For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सदानीरा बहे कल - कल , गगन पर चाँद तारे हैं ।

अलौकिक दृश्य वसुधा पर ,सुभग मनहर नजारे हैं ।।

उजालों ने चुगा शशि है , उषा आयी उगा रवि है ।

मही पर पुष्प शुचि कुसुमित,उड़े नभ पर विहग प्रमुदित ।।

झरे सित पुष्प शिउली के ,हवाओं ने बुहारे हैं ।

अलौकिक दृश्य वसुधा पर , सुभग मनहर नजारे हैं ।।

लली वृषभानु की राधा , ढके मुख घूँघटा आधा ।

चली पनघट लिये गागर ,खड़े हैं गैल नटनागर ।।

हुयीं लखि लाज से दुहरी , मदन करते इशारे हैं ।

अलौकिक दृश्य वसुधा पर , सुभग मनहर नजारे हैं ।।

प्रफ़ुल्लित सृष्टि लखि सारी , बँधे परिरंभ अभिसारी ।

मनोहर दृश्य वृन्दावन , प्रणय के गीत मृदु पावन ।।

रचायें रास बनवारी , भुरारे ही भुरारे हैं ।

अलौकिक दृश्य वसुधा पर , सुभग मनहर नजारे हैं ।।

अनामिका सिंह ' अना '

१७~०५~२०१९

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 471

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anamika singh Ana on May 25, 2019 at 10:23pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी  , सृजन को आपकी सराहना से संबल मिला..हार्दिक आभार आपका ।

Comment by Anamika singh Ana on May 25, 2019 at 10:20pm

आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी , सृजन की सराहना हेतु अतिशय आभार आपका ।

Comment by Anamika singh Ana on May 25, 2019 at 10:19pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी , प्रस्तुत गीत की सराहना हेतु हार्दिक आभार आपका  ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 23, 2019 at 6:24am

आ. अनामिका जी, इस बेहतरीन गीत के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 21, 2019 at 12:28pm

मुहतरमा अनामिका साहिबा, सुंदर गीत हुआ है मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं 

Comment by नाथ सोनांचली on May 20, 2019 at 5:39pm

आद0 अनामिका सिंह जी सादर अभिवादन। बढ़िया लय युक्त गीत प्रस्तुत किये आपने। बधाई स्वीकार कीजिये इस प्रस्तुति पर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service