For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" हीरक जयंती अंक-75 (विषय मुक्त)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" हीरक जयंती अंक-75 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है, यह हमारे परिवार के लिए एक एतिहासिक क्षण ही कि यह गोष्टी 75वें पायदान पर कदम रखने जा रही हैI अत: यह अंक विषयमुक्त रखा गया है अर्थात हमारे रचनाकार अपने मनपसंद विषयों पर अपनी दो मौलिक और अप्रकाशित लघुकथाएँ पोस्ट कर सकते हैंI तो प्रस्तुत है:  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" हीरक जयंती अंक-75
अवधि : 29-06-2021  से 30-06-2021 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी दो लघुकथाएँ पोस्ट कर सकते हैं। (एक दिन में केवल एक)
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 6414

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

सोसल मिडिया के इस रूप को बहुत ही सफलता से उकारा है आदरणीया । स्त्रियों को इंगित कर दी जाने वाली गलियों से पुरुष वर्ग सबसे अधिक आहत होते है तभी शायद ये गालियां बकी जाती है, मैंने तो औरतों को भी औरतों को इंगित करती गलियों का प्रयोग करते देखा और सुना है. बहरहाल विमर्श पर मजबूर करती एक अच्छी लघुकथा हुई है, बधाई स्वीकार करें आदरणीया दिव्या जी. 

सर आपकी बात बिल्कुल सत्य है।महिलाएं भी गालियां देने में संकोच नहीं करती।आभार आपका।

धार्दार रचना के लिये बधाई दिव्या

           हार - जीत

गाँव  के प्रधान  हरीश च॔द की  इकलौती  बिटिया  की शादी  थी ! बारात  पंचायत घर में ठहरी  थी ! वरमाल  का समय रात  आठ  बजे  हरीश च॔द के दरवाजे पर तय था ! सो घर तो घर पूरे गली - मौहल्ले  को दिलफरेब ढंग  से तरह-तरह की बंदनवार से सजाया  गया था  ! बिजली  की जलती  बुझती  लड़ियाँ मनमोहक छटा  बिखेर  रही थीं !

सारे  घर में खुशियों की धमा-चौकड़ी लगी  थी ! सभी सगे-सम्ब॔धी अपने-अपने दायित्व के तहत  व्यवस्था  को बेहतर  बनाने की जी-तोड़  कोशिश कर रहे थे ! बारात  हरीश च॔द के दरवाजे  आठ  बजे  पहुँचने वाली थी ! 

लेकिन  यह  क्या,,,,! रात्रि  के आठ  तो बज  चुके  थे ! और, बारात का कोई अता-पता नहीं था ......!  आखिर   हुआ  क्या ...! भातई राम  जी लाल दौडते-दौड़ते बारात ढूंढ़ने निकले...!  यह क्या....सारे बाराती  और दूल्हा अपने  पिता  समेत हरीश चंद प्रधान  के चुनाव  में पराजित  प्रतिद्वन्दी रमेश  मिश्रा के प्रतिष्ठान  पर आवभगत का आनंद उठा  रहे  थे! कोई  रसमलाई पर टूट  पड़ा था  तो कोई  रबड़ी खाए जा  रहा  था ! और कुछ  अन्य मेवा वाले कढ़ाई  दूध पर लट्टू  थे  ... राम जी लाल ने लौट कर जो  सूचना दी ...मास्टर हरीश  च॔द  समझ गये,  इस प्रतियोगिता  का विजेता  हारा  हुआ  उनका  प्रतिद्वन्द्व रमेश  मिश्रा  था  ! बेटी उनकी  ब्याह  रही  थी , और  आवभगत  की  जिम्मेवारी उनका प्रतिस्पर्धी  ले उड़ा  था .....!

मौलिक एवम्  अप्रकाशित 

ओह, रिश्तों में भी मौकापरस्ती।

जी नहीं, दिव्या, लघुकथा, निवेदित है, एक बार  फिर  पढ़े ! कहना  न होगा कि ग्रामीण परिवेश , कम से कम जहाँ  मैं  पिछ्ले  पैंतालीस  वर्ष  से जीवन-यापन  कर रहा हूँ, इसी तरह का है ! यहाँ गाँवों में एक अलिखित किन्तु सुदृढ  परम्परा  है कि ग्राम  इकाई  के तौर  पर परिवार का ही वृहद स्वरूप है! सो ग्रामीणों के आपसी  विवादों के फैसले  न्याय पंचायत  से  पहले छत्तीस बिरादरियों / जातियों की पंचायत  करती है ! अत: गाँव की बेटी, अपने जैविक माँ-बाप की ही

नहीं, सभी जातियों -धर्मों की बहन- बेटी  होती  है ! अंततोगत्वा लघुकधा का एक मात्र  संदेश यही है कि रस्मो- रिवाज पर कोई  'हार जीत' हावी नहीं हो सकती ! साभार 

सादर नमस्कार। घटनाओं के तानेबाने पर विवरणात्मक बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय चेतन प्रकाश जी। शेष गुरुजन बतायेंगे।

आदान, Sheikh Shahzad Usmani !"घटनाओं का ताना- बाना" आप  को कैसे दिखाई पड़ा जहाँ  लघुकथा  का केन्द्र बिन्दु मात्र  बारात की आवभगत पर टिका  है, जो वरमाल पर हरीश चंद के दरवाजे होने के बजाय  रमेश मिश्रा  के प्रतिष्ठान पर हुई !

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, नमस्कार, मैं भी गाँव में पैदा हुआ।पला बढ़ा।अभी भी जाता हूँ। दो दो महीने रहता हूँ ।शादी ब्याह  भी बहुत देखे हैं और शामिल भी हुआ हूँ। लेकिन आपने जो विवरण प्रस्तुत किया है। वह अकल्पनीय है।शादी ब्याह  में हर कार्यक्रम पूर्व निर्धारित होता है। बारात कहाँ रुकेगी, कहाँ स्वागत होगा, कहाँ जलपान होगा ,  कहाँ बारात ठहराई जायेगी। सब पहले से तय होता है। और सबसे मुख्य बात यह होती है कि बारात के मार्ग दर्शन हेतु भी पहले से  आदमी नियुक्त होते हैं। बिना लड़की वाले के सलाह मशविरे के  बारात ऐसे ही किसी के यहाँ नाश्ता करने नहीं रुक सकती। यह बिल्कुल असंभव और मिथ्या प्रसंग है। इससे लड़की वाले की व्यवस्था में बद  इंतजामी  फैल जायेगी। दूसरी बात, बारात को ढूंढ कर लाना भातई का कार्य नहीं होता। उसके लिये नाई को भेजा जाता है। जो उस गाँव की गली गली से परिचित होता है। आपकी लघुकथा में सत्यता का अभाव है। कोरा बनावटी तथा अविश्वसनीय कथ्य है। सादर।

 तेजवीर सिंह  जी, आदाब, आप लघुकथा की समीक्षा कर रहे है, जो विशेष  अंचल  की परम्परागत शादी-ब्याह की पृष्ठ भूमि पर  लिखी  गयी  है! और,  नाई की भूमिका शादी-ब्याह में सदैव  से  ही सीमित  रही है! आकस्मिक  परिस्थितिजन्य अवसर पर भातई ही नहीं  कोई  भी  चिंतित  सम्बन्धी  कुछ भी करने को तत्पर  रहता  है! वैसे भी जीवन आपकी  किताब मे लिखी  व्यवस्था अथवा सनक  से नहीं अपनी  गति से चलता  है, जनाब  ! और कोई  भी कथा साहित्य, कहना  न होगा,  यथार्थ की पृष्ठभूमि पर किचिंत कल्पना का समन्वय ही है, जिस रचना / सर्जना प्रक्रिया का कदाचित आपको  ज्ञान नहीं है !

वैसे, आपकी प्रथम प्रतिक्रिया / समीक्षा मेरी लघुकथा के सम्बन्ध मे उत्साहवर्धक थी ! साभार  !

आदरणीय चेतन जी, आप जैसे अति विद्वान पुरुष को समझना और समझाना बहुत टेढ़ी खीर है। जो व्यक्ति अपने आपको सदैव सही दर्शाने की चेष्टा करता है, अपनी भूल कभी स्वीकार नहीं करता। उसे ईश्वर भी नहीं सुधार सकता। वैसे आपने जिस गुरू से या पुस्तक से लघुकथा विधा का ज्ञान प्राप्त किया है उसका नाम अवश्य जाना चाहूंगा। यदि आपको कोई ऐतराज ना हो।

जनाब, तेजवीर सिंह, सर्जनात्मक तथ्यों  पर बात  कीजिए,  बेहतर  होगा ! हाँ, आपकी जिज्ञासा शांत  करने  के  लिए  बता दूँ, जीवन पर्यन्त मैंने लघुकथा ही नहीं, साहित्य  और काव्य  विभिन्न विधाओं का अध्ययन  / अध्यापन / आलोचना  ही की है ! सो, आदरणीय, विशेष रूप से  मेरा  अध्ययन  / विश्लेषण ही मेरा  गुरु है! साभार

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
4 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
5 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
7 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service