — 6 Comments

देवी दर्शन--

सब लोग तैयार हो रहे थे, पूरे घर में गहमागहमी मची हुई थी| बच्चों में भी बहुत उत्साह था, आज छुट्टी तो थी ही, साथ में दुर्गा पंडाल देखना और मेले का आनंद भी लेना था| रजनी ने भी अपनी चुनरी वाली साड़ी पहनी और शीशे के सामने खड़ी होकर अपने को निहारने लगी|

"माँ जल्दी चलो, पूजा को देर हो जाएगी", बेटे ने आवाज़ लगायी जो बाहर कार निकाल रहा था|

"आ रही हूँ, अरे अपने पापा को बोलो जल्दी निकलने के लिए", साड़ी सँभालते हुए रजनी कमरे से बाहर निकली|

"अच्छा किनारे वाला कमरा भी भिड़का देना, आने में तो देर…

Continue

Added by विनय कुमार on October 10, 2016 at 3:23pm — 8 Comments

रावण दहन--

पूरे इलाके में हंगामा मचा हुआ था, अब तो पुलिस की गाड़ियां भी आ गयी थीं कि किसी अनहोनी को टाला जा सके| खैर, हुई तो बहुत अनहोनी बात ही थी इस दशहरा पर जिसे हजम कर पाना किसी के लिए सहज नहीं था|

हर साल की तरह इस बार भी रज्जन और उसका परिवार दशहरा के काफी दिन पहले से ही रावण का पुतला बनाने में जुट गया था, आखिर ये न सिर्फ उसका बल्कि उसके पुरखों का भी काम था| लेकिन इस बार वो हवा का रुख नहीं भांप पाया जो बदली हुई थी| और इसी वजह से उसने रामलीला समिति या गांव के सरपंच से पूछा भी नहीं| इधर गांव से…

Continue

Added by विनय कुमार on October 8, 2016 at 3:05pm — 2 Comments

ममता--

फोन की घंटी लगातार बज रही थी, रश्मि दूसरे कमरे में बैठी काँप गयी| किसी तरह फोन बंद हुआ तब तक विवेक भी अंदर आ गया और दूसरे कमरे में आकर बोला "यहीं बैठी हो, फोन क्यों नहीं उठाया?

रश्मि कुछ बोल नहीं पायी, उसके चेहरे पर जैसे सन्नाटा छाया हुआ था| तभी विवेक के मोबाइल पर बेटी का फोन आया "पापा, मम्मी घर में नहीं है क्या, फोन नहीं उठाया उन्होंने"|

"नहीं बेटा, वो घर में ही है, लो बात कर लो", कहते हुए उसने फोन रश्मि को पकड़ा दिया|

"सब ठीक है बेटी, बस ऐसे ही झपकी आ गयी थी इसलिए फोन नहीं उठा…

Continue

Added by विनय कुमार on October 6, 2016 at 6:24pm — No Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service