परम आत्मीय स्वजन,
ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 92 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब अख्तर शीरानी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|
"अब मुस्कुरा के भूल न जाएँ तो क्या करें "
221 2121 1221 212
मफ़ऊलु फाइलातु मफ़ाईलु फाइलुन
(बह्र: मुजारे मुसम्मन् अखरब मक्फूफ महजूफ )
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 23 फरवरी दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 24 फरवरी दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आदरणीय नीलेश जी अच्छी गज़ल कही आपने बहुत मुबारकबाद ......
आदरणीय नीलेश जी बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई क़ुबूल करें
भाई नीलेश जी khooख़ूब ग़ज़ल के लिए बधाई
आदरणीय नीलेश जी वाह के इलावा कुछ नहीं । एक बेहतरीन पेशकश । हर शेर बधाई का पात्र ।
रुख से न वो नक़ाब उठाएं तो क्या करें
चिलमन से दिलजलों को जलाएं तो क्या करें
हमने तो बार बार पुकारा उन्हें मगर
सुनकर भी वो सुनें न सदायें तो क्या करें
है जिस पे हमने हार दिया ज़िन्दगी को भी
हम दिल भी उनका जीत न पाएं तो क्या करें
जिनका ख़याल दिन में न रहने दे चैन से
रातों को ख़्वाब में भी सताएं तो क्या करें
देखो जिसे नाखून हैं उसके बढ़े हुए
हम ज़ख्म सभी से न छुपाएं तो क्या करें
यूं भी नहीं कि अपना नहीं कोई खैरख्वाह
ग़र रास ही न आएं दुआएं तो क्या करें
अपनों ने ही दिए थे मुझे अश्क़ आंख में
अब मुस्कुरा के भूल न जाएं तो क्या करें
~~मौलिक एवं अप्रकाशित
आदर्णीया अन्जली गुप्ता जी बहुत खूबसूरत शेर कहें हैं। मुबारकबाद कुबूल फरमायें लेकिन देखो जिसे नाखून शेर के दोनों मिसरे बह्र में न होने से पुन: गौर फरमाने की ज़रूरत है।
जी शुक्रिया, बिल्कुल दुरुस्त फरमाया आपने
यहां गलती हुई
आदरणीय ज़रा देखिएगा अब
'देखो जिसे भी उसके हैं नाखुन बढ़े हुए
हम सब से जो न ज़ख्म छुपाएं तो क्या करें
बहुत ख़ूब,
एक बात बताना चाहूंगा कि 'नाख़ुन' शब्द 'नाख़ून' का मुख़फ़्फ़फ़ यानी (short form} है ।
जी बह्र में लाने के लिए इस्तेमाल करना पड़ा।क्या सही है या कुछ और कोशिश करें।
शुक्रिया । सादर
जी,बिल्कुल सही है,मैंने तो सिर्फ़ जानकारी के लिए बताया,दोनों तरह से ये शब्द सही है ।
आदर्णीया अंजली जी,
सुन्दर रचना, हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
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