For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन । 

पिछले 84 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :


"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-85

विषय - "बाल साहित्य"

आयोजन की अवधि- 10 नवम्बर 2017, दिन शुक्रवार से 11 नवम्बर 2017दिन शनिवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल

नज़्म

हाइकू

सॉनेट
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु,  एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.    

  • रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  • सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.


आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 10 नवम्बर 2017, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें


मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर 
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 8661

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय शेख शहजाद भाई

रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार।

आदरणीय अखिलेश सर, आपने अपनी इस प्रस्तुति से मुग्ध कर दिया. तारों के बहाने आपने हमें भी बचपन तक पहुंचा दिया. //तेज  हवाएं  चलती हैं  पर, कभी नहीं गिरते हैं तारे।। // पंक्ति ने तो मोह लिया. इस शानदार बाल कविता के लिए बहुत बहुत बधाई. सादर 

आदरणीय मिथिलेश भाईजी

रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार।

अंतिम पंक्ति में संशोधन करना चाहूंगा। कृपया "बाल साहित्य"महा उत्सव 85 का संकलन अवश्य कीजिए।

दादी  कहती  खूब पढ़ो तुम , आयेंगे तब चांद सितारे।

आओ साथ पढ़ें फिर खेलें , आँगन में उतरेंगे तारे।।

सादर

आदरणीय अंक 85 का संकलन समय से ही प्रस्तुत होगा. पूर्व अंकों के संकलन भी प्रस्तुत किये जा चुके हैं. सादर 

बहुत खूब आडरणीय अखिलेश जी,उम्दा बाल कविता हुई है।हार्दिक बधाई

आदरणीय सतविन्द्र भाई

रचना की प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार।

       

बाल गीत


नभ की दुनिया मुन्नू को तो, एक पहेली लगती है I
सोच रहा वो तारों के भी. क्या घर में माँ रहती है II


सूरज को भी क्या उसकी माँ, माथा चूम जगाती हैI
आनाकानी जब वो करता, क्या फिर डांट लगाती हैII
मुझे जगाती है मेरी माँ, जब सूरज नभ पर आता I
कैसे जगता सूरज मुन्नू, सोच सोच ये चकराता II
क्या सूरज की माँ भी घर में, सबसे पहले जगती है I
नभ की दुनिया मुन्नू को तो, एक पहेली लगती है II


चंदा के घर में जो दादी, चर्खा तेज चलाती है I
किसका कुर्ता बुनने को वो, सूत कातते जाती है II
अमियाँ फाँक कभी लगता है, कभी गोल है बन जाता I
सोच रहा मुन्नू चंदा नित, नए रूप कैसे लाता II
चंदा से किस्से उसकी माँ, किस मामा के कहती है I
नभ की दुनिया मुन्नू को तो, एक पहेली लगती है II


नटखट तारे देर रात तक, नभ में खेला करते हैंI
कभी कभी तो उछल कूद में, टूट धरा पर गिरते हैंII
नहीं डाँटती क्या माँ उनकी ,देर रात तक जगने मेंI
शाला में वो सोते होंगे, रोते होंगे पढ़ने में II
क्या नटखट तारों की माँ भी, दौड़ भाग कर थकती हैI
नभ की दुनिया मुन्नू को तो, एक पहेली लगती है II


मौलिक व् अप्रकाशित

आदरणीया प्रतिभा पांडे जी आदाब, शरारत, मस्ती, शिकायत और सरसता से भरपूर सुंदर बाल गीत की प्रस्तुति पर दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

  आपने रचना के भावों को मान दिया लिखना सार्थक हुआ ,हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी 

आदरणीया प्रतिभा जी आपकी बाल कविता बहुत ही बेहतरीन भावों से सुसज्जित है इस आकर्षक सृजन के लिए आपको बहुत बहुत बधाई

इस प्रयास पर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय डॉ छोटेलाल सिंह जी 

आदरणीया प्रतिभाजी

नभ की दुनिया मुनिया को तो, एक पहेली लगती है I
सोच रही वो तारों के भी. क्या घर में माँ रहती है I

' कन्या" के पक्ष में हम सब बातें खूब करते हैं पर अरबपति से लेकर  कामगार और साहित्यकार तक सभी को बस बेटा ही चाहिए। बिटिया को भी माँ बेटा बेटा कहकर खिलाती है।

बहुत ही मधुर है यह बाल गीत, बच्चों को सिखाने लायक।हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
17 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service