For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार  सड़सठवाँ आयोजन है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

18 नवम्बर 2016 दिन शुक्रवार से 19 नवम्बर 2016 दिन शनिवार तक
इस बार पिछले कुछ अंकों से बन गयी परिपाटी की तरह ही दोहा छन्द तो है ही, इसके साथ उल्लाला छन्द को रखा गया है. - 

दोहा छन्द और उल्लाला छन्द

यह देखना तथा जानना रोचक होगा, उल्लाला छन्द दोहा छन्द के कितने निकट है ! 

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

इन छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना करनी है. 

प्रदत्त छन्दों को आधार बनाते हुए नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.

[प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से प्राप्त हुआ है]

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

दोहा छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

  

उल्लाला छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 18 नवम्बर 2016 दिन शुक्रवार से 19 नवम्बर 2016 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  5. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  6. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  7. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 9870

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय गिरिराज सर, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत धन्यवाद. हार्दिक आभार. सादर 

जीवन गिल्ली क्यों भला, ‘गिच’ में धँसती आज

खुशियों का डंडा हुआ, हंसने से नाराज------सच में आज लगता है वक़्त भी हंसने की इजाजत नहीं देता शानदार दोहा 

वाह्ह्ह्हह वाह्ह्ह शानदार दोहा गीत लिखा है मिथिलेश भैय्या दिल से ढेर सारी बधाईयाँ लीजिये |

आदरणीया राजेश दीदी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत धन्यवाद. हार्दिक आभार. सादर 

अब ना मेरा दाँव है, अब ना तेरा दान

अब तो जिंदा खेल से, बच्चें भी अनजान

मैदानों से आज तो, बचपन हुआ विरक्त

तकनीकी संघर्ष से, बचा कहाँ है वक्त

जीवन गिल्ली क्यों भला, ‘गिच’ में धँसती आज

खुशियों का डंडा हुआ, हंसने से नाराज

 

ये कैसी रफ़्तार है, कैसी पेलमपेल

बचपन छूटा साथ में, छूटे सारे खेल........... वाह !

आदरणीय मिथिलेश भाई, आपके दोहा-गीत ने बचपन की कई स्मृतियों को साक्षात खड़ा कर दिया. उसपर आपने आजके बच्चों की विवशता पर जिस तरह से कलम चलायी है वह सीधी हृदय को लगती है. यह सही है कि आज के बच्चों का बचपना कुछ नये आयाम के साथ आया है. यह कितना लाभकारी होगा या ऐसी जीवन-शैली का क्या परिणाम होगा यह तो भविष्य के गर्त में है लेकिन उसका अंदाज़ लगाना कठिन नहीं है. फिर भी हर युग और काल की अपनी मांग हुआ करती है. उस हिसाब से ही समाज और मानव-जीवन आकार और व्यवहार ग्रहण करता है. 

आपकी इस रचना के लिए हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ .. 

वैसे, एक बात जो रह-रह कर कौंध रही है वह साझा करना चाहूँगा. आपकी रचना-शैली से परिचित हूँ. उसके आलोक में यह प्रस्तुति तनिक शीघ्रता का परिणाम है. पहले बन्द में कई विन्दु हैं जिन्हें समय मिले तो आप स्वयं सुधारना चाहेंगे. मैं व्याकरणीय या शिल्पगत नहीं, बल्कि रचना के वाक्य (पंक्ति) की भाव-संप्रेष्यता को लेकर कह रहा हूँ. 

शुभेच्छाएँ 

आदरणीय सौरभ सर, इस प्रयास की सराहना, उत्साहवर्धक विस्तृत प्रतिक्रिया एवं मार्गदर्शन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद. हार्दिक आभार. आपने सही कहा, प्रस्तुति को समय नहीं दे सका किन्तु सहभागिता की अनिवार्यता को सर्वोपरि रखा. आपके मार्गदर्शन अनुसार पुनः प्रयास किया है- 

गिल्ली डंडा तो सखा, बचपन का था प्यार

चकाचौंध के मोह में, क्यों कर ली तकरार

गिल्ली हुई क्रिकेट की, डंडा अफ़सर पास

आँगन सूना कर गए, कम्प्यूटर के दास

कहाँ महकती दूब का, मधुमय वह आह्वान

दीवारों में खो गए,  हरे भरे मैदान  

जीवन की जीवन्तता, आज हुई है तेल

बचपन छूटा साथ में, छूटे सारे खेल 

संकलन आने के बाद संशोधन हेतु निवेदन करूँगा. सादर नमन

जनाब मिथिलेश वामनकर जी प्रदत्त चित्र पर बहुत सुंदर दोहा गीत रचा है आपने,इस शानदार प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

आदरणीय समर कबीर जी, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत धन्यवाद. हार्दिक आभार. सादर 

सम्पूर्ण दोहा-गीत विचारोत्तेजक है। मैं इन खेलों के पतन को सांस्कृतिक पतन से जोड़ता हूँ। आभासी/तकनीकी दुनिया में भारतीय बच्चों की दिलचस्पी व सक्रियता ने उनकी वास्तविक भारतीय क्षमताओं का ह्रास किया है, जिसका लाभ विकसित देशों को मिला है भारत का बौद्धिक शोषण करते हुए भारत को भीतर से खोखला करके। बहुत सुंदर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहब।

आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, प्रस्तुति के मूल तक पहुँच कर इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत धन्यवाद. हार्दिक आभार. सादर 

प्रथम सुंदर दोहा छंद गीत से शुभारम्भ के लिए बधाई श्री मिथलेश वामनकर जी | विशेष कर ये पंक्तिया बहुत अच्छी लगी -

मैदानों से आज तो, बचपन हुआ विरक्त

तकनीकी संघर्ष से, बचा कहाँ है वक्त |-  बहुत सार्थक कथन 

जीवन गिल्ली क्यों भला, ‘गिच’ में धँसती आज

खुशियों का डंडा हुआ, हंसने से नाराज |

 

ये कैसी रफ़्तार है, कैसी पेलमपेल

बचपन छूटा साथ में, छूटे सारे खेल | -  यथार्थ बात |

बहुत बहुत बधाई 

आदरणीय लक्ष्मण सर, इस प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत धन्यवाद. हार्दिक आभार. सादर 

आख़िर इतनी तेज़ क्यों, इस जीवन की रेल

बचपन छूटा साथ में, छूटे सारे खेल.....  मुखड़े से ही  ऊँचाइयां छू ली हैं आपके गीत ने 

 

जीवन गिल्ली क्यों भला, ‘गिच’ में धँसती आज

खुशियों का डंडा हुआ, हंसने से नाराज...बहुत सही कह आपने 

आज के भागते जीवन के साथ प्रदत्त चित्र को जोड़कर आपने अद्भुत गीत रचा है ..हार्दिक बधाई आपको आदरणीय मिथिलेश जी 

 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
45 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
53 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
1 hour ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service