For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नववर्ष की शुभकामनाएं (मत्तगयंद छंद)

स्वागत हेतु सजी धरती उर में बहु सौख्य-समृद्धि पसारे
राग विराग हुआ सुर सज्जित हर्षित अम्बर चाँद सितारे
भव्य करो अभिनन्दन वन्दन लेकर चन्दन अक्षत प्यारे
स्नेह लिए नव अंकुर का अब द्वार खड़ा नव वर्ष तुम्हारे।।1

नूतन भाव विचार पले जड़ चेतन में निरखे छवि प्यारी
एक नया दिन जीवन का यह, हो जग स्वप्निल मंगलकारी
ओज अनन्त बसे सबके हिय राह नई निरखें नर नारी
दैविक दैहिक कष्ट न हो वरदान सुमंगल दें त्रिपुरारी।।2

प्यार दुलार करें सबसे नित, दुश्मन को हम दोस्त बना लें
एक कुटुम्ब बने यह भारत यों हिय से सबको अपना लें
स्नेह सुधा सरसे बरसे मृदु जीवन यौवन तेज घना लें
भूल हुई कल भूल न हो अब ले प्रण ये नववर्ष मना लें।।3

हर्ष लिए नव प्रात सजे दुख-दर्द बिसार पुरातन सारे
हीरक हार गले पहने अरुणोदय आ धमके अब द्वारे
त्याग मनोबल औ शुचिता नव प्रीत लिए नव भाव सँवारे
हो न कहीं अतिवाद धरा पर हर्षित नूतन वर्ष पुकारे।।4

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 798

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on January 7, 2020 at 5:53pm

आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन। आपकी रचना पर उपस्थिति और बेहतरीन प्रतिक्रिया का आभार

Comment by vijay nikore on January 7, 2020 at 3:00pm

अति सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई, मित्र सुरेन्द्र जी।

Comment by नाथ सोनांचली on January 3, 2020 at 6:18pm

आद0 अग्रज समर कबीर साहब सादर प्रणाम। रचना पर आपकी उपस्थिति सदैव एक इस्लाह सरीखी होती है। आपकी पारखी नजर से छोटी से छोटी त्रुटियाँ भी दूर हो जाती है,, जिससे हम सीखने वालों को परिष्करण में बहुत फायदा होता है। आभार हृदय तल से आभार

Comment by Samar kabeer on January 3, 2020 at 5:28pm

जनब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब, बहुत उम्दा छन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 3, 2020 at 5:04pm

आद0 सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम। छंदों की प्रेरणा आपके लेख और आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया ही रही है। जब भी छंद पर प्रयास करता हूँ और ओ बी ओ पर पोस्ट करता हूँ,, आपकी प्रतिक्रिया की राह देखता हूँ। इस उत्साहवर्धन के लिए कोटिश आभार निवेदित है। सादर

भारत दर्शन नाम से मत्त गयंद की कुछ और कड़िया आपके आशीष के लिए आगामी दिनों में पोस्ट करूँगा। सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 3, 2020 at 2:46pm

इस सार्थक एवं सुरूचिपूर्ण प्रयास से मन मुग्ध है, आदरणीय सुरेंद्र जी. 

विशेषकर भाषा को ले कर तोषदायी आश्वस्ति बन रही है.

शुभातिशुभ

Comment by नाथ सोनांचली on January 1, 2020 at 9:15pm

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। आपको छंद पसन्द आये, लिखना सार्थक हुआ। आभार आपका

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 1, 2020 at 8:08pm

आ. भाई सुरेन्द्र जी, सादर अभिवादन। नववर्ष पर सुंदर छन्द हुए हैं । हार्दिक बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on January 1, 2020 at 6:24pm

आद0 डॉ गीता चौधरी जी सादर अभिवादन। रचना पसन्द आयी,, लिखना सार्थक हुआ। बहुत बहुत आभार आपका।

Comment by नाथ सोनांचली on January 1, 2020 at 6:22pm

आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और अनुमोदन के लिए सादर आभार।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service