For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार एक सौ आठवाँ आयोजन है.   

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

18 अप्रैल 2020 दिन शनिवार से 19 अप्रैल 2020  दिन रविवार तक
 
इस बार के छंद हैं - 

कुण्डलिया छंद और सार छंद

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

 

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं. 

कुण्डलिया छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

सार छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 

18 अप्रैल 2020 दिन शनिवार से 19 अप्रैल 2020  दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 5654

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ. भाई अखिलेश जी, सादर आभार ।

'ओबीओ 'चित्र से काव्‍य तक छंदोत्‍सव''

कुंडलिया छंद (देश में वर्तमान हालत के संदर्भ में प्रदत्‍त चित्र पर)

तन मन धन से कर रहे, खुले हाथ सब दान.

अनचाहा संकट घिरा, समय बड़ा बलवान.

समय बड़ा बलवान, कौन निर्धन समर्थ है.

जीवन बचे न आज, बचे धन धान्‍य व्‍यर्थ है.

है कोई असहाय, खिलाते उनको मन से.

आज करोड़ों हाथ, जुड़े हैं तन मन धन से.

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

आदरणीय डॉ गोपाल कृष्ण'आकुल'जी प्रदत्त चित्र पर लाजवाब कुंडलिया छंद हार्दिक बधाई स्वीकार करें

आयी संकट की घडी, आवश्यक है दान ।

बहुत जटिल है खर्च का, करना भी अनुमान ।।

करना भी अनुमान, नहीं बस देना देना ।

कोई भी अब पीर, समय की और सहे ना ।

आयें सारे साथ, समय है यह दुखदायी ।

बढ़ा संक्रमण खूब, घडी संकट की आयी ।।

आदरणीय डॉ. गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' साहब सादर, प्रदत्त चित्र से दान का भाव लेकर आज की विषम परिस्थिति में किस तरह से पूरा देश आगे आ रहा है इसको लेकर सुंदर कुण्डलिया छंद रचा है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. फिरभी छंद की तीसरी और चौथी पंक्ति का अंत रगण से हो रहा है जो की छंद शिल्प के अनुसार उचित नहीं है. सादर.

आज करोड़ों हाथ, जुड़े हैं तन मन धन से.//  देश हित मानवता हित सबको एक होना ही होगा। प्रदत्त चित्र पर बहुत सुन्दर सार्थक छंद रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय डाॅ गोपालकृष्ण जी

आदरणीय  गोपाल  भाईजी

एक ही छंद में सारी बात आ गई हार्दिक बधाई। अशोक भाईजी की सलाह भी उचित है।

ओ.बी.ओ. चित्र से काव्‍य तक छंदोत्‍सव-108

छंद- सार

विधान – 28 मात्रा, 16,12 पर यति, अंत में वाचिक भार 22 गागा l कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत l

गीत

आज घड़ी संकट की हमको, अब इक जुट होना है.

लाखों खोए हमने जीवन, और नहीं खोना है.

आज घड़ी संकट की हमको........

देखी हमने अब तक खुशियाँ, सपने होते पूरे

अब जीवन में कुछ लोगों के, सपने देख अधूरे.

सबकी आँखों में आँसू हैं, सबको ग़म ढोना है.

लाखों खोए हमने जीवन, और नहीं खोना है.

आज घड़ी संकट की हमको.....

भूखा सोए ना कोई भी, देना सबको खाना.

चाहे खिलाएँ अपने हाथों, चाहे घर पहुँचाना.

रक्षक के हाथों में जीवन, काहे का रोना है.

लाखों खोए हमने जीवन, और नहीं खोना है.

आज घड़ी संकट की हमको....

 

पशु पक्षी प्राणी वन उपवन, सबके प्रति चाहत हो.

सब जग में स्‍वच्‍छंद रहें अब, कोई ना आहत हो.

पायें कोई रोग न जैसे, पाया कोरोना है.

लाखों खोए हमने जीवन, और नहीं खोना है.

आज घड़ी संकट की हमको....

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

आदरणीय डॉ गोपाल कृष्ण'आकुल'जी चित्र पर अतिसुंदर एवं सार्थक गीत  सृजन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें

पशु पक्षी प्राणी वन उपवन, सबके प्रति चाहत हो.

सब जग में स्‍वच्‍छंद रहें अब, कोई ना आहत हो.......वाह! इसी की आवश्यकता है. 

आदरणीय डॉ. गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' साहब सादर, प्रदत्त चित्र के भावों पर  सार छंद आधारित सुंदर गीत रचा है  आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. यह अवश्य है की द्वितीय बंध की द्वितीय पंक्ति में 17 मात्राएँ होने से कुछ अटकाव आया है. सादर 

आ. भाई डॉ गोपाल कृष्ण जी,  चित्र पर अति उत्तम एवं सार्थक गीत  सृजन हुआ है । हार्दिक बधाई।

सार छंद आधारित गीत ~

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

विषम काल है विषम परिस्थिति,भय के चहु दिशि साये।
मानवता है सब पर भारी , दृश्य यही सिखलाये ।।

अनदेखे पाहुन ने देखो , ठहराया जग सारा।
किंतु नहीं विपदा वीरों का , तनिक मनोबल हारा ।।
भूख प्यास निज त्याग घरों से ,आज दूर हैं सारे ।
माँ पत्नी भाई संग पीछे , छोड़ आँख के तारे ।।

कर्म पथिक हर अनथक देखो, अपना फर्ज निभाए ।
मानवता है सब पर भारी , दृश्य यही सिखलाए ।।

जीवन कितना क्षण भंगुर है ,श्वासों की गिनती है ।
मानवता की सकल जगत से , हाथ जोड़ विनती है ।।
इनके सद्कर्मों में किंचित , हम व्यवधान न डालें ।
यह प्रसून के अधिकारी हैं , पत्थर नहीं उछालें ।।

क्लिष्ट कर्म को सहज बनाने , जन -जन हाथ बढ़ाये।
मानवता है सब पर भारी , दृश्य यही सिखलाये ।।

व्यक्त करें आभार सभी हम,समझ न आये किस विधि।
विपदा में सुत मातृ भूमि हित,तत्पर ले जीवन निधि।।
यह सच्चे जन सेवक इनका,कोटि -कोटि अभिनंदन।
शब्द -शब्द की सुभग आरती ,शुचि भावों का चंदन ।।

विनत हृदय से जगत 'अना 'यह , इनके माथ लगाये ।
मानवता है सब पर भारी , दृश्य यही सिखलाये ।।

                    ~मौलिक व स्वरचित

आदरणीया अनामिका सिंह जी सादर छंद आधारित इस अनुपम गीत सृजन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाशजी  दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । छंद पर आपका प्रयास सराहनीय…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । खिल उठता है बुझा हुआ मन, आते जब…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी चित्रानुकूल बहुत सुन्दर छंद सृजन। हार्दिक बधाई "
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह...दीपोत्सव के हर आयाम को समेट लिया है आपके इस गीत ने।अंतिम छंद का भाव बहुत सार्थक। हार्दिक बधाई…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी एस टी का जिक्र रोचक बन पड़ा है। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । सरसी छंद की बीस पंक्तियों के लिए…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ हर बरस हर नगर में होता, अरबों का व्यापार।         …"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  ______ जगमग दीपों वाला उत्सव,उत्साहित बाजार। जेब सोच में पड़ी हुई है,कैसे पाऊँ…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"चार पदों का छंद अनोखा, और चरण हैं आठ  चौपाई औ’ दोहा की है, मिली जुली यह ठाठ  विषम…"
13 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service