नन्हीं बिटिया जग में आई
बड़ी उदासी घर में छाई!
सब के सब हैं चुपचाप मगर
मैया की छाती भर आई।।
जन्म दिया मैया कहलाई
पर इक बात समझ ना आई
नानी है या कोई मिसरी?
माँ से भी मीठी कहलाई।।
पहले बिटिया बनकर आई
फिर बिटिया को जग में लाई
माँ बनती जब, माँ की बिटिया
तब जाकर नानी कहलाई।।
"मौलिक व अप्रकाशित"
Posted on April 26, 2020 at 3:30pm — 3 Comments
जब से तुमको, देखा सविता।
भूल गया मैं, लिखना कविता।।
भाता मुझको, पैदल चलना।
तुम चाहो, अंबर में उड़ना।
सैर-सपाटा, बँगला-गाड़ी।
फैशन नया, रेशमी साड़ी।
सखियाँ तेरी, इशिता शमिता।
भूल गया मैं, लिखना कविता।।
तुमको प्यारे, गहने जेवर।
नखरे न्यारे, तीखे तेवर।
होकर विह्वल, संयम खोती।
हँसती पल में, पल में रोती।
आँसू बहते, जैसे सरिता।
भूल गया मैं, लिखना कविता।।
नारी धर्म, निभाया तूने।
माँ बनकर,…
Posted on April 14, 2020 at 4:30pm — 1 Comment
सुख-दुख में साथ निभाएं अपनों का |
आओ, इक देश बनाएं सपनों का ||
फसलों पर, ना मौसम की मार पड़े |
कृषि हो उन्नत, ना हों परिवार बड़े |
घर-घर नलका, बिजली, शौचालय हो |
गाँव-गाँव रुग्णालय, विद्यालय हो |
तजि कुरीति, संग धरें नव चलनों का |
आओ, इक गांव बसाएं सपनों का ||
जन-जन को, उपयुक्त रोजगार मिले |
जीवन को, सुरभित स्वच्छ बयार मिले |
सुलभ निवास, सुविधाजनक प्रवास हो |
धवल सादगी का बिखरा प्रकाश हो |
फीकी जो करे चमक, नव…
Posted on April 6, 2020 at 4:00pm — 4 Comments
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