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मुख्य प्रबंधक बात जवन भुलाला ना (सरस्वती पूजा पर विशेष)बोल बोल कागा, तोरे सगुनवा नीक लागा ..... चिकनी चमेली आ फेविकोल के बीचे जब "कागा" सुनाइल त हम अपना के रोक ना सकनी आ टेक्टर पर छोट-छोट लइकन… Started by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
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Feb 5, 2014 Reply by Shyam Narain Verma |
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सदस्य टीम प्रबंधन दशहरा : भोजपुरी दोहे // -- सौरभजोन्ही भर के जोर पर, चिहुँकल छनकि अन्हार ढिबरी भर के आस ले, मनवाँ सबुर सम्हार रहि-रहि मन अकुतात बा, दुअरा लखन-लकीर सीता सहमसु चूल्हि… Started by Saurabh Pandey |
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Feb 2, 2014 Reply by Dr. Anil Mishra |
बिना माई के ई संसार ना चली ।बिना माई के ई संसार ना चली । कइसे कहल बबुआ , तोहरा से भार ना चली । बड़ कइनी तोहरा के दुधवा पीयाके । छाती से लगा के रखनी दुखवा भुलाके ।… Started by Shyam Narain Verma |
0 | Dec 24, 2013 |
लहरे तिरंगा झंडा अपना देश के शान |लहरे तिरंगा झंडा अपना देश के शान | आजादी के चाहत में केतने दिहले जान | स्वतंता संग्राम के देख दर्द भरी कहानी | भेद … Started by Shyam Narain Verma |
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Dec 1, 2013 Reply by Neelam Upadhyaya |
हाथे मेंहदीहाथे मेंहदी चूड़ी कगनावा, पांवे पइलीया डारी के चलली गोरी पिया संगवा, नईहर नगरीया छोरी के, माई रोवे, बाबू रोवे रोवे दुलरा भ… Started by Akhand Gahmari |
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Nov 26, 2013 Reply by Shyam Narain Verma |
सुन शहरी बाबू जा देख गाँव के नज़ारा |सुन शहरी बाबू जा देख गाँव के नज़ारा | देखि बताव कईसे होई तोहार गुज़ारा | पहिरेल रंग विरंगे ही नया परिधान | शह… Started by Shyam Narain Verma |
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Nov 8, 2013 Reply by Meena Pathak |
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मुख्य प्रबंधक भोजपुरी हास्य घनाक्षरीछंद विधा : घनाक्षरी छंद प्रकार : वर्णिक विधान : [4 x (8+8+8+7)] **** सात साल के छोटुआ, माने नहीं आवऽत बा गारी पारि-पारि देखs, मास्टरे… Started by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
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Nov 8, 2013 Reply by Meena Pathak |
सावनी गीतसावनी गीत सावन क आयल महीनवा हो हियरा हुलसाईल चनवा क जईसे चननिया हो अड.गना उतराईल ! १ – पण्डित पाहुन अग… Started by mrs manjari pandey |
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Oct 18, 2013 Reply by रामनाथ 'शोधार्थी' |
उपदेश बतावेलनगुरु के बिना सबके संसार बा अधूरा । जबे मीलिहें गुरुजी हो जाई पूरा । अँगूरी पकड़ी लिखे पढ़े सिखावेलन , मीठी बतिया से दिल बहलावेलन । सब के… Started by Shyam Narain Verma |
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Oct 4, 2013 Reply by Saurabh Pandey |
कजरी व्यंग्यकजरी व्यंग्य कोइल कूक रही निबिया की डारी पिया करै छेड्खानी पिया ना ! १ – पूछी कोइलिया से मै आज निबिया पे तैं कहे स्वाद बदलने को… Started by mrs manjari pandey |
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Oct 4, 2013 Reply by Saurabh Pandey |
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