For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बोल बोल कागा, तोरे सगुनवा नीक लागा  .....
चिकनी चमेली आ फेविकोल के बीचे जब "कागा" सुनाइल त हम अपना के रोक ना सकनी आ टेक्टर पर छोट-छोट लइकन के गावत बजावत अबीर उड़ावत सरसती जी के भसान करे जात देखे लगनी, फेनु त इयाद के झोका कब अपना में उड़ा ले गईल पते ना चलल । वोह घरी कक्षा छ: में पढ़त रहनी जा, आठ दस लइकन के टोली सरसती पूजा के तैयारी करे लागल, चंदा खातिर रसीद छपल-छपावल माने रेडीमेड बिकात रहे जवन किन के आइल, अब पहिला काम सुरु भईल घरे घरे आ दुवारे दुवारे चंदा मांगे वाला, कोई रुपिया दू रुपिया देवे आ कोई झिडिक दे, इ पहिला अनुभव रहे, हमरा बड़ा खराबों लागे । कई भाई लोग त पहाड़ा सुने तब दू गो रुपिया दे ।
बाबूजी केनियों से चंदा मांगत देख लिहले, फेरु त सांझी के उनुकरो क्लास सुरु हो गईल, खूब डटलें बाकिर एक सौ रुपिया निकाल के दिहले । उनुकर वोह दिन के कहल बात कबो ना भुलाला, "बबुआ जिनगी में मांगे के ना देवे के आदत सिखु" एगो वाक्य साचो केतना जिनगी के बदल देला उ आजु हमरा बुझात बा ।

खैर हमनी में अब इ तय भईल कि अब चंदा दोसरा से ना मंगाई, आपन आपन घर से मांगल जाई अउरो कोई जिद्द ना करी, जेतना मिल जाई वोतने में पूजा होई । कुल साढ़े चार सौ रुपिया बिटुरा गईल जेमे से 165 रुपिया के छोटहने बाकिर सुन्दर मूर्ति आईल, चाची आ माई लोग धराऊ साड़ी अउरो चादर दे दिहल लोग जेसे पंडाल बन गईल, खूब बढ़िया से पूजा पाठ भईल, भसान खातिर भईया बगल के पूजा मंडली वालन के साथे टेक्टर पर वेवस्था करवा दिहलन आ अपने देख रेख में भसान करवावे लिया गईलन, फेनु टेक्टर पर अबीर के बीच सुरु हो गईल .... 
बोल बोल कागा, तोरे सगुनवा नीक लागा ।

=================================================================================

टेक्टर = ट्रैक्टर, सरसती = सरस्वती, भसान = मूर्ति विसर्जन, धराऊ = सहेज कर रखा हुआ समान

=================================================================================

हमार पिछलका पोस्ट => भोजपुरी लघु कथा : पकडुआ बियाह

Views: 1741

Replies to This Discussion

 "बबुआ जिनगी में मांगे के ना देवे के आदत सिखु" 

बहुत ही उम्दा बात कहनी बाबूजी। बचपन से व्यवहारिक-सामाजिक-सांसारिक शिक्षा के नींव दिहल जात रहल हा ओह समय। ऊहे सब बात आज हमनी के जिनगी के अनमोल मोती बन के सामने आ रहल बा। 
सरस्वती पूजा के बहुते नीक विवरण देले बानी अपने एह अनुभव-आलेख में। एह आलेख में गुदगुदाहट भी बा आ भावनात्मकता भी बा। शिक्षण भी बा आ जीवन के अनुभव भी बा। 
बहुत सुन्दर, बहुत भावपूर्ण।

बहुते आभार आदरणीय राज भाई, राउर प्रेम से तरबोर सराहना मिलल अउर लेख के मूल भाव के रउआ आपन टिप्पणी में जगह दिहनी । हमार लिखल सार्थक भईल ।

बहुत पुरान बात इयादि पार दिहलऽ ए गनेस भाई.. .  एकदम आपन-आपन अस अनुभव भइल.. . बहु-बहुत बधाई.. .

 

हमनी के तब चौदह पनरह बरीस के होखब जा.. . अइसहीं सरसत्ती माई के पूजा ठानीं जा. चन्दा, चिट्ठा, पूजा-पाठ, साज-सज्जा, पंडाल, परसादी.. आ दू-तीन दिन रात भर के जगरना..  माइक प मनचाहा गावे के सुख... .  आ फेर बाबूजी से निहोरा जे भसान खातिर ट्रक के इंतजाम करवावसु.. . सरसत्ती माता..बिद्यादाता.. सरसत्ती माई की जै.. करत नदी मे भसान होखो. चन्दा के घरिया ओइसहीं परीक्षा से गुजरे के परे.. . बाबूजी कहसु जे ईहो कुल्हि सीखे-जाने के चाहीं. आ चन्दा केतना एक भा दू रोपया .. ढेर से ढेर पाँच रोपया. कवनो-कवनो उदार ’चाचा’ लोग दसो रोपया देस त उनका पूजा बाद दू हाली परसादी दियाओ.. . उनका घरहूँ भेजावावे बेवस्था होखो.. .

आ आयोजन के समापन के तीन-चार दिन बाद कुल्हि संघतिया लोगन के आलगा-आलगा बाबूजी के रिपोर्ट लीख के देखावे के होखे जे का अनुभव भइल आ शिक्षा मीलल. हमनीं के पन्ना-पन्ना भरीं जा. आ ओह पर हमनीं के लीखे के माने बतावल जाये.. .

गनेस भाई, तहार लीखल कतना सोचे के कारन बनल बा आ ओह गुजरल समय के एक हाली फेर से हम जी सकनीं, एह खातिर तहार हिरदय से बधाई. तहार लिखलका दिल से निकलेला, शब्द भाव के संगे आवेलन सँ. बहुत-बहुत शुभकामना.. .

आदरणीय सौरभ भईया, बहुते कुल बात मन मस्तिष्क में छप जाला, जवन अनुकूल माहोल में ईयाद पड़ जाला, हमार इ संस्मरण जदि रउओ के कुछु इयाद करा दिहलस त लिखल सुफल भइल । बहुत बहुत आभार सराहना खातिर ।

आदरणीय क्या पैनी दृष्टि है। कहाँ से सोच निकाली है।  " जवन भुलाला  नाही "  लागल जे अपने बतिया रवुआ कही दिहनी। ऐसन वाकया अकसरे सबहीं के साथ होखत होई बाकि रावुर  अभिव्यक्ति जईसे हाथी के पैर में सबहीं समां गईल। बड़ा नीक  लागले के संगहीं  आनंद आ गईल। बहुते बधाई रउवा  के।

//रावुर  अभिव्यक्ति जईसे हाथी के पैर में सबहीं समां गईल//

आदरणीया मंजरी पाण्डेय जी, बहुत निक लागल राउर तारीफ़ करे के सलीका, मन दोबाला हो गईल, लिखल सुकलान हो गईल, राउर बेर बेर आभार ।

..बहुत अच्छी शिक्षाप्रद घटना का उदाहरण है ये!... "बबुआ जिनगी में मांगे के ना देवे के आदत सिखु"..पढ़ कर मन प्रसन्न हुआ बागी जी!....आभार!

इसके भाव संक्षिप्त में हिंदी में समझावे आदरणीय तो उचित रहेगा 

बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति , बधाई आप को | सादर 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
10 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 16

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service