For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Smrit Mishra
  • Male
  • Delhi
  • India
Share on Facebook MySpace

Smrit Mishra's Friends

  • ajay kumar mishra
  • Anwesha Anjushree
  • Kavita Verma
  • mohinichordia
  • सुनीता शानू
  • ranjana(ranju) bhatia
  • Vasudha Nigam
  • Deepak Sharma Kuluvi
  • asha pandey ojha
  • satish mapatpuri
 

Love Never Die

Profile Information

Gender
Male
City State
Delhi
Native Place
Muzaffarpur
Profession
Director
About me
I am director of Kids Home

Smrit Mishra's Photos

  • Add Photos
  • View All

Smrit Mishra's Blog

'रिश्तो का सच'

मां की ममता, पिताजी का त्याग,

बहन की समझदारी, भाई का प्यार!

क्या यही है रिश्तो की बुनियाद,

ये रिश्ते कभी नहीं होते बेकार!

माँ की ममता हमारे दुख भूलती,

हमको हमेशा सही राह दिखाती!

पिताजी कात्याग देता देता अनुशासन का पाठ,

बनता है हमको और भी महान!

बहन की समझदारी हमें हमेशा हौसला दिलाती,…

Continue

Posted on September 20, 2011 at 1:14am — 1 Comment

" उलझन"

न कोई गिला, न कोई शिकवा,

उनसे न मिलना भी है एक सजा;

न मिले हम उनसे तो दिल डूबा रहता है उनकी यादो में,

मिले अगर हम उनसे तो दिल डूबा रहता है अरमानो में;

डरते हैं हम कि कहीं हम  बह न जाएँ इन अरमानो में,

कहीं रह न जाये बस वो मेरे खयालो में;

मेरी जिंदगी में बस यही कशमकश है,

और बस यही मेरी जिंदगी की उलझन है;

जितना उनको खोना  है …

Continue

Posted on September 11, 2011 at 10:29pm — 2 Comments

" जालिम दुनिया"

साथ रहकर भी दूर हैं हम,
उनकी मजबूरियों के कारण मजबूर हैं हम;
उनकी चाहतो  को पूरा करूँ मैं हरदम,
पर बताते भी तो हैं वो मुझको कम;
कारण ये नहीं की जुदा हैं हम उनसे,
कारण तो ये है कि डरते है हम जगसे;
जग में कहीं उनकी जग हंसाई न हो जाये,…
Continue

Posted on September 11, 2011 at 10:28pm

दिल्ली में गहराता ही जा रहा है मुसीबतों का सम्राज

दिल्ली जो कि दिलवालों कि नगरी कहलाती है उसपर एक के बाद एक मुसीबते टूटती जा रही है.

यहाँ पर गोलीबारी, लूटपाट, चोरी, अपहरण, हत्या जैसी समस्या आम हो  गयी है, जहाँ पर दिल्ली दिलवालों का शहर  हुआ करता था वही आज कल यह गुनाहों का शहर बन गया है.

जहाँ पर लोगो को घर से निकलते भी यह सोचना पड़ता  है कि वो सही सलामत घर आ भी पाएंगे कि नहीं. अगर हम किसी  भी तरह इस मानव निर्मित आपदाओ से  बच भी जाये तो प्राकृतिक आपदा भी हमारा पीछा नहीं छोडती है.

ठीक इसी प्रकार कि घटना ०७/०९/२०११ को घटी पहले तो…

Continue

Posted on September 8, 2011 at 12:36am

Comment Wall (7 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 1:32pm on August 10, 2012, Ranveer Pratap Singh said…

janmdiwas ki hardik shubhkaamnaayein....

At 10:29am on March 27, 2012, Deepak Sharma Kuluvi said…

good shoot

At 2:28pm on December 29, 2011, Deepak Sharma Kuluvi said…
हमको अपने साथ ले लो य हमारे साथ चलो
जिंदगी कट जाएगी गर सबसे ही हँसकर मिलो I

दीपक शर्मा कुल्लुवी
At 2:52pm on September 17, 2011, Deepak Sharma Kuluvi said…

GO AHEAD MISHRA JI

 

DEEPAK

At 7:12pm on September 14, 2011, PREETAM TIWARY(PREET) said…

At 8:47pm on September 9, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 9:04am on September 4, 2011, Admin said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service