For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मगर होता नहीं दिखता - गजल

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२

जमीं पर बीज उल्फत के कोई बोता नहीं दिखता.

लगाता प्रेम सरिता में कोई गोता नहीं दिखता.

 

करे अपराध कोई और ही उसकी सजा पाए,

वो कहते हैं हुआ इंसाफ़, पर होता नहीं दिखता.

 

झरोखे हैं न आँगन है, न दाना है न गौरैया,

सुनाये राम का जो नाम वह तोता नहीं दिखता. 

 

सभी बेटों ने अपनी एक नई दुनिया बसा ली है,

कि अब दादी के’ हाथों में यहाँ पोता नहीं दिखता.

 

हुए जंगल नदारद सब, बचे बस ठूँठ पेड़ों के,

बुझा दे प्यास वन में जो कहीं सोता नहीं दिखता.

 

लुटे कोई पिटे कोई किसी को कुछ नहीं मतलब,

पराये दुख में अब कोई यहाँ रोता नहीं दिखता. 

 

यहाँ साहित्यकारों की यक़ीनन है बड़ी महफ़िल,

सभी अपनी सुनाते हैं कोई श्रोता नहीं दिखता.

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 781

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on October 14, 2020 at 11:46am

आदरणीय Rachna Bhatia जी सादर नमस्कार 

आपकी हौसला अफजाई के लिए दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on October 14, 2020 at 11:45am

आदरणीय Samar kabeer जी सादर नमस्कार 

आपका आशीष मिला सादर नमन 

सुधार कर प्रस्तुत करता हूँ 

Comment by Rachna Bhatia on October 14, 2020 at 10:48am

आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी बेहतरीन ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।

Comment by Samar kabeer on October 13, 2020 at 8:36pm

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'जमीं साहित्यकारों की यहाँ पर खूब हैं महफ़िल'

इस मिसरे में 'जमीं' को "जमी" और 'हैं' को "है" कर लें ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on October 8, 2020 at 5:22pm

आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी सादर नमस्कार 

आपकी हौसला अफजाई के लिए सादर नमन 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 7, 2020 at 9:06am

आ. बसंत जी,
तंग काफ़िये में अच्छी ग़ज़ल हुई है ..बधाई 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on October 5, 2020 at 8:07pm

जनाब अमीरुद्दीन 'अमीर' जी आदाब
आपकी हौसलाफजाई का दिल से शुक्रिया, इसी तरह स्नेह बनाये रखें सादर नमन

Comment by बसंत कुमार शर्मा on October 5, 2020 at 8:06pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सादर नमस्कार
आपकी हौसलाफजाई ही हमारा संबल है, सादर आभार

Comment by बसंत कुमार शर्मा on October 5, 2020 at 8:06pm

आदरणीय Chetan Prakash जी सादर नमस्कार
आपकी हौसलाफजाई से गदगद हूँ, सादर नमन आभार

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on October 5, 2020 at 7:19pm

आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई प्रस्तुत है। सादर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
6 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
17 hours ago
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
22 hours ago
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service