For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-64 (विषय: प्रयास)

आदरणीय साथियो,
सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-64 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-64
विषय: "प्रयास"
अवधि : 30-07-2020 से 31-07-2020
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फ़ॉन्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है।
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाए रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पाएँ इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद ग़ायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आसपास ही मँडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया क़तई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा ग़लत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिसपर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फ़ोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
.
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 6864

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

कथा को पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आपका प्रतिभा जी ।

भाषा के बहाने राजनीति पर लिखी गई आप की लघुकथा बहुत ही प्रभावी बहुत ही प्रभावी बनी है। हार्दिक बधाई इस बेहतरीन लघुकथा के लिए।

कथा पर सकारत्मक विचार प्रस्तुत करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय..।

एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दे पर एक बहुत ही अर्थगर्भित लघुकथा कही है आ० कनक हरलालका जी. मातृभाषा का दर्द बहुत ही अच्छी तरह से उभरकर सामने आया है. शब्द 'लाल चाय' को 'काली चाय' कर देना बेहतर होगा. 'भारतबर्ष' को भी 'भारतवर्ष' करें और इस प्रभावशाली लघुकथा हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें.

  • आदरणीय योगराज सर..कथा पर आपने समय दिया हार्दिक आभार आपका । गलतियों पर ध्यानाकर्षण के लिए आभार।मैं अवश्य सुधार कर लूंगी।

बहुत बढ़िया रचना , बधाई आपको

हार्दिक आभार बर्षा शुक्ला जी कथा पर सकारात्मक मत दिया आपने।

आ. कनक जी, सुन्दर कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।

माँ के आँसू
(लघुकथा)
डॉ रोहित के रेहबीटेशन सेंटर में जैसे ही ड्रग एडिक्ट्स उमेश के ठीक हो जाने पर, उसकी माँ ने डॉ रोहित के पैर छूने चाहे। डॉ रोहित ने स्वयं झुक कर उन्हें ऊपर उठा लिया। और हाथ जोड़कर उनका अभिवादन किया।
- माता जी आप जैसे उमेश की माँ हैं वैसे मेरी भी हैं। मुझे आशीर्वाद दीजिये कि मैं इसी प्रकार आप जैसों कि सेवा करता रहूँ।
- हाँ, बेटे अवश्य।
और उनका हाथ आशीर्वाद स्वरूप डॉ रोहित के सर पर चला गया। तभी डॉ रोहित ने नोटिस किया उनकी आँखों से आँसू के दो क़तरे लुढ़क गए। ये क़तरे देख, डॉ रोहित की आँखों में पहले तो एक धुंधला सा नेगेटिव आया। फिर रोहित की आँखों की नमीं ने जब उस नेगेटिव को साफ किया तो वही तस्वीर थी। जिसमें एक माँ तेरह साल के बच्चे को स्कूल की बस में बैठा कर आशीर्वाद देकर आँसू के क़तरे अपनी साड़ी के पल्लू में समेंट लेती है। और पक्का दिल करके मुँह फेर लेती है।
तब रोहित को अच्छा नहीं लगा था। क्योंकि रोज़ माँ स्कूल की बस में बैठा कर, मुस्कुरा कर हाथ हिलती थी।
उस दिन स्कूल बस से माँ लेने भी नहीं आई थी। और जब सारी हवेली में उस ने चिल्ला-चिल्ला कर माँ को पुकारा था तब माँ वहाँ नहीं थी।
हवेली के सारे नौकर खामोश थे।
तब रोहित ने फोन पर पापा से पूछा था।
- हेलो पापा, माँ घर पर नहीं हैं। आपको पता है कहाँ है?
- बेटे, कहीं गई होगी। आजाएगी, "रामू काका तुम्हें खाना दे देंगे। तुम खाना खाकर सो जाओ।"
- पापा, "आप कब आओगे?"
- बेटे मुझे थोड़ा देर हो जाएगी।
रोहित इंतिजार करता रहा लेकिन माँ नहीं आई। पापा देर रात कब आए पता नहीं।
हाँ, दूसरे दिन बुआ जरूर आ गईं थी। फिर क्या था पापा अब और देर से आने लगे। हवेली की सारी व्यवस्था अब बुआ और फूफा जी के हाथ में थी। एक दिन बुआ ने उसे बताया, पापा की नशे की आदतों से तंग आकर माँ ने ये घर छोड़ दिया।
फिर क्या था, रोहित ने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित कर लिया जैसे कोई प्रतिज्ञा सी कर ली हो। मेडिकल में सिलेक्शन के बाद पापा ने पूछा था।
- रोहित क्या तुम रियली डॉ बनना चाहते हो?
और उसने कहा।
- जी, पापा।
- देखो बेटे, मेरा बहुत बड़ा कारोबार है और तुम इसके इकलौते वारिश। अब तो मेरे शौक भी मेरी जान के दुश्मन बन गए हैं। पता नहीं कब तक ज़िंदा रहता हूँ।
- लेकिन पापा, मैं तो डॉक्टर ही बनना चाहता हूँ।
- क्या करोगे तुम डॉक्टरबन कर?
- पापा मैं ड्रग एडिक्ट्स का इलाज करना चाहता हूँ। मेरा प्रयास होगा कि मेरी जैसी अनेक माँओं के आँख से आँसू पोंछ सकूँ।
(मौलिक व् अप्रकाशित)
- मुज़फ्फर सिद्दीकी
- भोपाल म प्र

आदाब। आज की गोष्ठी की एक और भावपूर्ण प्रेरक रचना। हार्दिक बधाई जनाब मुज़फ़्फ़र इक़बाल सिद्दीक़ी साहिब माँ/ड्रग एडिक्शन और पिता विमर्श पर इस बढ़िया रचना के लिए। 'निगेटिव' का सुंदर प्रयोग। शीर्षक कुछ सरप्राइज़िंग व नया ले सकते थे।

हार्दिक बधाई आदरणीय मुजफ़्फ़र इक़बाल सिद्दिक़ी साहब जी।बहुत मार्मिक लघुकथा। एक बेहतरीन संदेश।

बहुत शुक्रिया शेख साहब। आपकी सलाह सर आँखों पर। शीर्षक का उचित नाम सुझाएँ। 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रिचा जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
4 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय इंसान जी अच्छा सुझाव है आपका सहृदय शुक्रिया ग़ज़ल पर नज़र ए करम का"
5 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय जयहिंद  जयपुरी जी सादर नमस्कार जी।   ग़ज़ल के इस बेहतरीन प्रयास के लिए बधाई…"
2 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय नीलेश भाई जी सादर नमस्कार जी। वाह वाह बेहद शानदार मतला के साथ  शानदार ग़ज़ल के लिए दिली…"
2 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण जी सादर नमस्कार जी। क्या ही खूबसूरत मतला हुआ है। दिली दाद कुबूल कर जी।आगे के अशआर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय Aazi जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार बहुत बहुत शुक्रिया आपका, आपने इतनी बारीकी से ग़ज़ल को देखा  आपकी इस्लाह…"
3 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब! ग़ज़ल का बहुत अच्छा प्रयास हुआ है जिसके लिए बहुत बहुत बधाई हो। मतला यूँ देखिए…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय आपने आदरणीय तिलक राज सर की इस्लाह भी ख़ूब हुई है ग़ज़ल और निखर जायेगी"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय आदरणीय तिलक राज सर की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी अच्छी इस्लाह हुई है"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय इतनी बारीकी से इस्लाह की है आदरणीय तिलक राज सर ने मतले व अन्य शेरों पर काबिल…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service