रोज ही भाव-ताव होना है
जानता हूँ चुनाव होना है
पाँच वर्षों में’ भर गया वो तो
फिर नया एक घाव होना है
कूप सड़कों पे’ बन गये अनगिन
उनका अब रखरखाव होना है
कौन कितना…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on July 31, 2018 at 9:00am — 18 Comments
जीवन की राहें अनजानी,
मंजिल का भी पता कहाँ है.
चले जा रहे अपनी धुन में,
सब कुछ पाना हमें यहाँ है.
कहीं बबूलों के जंगल हैं,
कहीं महकती है अमराई.
फूल शूल के साथ…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on July 28, 2018 at 11:50am — 10 Comments
मापनी 1222 1222122
जहाँ ईमान का पौधा नहीं है
यक़ीनन बाग वह मेरा नहीं है
इबादतगाह में है शोर केवल
खुदा का जिक्र अब होता नहीं है
भले फूलों सा’ कोमल हो न सच, पर
किसी की राह का काँटा नहीं है…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on July 25, 2018 at 8:30am — 16 Comments
बड़े जतन से सिले थे’ माँ ने, वही बिछौने ढूँढ रहा हूँ
ढूँढ रहा हूँ नटखट बचपन, खेल-खिलौने ढूँढ रहा हूँ
नदी किनारे महल दुमहले, बन जाते थे जो मिनटों में
रेत किधर है, हाथ कहाँ वो नौने-नौने ढूँढ रहा हूँ
विद्यालय की टन-टन घंटी, गुरुवर के हाथों में…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on July 18, 2018 at 5:30pm — 17 Comments
मापनी - 2122 2122 2122 212
जिन्दगी में ख्वाब कोई तो मचलना चाहिए
गर लगी ठोकर तो’ क्या, फिर से सँभलना चाहिए
सीखना ही जिन्दगी है उम्र का बंधन कहाँ
लोग बदलें या न बदलें, खुद बदलना चाहिए…
Added by बसंत कुमार शर्मा on July 16, 2018 at 9:30am — 12 Comments
उमड़-घुमड़ बदरा नभ छाये,
नाचें वन में मोर.
बाट जोहते भीगीं अँखियाँ,
आ भी जा चितचोर.
तेज हवा के झोंके आकर,
खोल गए खिड़की.
तभी कडकती बिजली ने भी,…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on July 14, 2018 at 8:44pm — 10 Comments
Added by बसंत कुमार शर्मा on July 12, 2018 at 3:57pm — 20 Comments
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