For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | 

इस बार का मिसरा मिर्ज़ा'ग़ालिब' साहिब की ग़ज़ल से लिया गया है |

"या इलाही ये माजरा क्या है"
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन
2122 1212 22/112

बह्र-ए-ख़फ़ीफ़ मुसद्दस सालिम मख़बून महज़ूफ

रदीफ़ --क्या है

काफिया :-अलिफ़ का(आ स्वर) देखता,वफ़ा,हुआ,बुरा, भला आदि

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी । मुशायरे की शुरुआत दिनांक 26 अप्रैल दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 27 अप्रैल दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 26 अप्रैल दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

जनाब समर कबीर 

(वरिष्ठ सदस्य)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 866

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब।

ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें।

बेवफ़ाई ये मसअला क्या है

रोज़ होता यही नया क्या है

बेवफ़ा है   वो तो  गिला क्या है 

बोलिए इसमें अब नया क्या है 

हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री

आदमी फिर बुझा- बुझा क्या है

वाक्य के हिसाब से बुझा बुझा क्या है 

नहीं बुझा बुझा क्यों है  होना चाहिए 

प्यार होते ये दूरियाँ क्यों अब/हैं 

देखते - देखते हुआ क्या है

प्यार अगर है तो दूरियाँ क्यों हैं 

ठंडे जज़्बात प्यार बाज़ारू

जुनून-ए-इश्क को हुआ क्या है

सानी की बह्र देख लें 

जुनून 121, जुनून में नू का

मात्रा पतन नहीं हो सकता 

मज़हबी लो हुई सियासत यार

रंग खूँ का वो धुल गया क्या है

कृपया सानी का भाव स्पष्ट करें 

वक्त बदला बिका ईमाँ चेतन

अब वफ़ा का/ मसअला212 ×क्या है

ईमाँ  22

सानी की बह्र देख लें 

हौसला पस्त हो गया या रब

या इलाही ये माजरा क्या है ( गिरह )

'या रब' संबोधन की आवश्यकता नहीं 

क्योंकि सानी में 'या इलाही' पहले से ही है

       // शुभकामनाएँ //

आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आभारी हूँ।
"बेवफ़ा है वो तो गिला क्या है
बोलिए इसमे अब नया क्या है'
बहुत सुन्दर सुझाव है, आपका, और तहे दिल से स्वीकार्य है ।
निम्न शेर को आपके निर्देशानुसार संशोधित किया गया है कृपया दृष्टिपात करें।

/हादसा होते ज़िन्दगी गुज़री
आदमी फिर रहा बुझा क्या है/

/प्यार होते ये दूरियाँ क्यों हैं
देखते- देखते हुआ क्या है/
इस शेर का आशय वस्तुतः मन मस्तिष्क में
चल रहे है द्वन्द मानव के 'बाइपोलर सिन्ड्रोम' से है
जहाँ प्यार करने वाले एक पक्ष को कभी कैरियर
श्रेयस्कर लगता है, दूसरे पल प्यार अधिक महत्पूर्ण
जान पड़ता है। इस भाव को काव्य में श्रेय और प्रेय
के बीच द्वन्द का नाम दिया गया है । और, यदि आप इस भावाभिव्यक्ति हेतु
कोई बेहतर सुझाव देंगे तो मैं उसका स्वागत करूँगा, आदरणीय!

एक और शेर को मैंने आपके सुझावानुसार परिवर्तित किया है, देखिएगा

/ठंडे जज़्बात प्यार बाज़ारू
ऐ मुहब्बत तुझे हुआ क्या है/

/मजहबी लो हुई सियासत यार
रंग ख़ूँ का वो धुल गया क्या है/

इस शेर को पढ़ते हुए यदि आप मुगल साम्राज्य के दौरान हुए हिन्दुओं के व्यापक धर्म परिवर्तन का एतिहासिक संदर्भ लेंगे तो आशय स्पष्ट हो जाएगा ।
मक़ता का सानी,आ. इस तरह बदला गया है ।

/वक्त बदला बिका ईमाँ चेतन
अब वफ़ा का वो मसअला क्या है/

और, गिरह भी संशोधित की है , कृपया देखिएगा
/हौसला पस्त हो गया सब का
या इलाही ये माजरा क्या है /
सादर !

वक़्त बदला 2122

बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए 

चेतन 22

आ. अमित जी ग़जल पर आपके पुनरागमन एवम्
पुनरावलोकन के लिए कोटिशः धन्यवाद !

सुझावानुसार, मक़ता पुनः परिवर्तित किया हैः

 
वक़्त बदला रवाँ जफ़ा चेतन
अब वफ़ा का वो मसअला क्या है

सादर !

आदरणीय चेतन जी नमस्कार

ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये

गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर हैं,निखर जाएगी ग़ज़ल

सादर

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। सुझावों के बाद यह और बेहतर हो गयी है। हार्दिक बधाई स्वीकारें।

आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।

आदरणीय चेतन जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ। बधाई स्वीकार करें।

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।

आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब 

ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर 

कम से कम 5 और ज़ियाद: से ज़ियाद: 11 अश'आर ही मान्य हैं।

कृपया संशोधन कर पुनः पोस्ट करें आदरणीय।

जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। 

इश्क में दर्द के सिवा क्या है।
रास्ता और दूसरा क्या है।


मौन है बीच में हम दोनों के।
इससे बढ़ कर कोई सजा क्या है।


कितनी बीमार लग रही है नदी।
"या इलाही ये माजरा क्या है"।


धूप ने सोख ली नमी सारी।
छोड़ कर जख्म के हरा क्या है।


उम्र भर रोटियों को पूजा है।
मैं नहीं जानता खुदा क्या है।


जाँच, घोटाले, जेल औ छापे।
मैं न दाना हुआ बुरा क्या है।


तुझ पे मैं जां निसार कर बैठा।
तुम बताओ मेरी खता क्या है।

मौलिक, अप्रकाशित

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है।हार्दिक बधाई।  भाई अमित जी के सुझाव अच्छे…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ टाइपिंग मिस्टेक " समन्दर " की ओर ध्यानाकर्षण के लिए भी सहृदय…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय ।"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय Aazi जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय Aazi जी  बहुत शुक्रिया आपका सlदर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय अमित जी बहुत ख़ूबसूरत कहा शुक्रिया आपका सादर"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बधाई स्वीकार करें आ अच्छी ग़ज़ल हुई 4 में सूर्य की धूप स्त्रीलिंग होती है बाकी गुणीजनों की इस्लाह…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय रचना भटिया जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय अमित जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बधाई स्वीकार करें आ अच्छी ग़ज़ल हुई इस्लाह अच्छी हुई और बेहतर हो जायेगी"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service