मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
मगर पाण्डव हैं मुट्ठी भर, खड़े हैं.
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हम इतनी बार जो गिर कर खड़े हैं
मुख़ालिफ़ हार कर शश्दर खड़े हैं. शश्दर-आश्चर्यचकित, स्तब्ध
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कभी कोई बसेगा दिल-मकां में
हम इस उम्मीद में जर्जर खड़े हैं.
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ऐ रावण! अब तेरा बचना है मुश्किल
तेरे द्वारे पे कुछ बंदर खड़े हैं.
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उसे लगता है हम को मार देगा
हम अपने जिस्म से बाहर खड़े हैं.
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मुझे क़तरा समझ बैठा है नादाँ
मेरे पीछे…
Added by Nilesh Shevgaonkar on May 29, 2025 at 6:45pm — 11 Comments
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ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
दुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे.
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जादू टोना यूँ लब ओ रुख़्सार भी करते रहे
जो मुदावा थे वही बीमार भी करते रहे.
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उस की सुहबत के असर में हो गए उस की तरह
फिर उसी के लहजे में गुफ़्तार भी करते रहे.
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जिस्म को जीते रहे हम एक क़िस्सा मान कर
और अपनी रूह को तैय्यार भी करते रहे.
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हर क़िले के द्वार अन्दर ही से खोले जाते हैं
दुश्मनों का काम चौकीदार भी करते रहे.
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‘नूर’ ऐसा…
Added by Nilesh Shevgaonkar on May 25, 2025 at 6:00pm — 10 Comments
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ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा,
मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा.
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इश्क़ के रस्ते पर चलना है तेरी मर्ज़ी; लेकिन सुन
इस रस्ते को श्राप मिला है राही पगला जाएगा.
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उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो तो
ज़ख़्म हमारे सीते सीते दर्ज़ी पगला जाएगा.
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उस को समुन्दर जैसी छोटी मोटी जगहें भाती हैं
इन आँखों में आएगा तो पानी पगला जाएगा.
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जिससे बदला लूँगा उस को इतना याद करूँगा मैं
मेरे नाम की लेते लेते…
Added by Nilesh Shevgaonkar on May 15, 2025 at 2:59pm — 14 Comments
आँखों की बीनाई जैसा
वो चेहरा पुरवाई जैसा.
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तेरा होना क्यूँ लगता है
गर्मी में अमराई जैसा.
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तेरे प्यार में तर होने दे
मुझ को माह-ए-जुलाई जैसा.
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जोबन आया है, फिसलोगे
ये रस्ता है काई जैसा.
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साथ हैं हम बस कहने भर को
दूध हूँ मैं वो मलाई जैसा.
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जाते जाते उस का बोसा
जुर्म के बाद सफ़ाई जैसा.
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ज़ह’न है मानों शह्र का एसपी
और ये दिल बलवाई जैसा.
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तेरा आना पल दो पल को
सरकारी…
Added by Nilesh Shevgaonkar on May 3, 2025 at 4:22pm — 19 Comments
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