For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
ADMIN
OBO

Views: 73724

Reply to This

Replies to This Discussion

आज हमारे परिवार के सक्रिय सदस्य एवम सबके चहेता आदरणीय अलीम आज़मी जी और आदरणीया ममता पाण्डेय जी का जन्म दिन है, हम सभी आप के लम्बी उम्र और सफल जीवन की कामना करते है, जन्म दिन की बहुत बहुत शुभकामनाये स्वीकार करे,
janadin ki bahut bahut shubhkamnaye aleem jee aur mamata jee...

bhagwaan se yahi prarthana hai ki aap dono ko duniya ki saari khusiya mile aur aaplog ke jeewan me dukh naam ka koi chij hi naa ho.......

shubhkamna sahit.......PREETAM TIWARY


Admin said:
आज हमारे परिवार के सक्रिय सदस्य एवम सबके चहेता आदरणीय अलीम आज़मी जी और आदरणीया ममता पाण्डेय जी का जन्म दिन है, हम सभी आप के लम्बी उम्र और सफल जीवन की कामना करते है, जन्म दिन की बहुत बहुत शुभकामनाये स्वीकार करे,
भाइयो मैं आज से 15 साल पहले हुई एक घटना का ज़िक्र करना चाहता हू, वो दिन था 15 जून 1995 जब मैं और सरोज जी प्यार के बंधन मे बँधे यानी आज के दिन ही हमारी शादी हुई थी,
धन्यवाद,
साथियो, आज हमारे प्रिय श्री गणेश जी "बागी" की शादी कि 15 वीं सालगिरह है ! इस शुभ अवसर पर मैं अपनी एवं समस्त oBo परिवार कि तरफ से उनको शुभकामनाएं देना चाहता हूँ ! मैं परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि आपकी जोड़ी युगों युगों तक बनी रहे, और भगवान आपको और आपके पूरे परिवार को हर ख़ुशी और हर सफलता बख्शे !
बहुत बहुत धन्यवाद योगराज भईया, बस आप का आशीर्वाद जीवन भर बना रहे यही कामना है,
बागी भैया आपको शादी की सालगिरह मुबारक हो.
यह हास्य कविता बागी जी को उनकी शादी की १५ वीं सालगिरह पर स्पेम समर्पित है ! जोकि श्री राणा प्रताप सिंह जी के सहयोग से लिखी है !

बहर घूमने खाने की, देखो अब आदत ख़तम हुई
अपने बागी जी की अब, हर एक बगावत ख़तम हुई

जब डेढ़ दशक पहले शादी की, पड़ी पांव में बेड़ियाँ
गप्प लड़ाएं मित्रों संग, इसकी भी चाहत ख़तम हुई

अपने भैया को हैं भाए, बेलन इतने भाभी के
हलुए, खीर और पूडी, खाने की हसरत ख़तम हुई

तड़के ही उठ कर अब इनको, दूध भी लाना पड़ता है
दिन चढ़ने तक सोने की, जो भी थी राहत ख़तम हुई

भूल गए चौराहा और, पप्पू की चाय भी भूल गए
और सिनेमा के टिकटों की, सारी कीमत ख़तम हुई

पत्नी जी जब सामने आये, ये मिमियाते फिरते हैं
कभी दहाड़े, धरती हिलती, अब वो ताकत ख़तम हुई
waah waah....bagi ji ki peeda ko shabd de diye rana ji aur yogi sir ne ....wah
21 tareekh se apka chhota bhai apne jeevan me nayi job ke saath nayi shuruaat karne ja raha hai, central india ke ek bade MBA entrance coaching institute Cerebral Heights ki monthly magazine 'EnriCH" ka sub editor ban ke join kar raha hu....sabhi ki duaon ki jarurat hai.....:)
दुष्यंत जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के तरफ से मैं परम पिता परमेश्वर से कामना करते है की आप नई जॉब के साथ सफलता की बुलंदियों पर पहुचे,

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
56 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
56 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
56 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service