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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-80 (विषय: आकर्षण)

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-80 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है,
:  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-80
"विषय: 'आकर्षण'  
अवधि : 29-11-2021  से 30-11-2021 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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जनाब शहजाद साहिब, प्रदत्त विषय पर शानदार लघुकथा हुई है, मुबारक बाद कुबूल फरमाएं 

आदाब। रचना पटल पर समय देकर मेरी यूँ  हौसला अफ़ज़ाई करने हेतु शुक्रिया जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब।

आदरणीय शेख शहजाद जी,  बेहतरीन लघुकथा हुई है।  हार्दिक बधाई ।

आदाब। रचना पर अपनी राय साझा कर लेखक को प्रोत्साहित करने हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्री तेजवीर सिंह जी। सुझाव भी दिया कीजिए कमियाँ दूर करने हेतु।

लघुकथा - तलाश (आकर्षण)
मानव अपने माता पिता के साथ लखनऊ के एक शादी हाल में किसी मिलने वाले की लड़की की शादी में आया है l बारात आ चुकी है, सब लोग खाना खाने में व्यस्त हैं l पंडाल में दूल्हा और दुल्हन को फेरों के लिए बिठाया जा रहा है l
इसी बीच वर पक्ष और वधु पक्ष में दहेज को लेकर बहस छिड जाती है l वधू पक्ष के लाख मिन्नत करने पर भी वर पक्ष वाले नहीं मानते, बल्कि बारात वापसी की धमकी देते हैं l
ये सब मंज़र देख कर मानव की नजर दुल्हन पर पड जाती है वो फौरन माँ के पास जा कर कहता है " यही है वो लड़की जिसे मैं ने पहली बार किसी शादी में देखा था l ये मिली भी तो किस हाल में"
माँ ने कहा "बेटा इसी की वजह से तूने कोई लड़की शादी के लिए पसंद नहीं की"
उधर बारात जा चुकी थी, दुल्हन के माता पिता को मायूस और दुल्हन को अकेला मंडप में बैठा देख मानव के पिता ने दुल्हन के माता पिता की तरफ देखा और मानव को इशारा किया
मानव फौरन ही दुल्हन के पास जाकर बैठ गया
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

आकर्षण की इंतहा और तलाश की परिणति। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा सकारात्मक रचना। हार्दिक बधाई जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब। ... ऐसा हो भी सकता है।

जनाब शहजाद साहिब आ दाब, आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन कथा हुई है । हार्दिक बधाई।

जनाब भाई लक्ष्मण धा मी साहिब, आपकी is हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान साहब जी।बहुत सुन्दर लघुकथा।

जनाब तेज वीर साहिब, आपकी इस हौसला अफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

 रूप बावरी  - लघुकथा -

"अरे बहिन, ये क्या हुआ, तुम्हारे शरीर से रक्त कैसे बह रहा है?”

"कोई विशेष बात नहीं है ? ये दो आवारा लड़कों की करतूत है।

"क्या कह रही हो? इतनी हिम्मत किस की हो गयी कि रावण की बहिन को छू सके?”

"उधर हमारे जंगल में दो क्षत्रिय राजकुमार शिकार कर रहे थे। मैंने उनको रोका तो उनमें से एक ने मेरा शील भंग करने की चेष्टा की। विरोध करने पर उसने मुझे लहूलुहान कर दिया।

इतना दुस्साहस? ठीक है, तुम चलो मेरे साथ, मैं अभी उनको मजा चखाता हूँ।" 

"अरे नहीं भैया, यह तो मामूली सी घटना है। वे अभी तक तो चले भी गये होंगे । वैसे भी आजकल समाज में कौन इस बात की परवाह करता है कि ये किस की बहिन या बेटी है।वे तो स्त्री का रूप और देह देखते हैं ।

"तुम साधारण स्त्री नहीं हो। एक राजा की बहिन हो। तुम्हारा मान सम्मान सर्वोपरि है।हम मारीच को भेज कर पता करेंगे कि किस ने यह साहस किया था? हम उनसे बदला भी लेंगे और उन्हें एक सबक भी सिखायेंगे कि नारी सम्मान क्या होता है।

वाह, भाई जी, आपके मुँह से इतनी ज्ञान भरी बात सुन कर आनंद आ गया। वैसे जब मनुष्य के सिर पर रूप और वासना का भूत सवार होता है तो वह सारी मान मर्यादा ताक पर रख देता है।" 

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