For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव’ अंक 146

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ छियालिसवाँ आयोजन है.   

 

इस बार के आयोजन के लिए दो छंद लिये गये हैं - दोहा छंद या / और सार छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

17 जून 2023 दिन शनिवार से 18 जून 2023 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

दोहा छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें 

सार छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.

*********************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

17 जून 2023 दिन शनिवार से 18 जून 2023 दिन रविवार तक ही रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए मंच खुला रहेगा.

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम 

Views: 1042

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागतम

सादर अभिवादन।

आज पूर्वाह्न ही सिंगरौली से वापसी हुई। अत: उपस्थिति में हुए विलंब के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ। 

सादर

सादर अभिवादन। देर से ही सही आपकी उपस्थिति हम सभी में असीम उत्साह का संचार करती है। 

वरिष्ठजनों की उपस्थिति मंच और हम जैसों के लिए महत्वपूर्ण है। अब तो उनकी अनुपस्थिति से एक सूनापन सा पसरा रहता है। आप समय समय पर अपनी उपस्थिति से आस जगाते रहते हैं । यही प्रसन्नता की बात है। सादर..

दोहा छंद
******
भाँति भाँति के स्वाद हैं, भाँति भाँति के नाम
राजकीय फल  देश  का, कहलाता  है आम।१।
*
भला दशहरी खूब है, पर अल्फाँजो खास।
कीमत करे गरीब को, इसकी सदा उदास।२।
*
जन्मा जिस भी ठाँव ये, पड़ा वहीं का नाम
हो कितना ही खास पर, कहलाता है आम।३।
*
लँगड़ा होता आम भी, भले न उसके पाँव
चौसा ने चर्चित किया, जग में चौसा गाँव।४।
*
चेरू, फजली, अम्बिका, तोतापुरी, रटौल
सब पर भारी पड़ गया, नूरजहाँ का तौल।५।
*
ताईयो जापान का, लाखों जिस का दाम
कैसे खाये आम यह, बोलो जनता आम।६।
*
मत देखो तुम आम के, केवल स्वाद, सुगंध
उपयोगी हम को  रहा, इस का  हर आबंध।७।
*
ऐसे  ही  भू  पर  भला, अद्भुत  नहीं  रसाल
दवा रूप में काम दें, फूल, बीज, फल, छाल।८।
*
शुभ पूजन  में  धर कलश, बनते वंदनवार
हिचकी, उल्टी को हरे, आम्र पात का क्षार।९।
*
आम भले खाता रहा, जीवनभर तैमूर
लँगड़े से पर लंग था, हरदम कोसों दूर।१०।
**

मौलिक/अप्रकाशित

भाँति भाँति के स्वाद हैं, भाँति भाँति के नाम
राजकीय फल  देश  का, कहलाता  है आम।१। .. वाह वाह वाह!! .. क्या ही परिचारक दोहा हुआ है। वाह ! 
*
भला दशहरी खूब है, पर अल्फाँजो खास। .. अल्फांसो 
कीमत करे गरीब को, इसकी सदा उदास।२। .. पर कीमत सुन आमजन, होता सदा उदास
*
जन्मा जिस भी ठाँव ये, पड़ा वहीं का नाम
हो कितना ही खास पर, कहलाता है आम।३। .. बहुत सही, बहुत सही.. 
*
लँगड़ा होता आम भी, भले न उसके पाँव
चौसा ने चर्चित किया, जग में चौसा गाँव।४। .. ये दोनों मेरे पसंदीदा आम हैं. दोनों के नाम एक ही दोहे में ! वाह.. 
*
चेरू, फजली, अम्बिका, तोतापुरी, रटौल
सब पर भारी पड़ गया, नूरजहाँ का तौल।५। .. क्या बात है ! वैसे, सूचनार्थ, फजली इस श्रेणी में ऑड-मैन आउट टाइप ही है। 
*
ताईयो जापान का, लाखों जिस का दाम
कैसे खाये आम यह, बोलो जनता आम।६। .. ताईयो लाखों रुपयांची का आम। 
*
मत देखो तुम आम के, केवल स्वाद, सुगंध
उपयोगी हम को रहा, इस का हर आबंध।७। .. बढिया
*
ऐसे  ही  भू  पर  भला, अद्भुत  नहीं  रसाल
दवा रूप में काम दें, फूल, बीज, फल, छाल।८। .. आम की उपयोगिता का सुंदर बखान हुआ है। 
*
शुभ पूजन  में  धर कलश, बनते वंदनवार..   .. बंदनवार
हिचकी, उल्टी को हरे, आम्र पात का क्षार।९। .. आम का संदर्भ लेता सार्थक दोहा हुआ है। 
*
आम भले खाता रहा, जीवनभर तैमूर

लँगड़े से पर लंग था, हरदम कोसों दूर।१०। .. इस दोहे से उत्सर्जित होता सारगर्भित अर्थ मुग्ध कर रहा है। ऐतिहासिक सत्यता का सुंदर निरूपण हुआ है। 

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपके आम परक दोहे सार्थक तो हैं ही, शिल्पित रूप से भी सुगढ़ हैं। हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ 

आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन, उत्साहवर्धन और अपार स्नेह के लिए हार्दिक आभार। 

ताईयो जापान का, लाखों जिस का दाम
कैसे खाये आम यह, बोलो जनता आम।६।........इसी वर्ष जानकारी मिली है कि कोई आम इतना भी ख़ास होता है.

आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रदत्त चित्र पर सुन्दर और मनमोहक दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर 

आ. भाई अशोक जी, सादर आभार।

आदरणीय लक्ष्मण भाईजी

आम संबंधी कुछ खास जानकारी मिली इस दोहावली के माध्यम से। हार्दिक बधाई।

आ. भाई अखिलेश जी, हार्दिक धन्यवाद।

सार छंद ः

महिमा प्रकृति हम देखते हैं , बहार आई आड़ू ।
अमराई में.. बौर... हुआ है, वर्षा ..बनी .बिगाड़ू ।।
सुन्दरता ..में.. आम ..लगे है, कहते ....इसे सतालू ।
गोलाई इसकी भ्रामक है, विकसित  लगता आलू ।।

गोला आम.... सही ....उपमा है, बसन्त है बौराया ।
फल की इसके छवि अनुपम है, सौन्दर्य उतराया ।।
स्वर्णिम फलों शोभा निराली, वसुधा अब हरियाली।
हरे भरे वन में दिखती है, भारत की.. खुशहाली ।।

कू.. कू ..बोल ..रही है ..कोयल, वन..मचा ...शोर ..होता।
भ्रमर करे .गुंजायित उपवन, कण - कण खुशियाँ बोता ।।
करता मोर जब,मेह आओ .. गर्जन बादल बोले ।
पपीहा विरह व्यथा जताता, करता ओले ओले ।।

चहक रहे ..पक्षी वातायन, चखने को फल मिलते ।
रस सराबोर जिव्हा अभी है, मृदु स्वर पत्ते हिलते।।
दादुर की पीर उभरती है, रज .. दर्द. घोलता है।
मधुर बोध कानन होता है, जब कभी बोलता है ।।

मौलिक व अप्रकाशित

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service