For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

  

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ बासठवाँ योजन है।.   

 

छंद का नाम -  छंद मनहरण घनाक्षरी 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

21 दिसंबर’ 24 दिन शनिवार से

22 दिसंबर’ 24 दिन रविवार तक

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

मनहरण घनाक्षरी छंद के मूलभूत नियमों के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.

*********************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -

21 दिसंबर’ 24 दिन शनिवार से 22 दिसंबर’ 24 दिन रविवार तक  रचनाएँ तथा टिप्पणियाँ प्रस्तुत की जा सकती हैं। 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम  

Views: 278

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

मनहरण घनाक्षरी छंद

++++++++++++++++++

 

देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि,

अपनी भाषा में शिक्षा, पाना अधिकार है|

भविष्य को गढ़ने की, उम्र यही पढ़ने की,

दादा नाना समझाते, शिक्षा से उद्धार है||

 

बच्चे समझदार हैं, पढ़ने बेकरार हैं,

सीखने को ककहरा, बेटियाँ तैयार हैं |

जब भी अच्छी बात हो, घर से शुरुआत हो,

संयुक्त परिवार में, अच्छे संस्कार हैं ||

 

गरीबी अभिशाप है, उपेक्षा महापाप है,

मजदूरी करें बच्चे, अशिक्षा की मार है|

ज्ञानार्जन जरूरी है, अशिक्षा कमजोरी है,

केंद्र राज्य के जरिए, शिक्षा का प्रचार है||

 

++++++++++++++

मौलिक अप्रकाशित

आदरणीय अखिलेश भाई जी, आयोजन में आपकी किसी रचना का एक अरसे बाद आना सुखकर है. 

प्रदत्त चित्र के अनुरूप घनाक्षरी अच्छी बन पड़ी है. वैसे रचना के पद आपस में तार्किक रूप से बँधे भी होने चाहिए. 

देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि,

अपनी भाषा में शिक्षा, पाना अधिकार है ... इस पद में पहले चरण, जिसमें आठ-आठ वर्णॊं पर यति बनी है, और दूसरे चरण के बीच अपेक्षित सम्बन्ध कैसे बन रहा है, इसे स्पष्ट होना चाहिए. अर्थात्, भारत में अपनी भाषा में शिक्षा का अधिकार होने के लिए भारत का देवों की कर्मभूमि और धर्मभूमि होना कैसे आवश्यक है ? 

भविष्य को गढ़ने की, उम्र यही पढ़ने की,

दादा नाना समझाते, शिक्षा से उद्धार है ...  अलबत्ता, यह पद वस्तुतः तार्किक बन पड़ा है. इसी पद की भावभूमि को परिभाषित करता हुआ पहला पद होना चाहिए था. 

बच्चे समझदार हैं, पढ़ने बेकरार हैं,  ........... बच्चे समझदार हैं, दादा को उपहार हैं 

सीखने को ककहरा, बेटियाँ तैयार हैं 

जब भी अच्छी बात हो, घर से शुरुआत हो,

संयुक्त परिवार में, अच्छे संस्कार हैं ..      ....वाह वाह 

आपके प्रयास पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ 

आदरणीय सौरभभाई जी, 

प्रशंसा सार्थक टिप्पणी और सुझाव के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद ,आभार | 

संशोधित रचना 

सर्व शिक्षा अभियान, दूर कर दे अज्ञान, 

शिक्षा अपनी भाषा में, पाना अधिकार है|

भविष्य को गढ़ने की, उम्र यही पढ़ने की,

दादा नाना समझाते, शिक्षा से उद्धार है||

 

बच्चे समझदार हैं, दादा को उपहार हैं,

सीखने को ककहरा, बेटियाँ तैयार हैं |

जब भी अच्छी बात हो, घर से शुरुआत हो,

संयुक्त परिवार में, अच्छे संस्कार हैं ||

वाह, पद प्रवाहमान हो गये। 

जय-जय

आदरणीय अखिलेश जी

बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर

आदरणीया प्रतिभाजी , हार्दिक धन्यवाद आभार आपका  

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र से भाव लेकर सुन्दर घनाक्षरी रची है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. फिर भी यह छह चरण हैं. दो चरण और होते तो दो छंद पूर्ण होते. बाकी आदरणीय सौरभ जी ने कहा ही है. सादर 

हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, 

आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था, परंतु, प्रतिक्रिया पोस्ट करने के ठीक पहले यह बिंदु ही विस्मृत हो गया। अच्छा किया आपने बात कह दी। 

सादर

आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं । हार्दिक बधाई।

आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका 

मनहरण घनाक्षरी

*

दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से हैं कहानियाँ हैं प्रीति और  प्यार है।

बातें मीठी प्यारी-प्यारी, होतीं  नित बारी-बारी, पुस्तकों  पढ़ाई  का न, यहाँ  कोई भार है।

डाँट   न   डपट   कहीं, छल   न   कपट   कहीं, बच्चों  का तो  दादा पर, पूरा अधिकार है।

दादा  का भी बच्चों में ही, रहता  है  मन  सारा, बच्चों से  ही दादाजी का, घर गुलज़ार है।।

#

~ मौलिक/अप्रकाशित.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service