For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अधूरी सी ज़िंदगी ....

अधूरी सी ज़िंदगी ....

कुछ
अधूरी सी रही
ज़िंदगी
कुछ प्यासी सी रही
ज़िंदगी
चलते रहे
सीने से लगाए
एक उदास भरी
ज़िंदगी
जीते रहे
मगर अनमने से
जाने कैसे
गुफ़्तगू करते
कट गयी
अधूरी सी ज़िंदगी

ढूंढते रहे
कभी अन्तस् में
कभी जिस्म पर रेंगते
स्पर्शों में
कभी उजालों में
कभी अंधेरों में
निकल गई छपाक से
जाने कहाँ
हमसे हमारी
अधूरी सी ज़िंदगी

बरसती रही आँखों से
सावन के मेघों सी
राह चलते रहे
मोड़ निकलते रहे
कोई साथ चला
कोई बिछुड़ गया
कब तन्हा रह गए
बरसते नैन कुछ कह गए
पुष्प कहीं सो गए
शूल साथी हो गए
नैन बूँद में सिमट गयी
समंदर सी
अधूरी सी ज़िंदगी

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 359

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on April 29, 2019 at 8:07pm

आदरणीय  Hariom Shrivastava जी सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Hariom Shrivastava on April 28, 2019 at 10:00pm

वाह,वाहह,लाजवाब रचना

Comment by Sushil Sarna on April 26, 2019 at 6:05pm

आद0 Dr.Prachi Singh जी सृजन को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 25, 2019 at 9:18pm

अपनी ज़िन्दगी के रास्तों पर फिर से घूम कर आती सुन्दर कविता 

बधाई 

Comment by Sushil Sarna on April 24, 2019 at 6:07pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan जी सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by narendrasinh chauhan on April 23, 2019 at 8:45pm

लाजवाब सर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service