For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 27(Now closed with 788 replies)

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 27  में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

 

प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से साभार लिया गया है.

 

 

 

आइये, उठा लें अपनी-अपनी लेखनी.. और कर डालें इस चित्र का काव्यात्मक चित्रण ! और हाँ.. आपको पुनः स्मरण करा दें कि  छंदोत्सव का आयोजन मात्र भारतीय छंदों में लिखी गयी काव्य-रचनाओं पर आधारित होगा.  इस छंदोत्सव में पोस्ट की गयी छंदबद्ध प्रविष्टियों के साथ कृपया सम्बंधित छंद का नाम व उस छंद की विधा का संक्षिप्त विवरण अवश्य लिखें.  ऐसा न होने की दशा में आपकी प्रविष्टि ओबीओ प्रबंधन द्वारा अस्वीकार कर दी जायेगी.
 

नोट :-
(1) 20 जून 2013 तक रिप्लाई बॉक्स बंद रहेगा, 21 जून 2013 दिन शुक्रवार से 23  जून 2013 दिन रविवार तक के लिए Reply Box रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि रचना छोटी एवं सारगर्भित हो, यानी घाव करे गंभीर वाली बात हो. रचना भारतीय छंदों की किसी विधा में प्रस्तुत की जा सकती है. यहाँ भी ओबीओ के आधार नियम लागू रहेंगे और केवल अप्रकाशित एवं मौलिक सनातनी छंद की रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

विशेष :-यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

अति आवश्यक सूचना :  आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन रचनाएँ अर्थात प्रति दिन एक रचना के हिसाब से स्वीकार की जायेंगीं. ध्यान रहे प्रति दिन एक रचना  न कि एक ही दिन में तीन रचनाएँ.  नियम विरुद्ध या निम्न स्तरीय प्रस्तुतियाँ बिना कोई कारण बताये या बिना कोई पूर्व सूचना के प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दी जायेंगी, जिसके सम्बन्ध में किसी किस्म की सुनवाई नहीं होगी, न ही रचनाकारों से कोई प्रश्नोत्तर होगा.

 

मंच संचालक

 

सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

 

Views: 16736

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बहुत सार्थक संदेश दिया आपने कुण्डलिया छंद के माध्यम से आदरणीय संजय जी!

कलुषित यह गठबंध  रहे मत आगे बाकी। 
इन्हें भगाएँ हाथ, उठा हम अपनी हाकी॥ 

उत्साहवर्धन हेतु सादर आभार स्वीकारें गीतिका 'वेदिका'जी...

आदरणीय संजय जी बहुत ही सुन्दर समसामयिक कुण्डलिया छंद प्रस्तुत की है आपने हार्दिक बधाई स्वीकारें.

उत्साहवर्धन हेतु सादर आभार स्वीकारें प्रिय भाई अरुण अनंत जी...

आदरणीय संजय जी सादर,

         मन की बात कह दी आपने इस   कुण्डलिया छंद के माध्यम से हार्दिक बधाई स्वीकार करें,

उत्साहवर्धन हेतु सादर आभार स्वीकारें आ सत्यनारायण सिंह जी....

बहुत खूब ,बहुत खूब कहा ---चूंकि विदेशी जमीं  से आया ,इसी लिए मट  मैली काया ??

हिन्दुस्तान की पावन जमीं में उपजा होता तो ऐसा ना होता 
बहुत बहुत बधाई आदरणीय  जी इस सार्थक कुंडलिया हेतु  

आदरणीय संजय भाई, आपकी रचनाओं की प्रतिक्षा होती है, क्योंकि उसमे एक अलग बात होती है, यह कुण्डलिया उससे इत्तर नहीं है, आपने बहुत ही खूबसूरती से भाव को शिल्प में बाँधा है, बहुत बहुत बधाई प्रेषित है. 

आदरणीय बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति हुई है   //हार्दिक बधाई 

आदरणीय संजय मिश्रा 'हबीब' जी सादर नमन , हाँकी जैसे खेल की गुमनामी और क्रिकेट की परिस्थितयों से अवगत कराते  कुण्डलिया छंद पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें

हाकी कल पहचान थी, आज हुई गुमनाम

खेल स्वदेशी खो गये , सिर चढ़ बैठा दाम

सिर चढ़  बैठा  दाम , शुरू  अब सट्टेबाजी

लाखों लाख कमायँ,नहीं भरता उनका जी

कलुषित है माहौल , कहाँ  सच्चाई बाकी

करें पुन: शुरुवात, उठा हम अपनी हाकी ||

छंदोत्सव में सादर प्रस्तुत है मेरी एक रचना. इस आशय के साथ कि सुधीजन त्रुटियों के प्रति अगाह कर उचित सुझाव देंगे.
************************
छंद - पज्झटिका छंद
विधान -
मान्य - प्रत्येक चरण में 8 मात्राओं के पश्चात एक गुरु, इसी क्रम में पुनः 4 मात्राओं के पश्चात एक गुरु. यानि प्रति पद 16 मात्राएँ.
निषेध - किसी चौकल में जगण यानि 121 या ।ऽ। न पड़े.   
सूत्र - 8+ग+4+ग / जगण निषेध
*************************


क्रीड़ा है तप, यज्ञ-तपस्या, होड़ परस्पर कौन समस्या ?
ऐसा हो हर खेल निराला, मिहनत-कसरत-ताकत वाला

लेकिन क्यों दुर्भाव भरा है, अन्य खेल हित चाव मरा है
खेलो किरकट या खिलवाओ, देसी खेलों की सुधि गाओ

गेंद व बल्ला जोड़ रखा है, उसमें मन को मोड़ रखा है
बॉलिंग-फिल्डिंग संग पगी तो, उड़ती गिल्ली गेंद लगी जो

सभी खिलाड़ी मस्त रमे हैं, नाम करे हैं, खूब जमे हैं
उन्नत इसका पार्श्व बखानूँ, वर्तमान पर लानत जानूँ

जोशीला माहौल रहे ये, जुआ नहीं बस खेल लगे ये
बड़े धुरंधर व्यापारी हैं, डोरे डाले जो भारी हैं

तन-मन धन से मोहित भोले, दर्शक उत्साही को लोले
ठगा-छला महसूस करें हैं, सट्टाबाज़ी देख गड़ें हैं

खेल वही मन मुग्ध करे जो, तन-मन को परिशुद्ध करे जो
मन का रंजन तो होता है, आपसदारी भी बोता है
***************************
-सौरभ

(मौलिक व अप्रकाशित)

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )

११२१२     ११२१२       ११२१२     ११२१२  मुझे दूसरी का पता नहीं ***********************तुझे है पता तो…See More
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाई , वाह ! बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है , दिली बधाई स्वीकार करें "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश भाई  हमेशा की तरह अच्छी ग़ज़ल हुई है,  हार्दिक  बधाई वीकार…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण  भाई , अच्छी ग़ज़ल कही , बड़ी कठिन रदीफ़ चुनी आपने , हार्दिक  बधाई आपको "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें मक्ता शायद अपनी बात नहीं कह पा रहा…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति हमेशा प्रेरणा दाई  होती है , ग़ज़ल के कुछ शेर आपको अच्छे…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
22 hours ago
Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदाब, आदरणीय,  ' नूर ' मैंने आपके निर्देश का संज्ञान ले लिया है! "
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बहुत बहुत आभार आ. सौरभ सर ..आप से हमेशा दाद उन्हीं शेरोन को मिलती है जिन पर मुझे दाद की अपेक्षा…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय नीलेश भाई,  आपकी इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद और कामयाब अश'आर पर…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. शिज्जू भाई "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,आपको धुआ स्वीकार नहीं हैं तो यह आपका मसअला है. मैंने धुआँ क़ाफ़िया  प्रयोग में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service