For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-40 (विषय: दृष्टि)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-40 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. गोष्ठी के पिछले 39 अंकों में हमारे साथी रचनाकारों ने जिस उत्साह से इसमें हिस्सा लिया और इसे सफल बनाया, यह वास्तव में हर्ष का विषय हैI पिछले कुछ आयोजनों में हमारे वरिष्ठ साथिओं की लगातार अनुपस्थिति हालाकि पीड़ादायक रही है. फिर भी हमारे लघुकथाकार अनवरत उच्च-स्तरीय रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं. और बहुत से साथी उन पर सार्थक चर्चा भी कर रहे हैं जिससे रचनाकारों का भरपूर मार्गदर्शन भी हो रहा है. बहरहाल, इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-40
"विषय: "दृष्टि" 
अवधि : 30-07-2018  से 31-07-2018 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 10042

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

उस्मानी साहब, कथा के बहुत से पहलू बहुत मज़बूत हैं. निर्णय-अनिर्णय को अच्छे ने निभाते हुए इसे ओपन end क्लोजिंग देना बहुत साहस का काम है. ख़ास तौर पर साइन बोर्ड्स का इस्तेमाल बहुत गहराई दे रहा है.

कथानक कहीं कहीं भ्रमित कर रहा है. अस्पष्टता की स्थिति है.

जैसे बगल वाली सीट किसकी.

मित्रों माफिक विंडो वाली सीट की और खिसकना

शिक्षिका जब साथ में है तो न बैठने का कारण समझ नहीं आ रहा 

परिचालक का एंगल क्यों आया बीच में 

आपकी पहले की लघुकथाओं की वजह से बहुत ऊँची अपेक्षा रहती है.

विस्तृत समीक्षात्मक टिप्पणी के साथ मेरी इस रचना पटल पर समय देकर हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय अजय गुप्ता  साहिब। रचना मेेंं स्पष्ट रूप से स्कूल बस की थ्रीसीटर सीट व उसमें उस युवा शिक्षक के बायें तरफ़ की एक खाली सीट और दायें तरफ़ बैठे छात्र का उल्लेख है जो वहां विंडो वाली सीट पर बैठा है जहां वह शिक्षक शिफ्ट होता है। शिक्षिकाएं स्वयं झिझक रही हैं सहजता से पुरुष-शिक्षकों के पास बैठने में, तो छात्रायें कैसे सहज हो सकती हैं; भले ही किसी तरह की कोई असुविधा/अभद्रता न होती हो! यह आम छोटे/बड़े शहरों में आज भी देखा गया है, महानगरों में उतना नहीं। परिचालक (कंडक्टर) स्कूल बसों में सभी अहम दायित्व निभाने की कोशिश करते हैं, अतः एक पंक्ति में उसकी व उस पर दृष्टि डाली गई है। सादर।

आ उस्मानी जी वर्तमान परिपेक्ष्य को बखूबी दर्शाया है आपने। बधाई। 

बहुत-बहुत शुक्रिया इस हौसला अफ़ज़ाई हेतु मुहतरम जनाब मुज़फ़्फ़र इक़बाल सिद्दीक़ी साहिब।

लघुकथा— दृष्टि

महात्मागांधी की मूर्ति के हाथ की लाठी टूटते ही मुंह पर अंगुली रखे हुए पहले बंदर ने अंगुली हटा कर दूसरे बंदर से कहा, '' अरे भाई ! सुन. अपने कान से अंगुली हटा दें.''


उस का इशारा समझ कर दूसरे बंदर ने कान से अंगुली हटा कर कहा, '' भाई मैं बुरा नहीं सुनना चाहता हूं. यह बात ध्यान रखना.''


'' अरे भाई ! जमाने के साथसाथ नियम भी बदल रहे हैं. '' पहले बंदर ने दूसरे बंदर से कहा, '' अभीअभी मैं ने डॉक्टर को कहते हुए सुना है. वह एक भाई को शाबाशी देते हुए कह रहा था आप ने यह बहुत बढ़िया काम किया. अपनी जलती हुई पड़ोसन के शरीर पर कंबल न डाल कर पानी डाल दिया. इस से वह ज्यादा जलने से बच गई. शाबाश.''


यह सुन कर तीसरे बंदर ने भी आंख खोल दी, '' तब तो हमें भी बदल जाना चाहिए.'' उस ने कहा तो पहला बंदर ने महात्मागांधी जी लाठी देखते हुए कहा, '' भाई ठीक कहते हो. अब तो महात्मागांधी की लाठी भी टूट गई है. अन्नाजी का अनशन भी काम नहीं कर रहा है. अब तो हमें भी कुछ सोचना चाहिए.''


'' तो क्या करें?'' दूसरा बंदर बोला.


'' चलो ! आज से हम तीनों अपने नियम बदल लेते हैं.''


'' क्या ?'' तीसरा बंदर ने चौंक कर गांधीजी की मूर्ति की ओर देखा. वह उन की बातें ध्यान से सुन रही थी.


'' आज से हम— अच्छा सुनो, अच्छा देखो और अच्छा बोलो, का सिद्धांत अपना लेते हैं.'' पहले बंदर ने कहा तो गांधीजी की मूर्ति के हाथ अपने मुंह पर चला गया और आंखें आश्चर्य से फैल गई.

--------

(मौलिक व अप्रकाशित)

वाह। ग़ज़ब की विचारोत्तेजक रचना के लिए हार्दिक बधाइयाँ आदरणीय श्री ओमप्रकाश क्षत्रीय  'प्रकाश' जी। बहुत ही समसामायिक सृजन। नाम "अन्ना" की जगह // चर्चित दिग्गजों// जैसा कुछ लिखा जा सकता है मेरे विचार से। शीर्षक दिये गये विषय के शब्द से इतर भी सोचे जा सकते हैं न! सादर।

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आप की प्रतिक्रिया मेरी अमूल्य धरोहर हैं. अच्छा सा शीर्षक आप भी सुझाने की कृपा कीजिए. सादर.

बहुत बढ़िया लघुकथा । बधाई इस बेहतरीन लघुकथा के लिए ।

आदरणीय कनक हरिअल्का जी आप की प्रतिक्रिया मेरी अमूल्य धरोहर हैं. हार्दिक आभार.

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी ।  इस तरह की परिस्थितियों पर ध्यान आकृष्ट करती हुई  अच्छी लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई। 

हार्दिक बधाई आदरणीय भाई ओम प्रकाश जी।वाह भाई जी, क्या गज़ब का प्रसंग चुना है और उसे निभाया भी बहुत खूबसूरती से।लाज़वाब संदेश प्रद लघुकथा।

आदरणीय Tej veer singh जी आप की प्रतिक्रिया मेरी अमूल्य धरोहर हैं. हार्दिक आभार.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ अड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"अश्रु का नेपथ्य में सत्कार भी करते रहेवाह वाह वाह ... इस मिसरे से बाहर निकल पाऊं तो ग़ज़ल पर टिप्पणी…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं

.सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं  जहाँ मक़ाम है मेरा वहाँ नहीं हूँ मैं. . ये और बात कि कल जैसी…See More
12 hours ago
Ravi Shukla posted a blog post

तरही ग़ज़ल

2122 2122 2122 212 मित्रवत प्रत्यक्ष सदव्यवहार भी करते रहेपीठ पीछे लोग मेरे वार भी करते रहेवो ग़लत…See More
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागा अर्थ प्रेम का है इस जग में आँसू और जुदाई आह बुरा हो कृष्ण…See More
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय नीलेश जी "समझ कम" ऐसा न कहें आप से साहित्यकारों से सदैव ही कुछ न कुछ सीखने को मिल…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय गिरिराज जी सदैव आपके स्नेह और उत्साहवर्धन को पाकर मन प्रसन्न होता है। आप बड़ो से मैं पूर्णतया…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना की विस्तृत समीक्षा के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार व्यक्त करता हूँ।…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. बृजेश जी मुझे गीतों की समझ कम है इसलिए मेरी टिप्पणी को अन्यथा न लीजियेगा.कृष्ण से पहले भी…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. रवि जी ,मिसरा यूँ पढ़ें .सुन ऐ रावण! तेरा बचना है मुश्किल.. अलिफ़ वस्ल से काम हो…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. रवि जी,ग़ज़ल तक आने और उत्साह वर्धन का धन्यवाद ..ऐ पर आपसे सहमत हूँ ..कुछ सोचता हूँ…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service