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सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
जहाँ मक़ाम है मेरा वहाँ नहीं हूँ मैं.
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ये और बात कि कल जैसी मुझ में बात नहीं
अगरचे आज भी सौदा गराँ नहीं हूँ मैं.
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ख़ला की गूँज में मैं डूबता उभरता हूँ
ख़मोशियों से बना हूँ ज़बां नहीं हूँ मैं.
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मु’आशरे के सिखाए हुए हैं सब आदाब
किसी का अक्स हूँ ख़ुद का बयाँ नहीं हूँ मैं.
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सवाली पूछ रहा था कहाँ कहाँ है तू
जवाब आया उधर से कहाँ नहीं हूँ मैं?
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परे हूँ जिस्म से अपने…
Added by Nilesh Shevgaonkar on June 11, 2025 at 1:08pm — 5 Comments
2122 2122 2122 212
मित्रवत प्रत्यक्ष सदव्यवहार भी करते रहे
पीठ पीछे लोग मेरे वार भी करते रहे
वो ग़लत हैं जानते थे पर अहेतुक स्नेहवश
हम सभी से मित्रवत व्यवहार भी करते रहे
आपके मंतव्य में थे अन्यथा कुछ अर्थ तो
मौन रहकर भाव से प्रतिकार भी करते रहे
दुष्प्रचारित कर रहे वो क्या कहूँ छल छद्म पर
शत्रुओं का पक्ष लेकर प्यार भी करते रहे
लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम में
अस्तु वो संबंध में व्यापार…
Added by Ravi Shukla on June 9, 2025 at 1:25pm — 3 Comments
सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागा
अर्थ प्रेम का है इस जग में
आँसू और जुदाई
आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
कैसी रीत चलाई
सूर्य निकलता नित्य पूर्व से
पश्चिम में ढल जाता
कब से डूबा सूर्य हृदय का
अब भी नजर न आता
धीरे धीरे बढ़ता जाए
अंतस में अँधियारा
दिशाहीन पथहीन जगत में
भटक रहा बंजारा
अभी शेष है कितनी पीड़ा
बोलो कुछ पुरवाई
आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
कैसी रीत चलाई
ओ दक्षिण को…
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 5, 2025 at 12:30pm — 7 Comments
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