For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारी अगुवानी में

तुम्हारी अगुवानी में.... 

ज़रा ठहरो
मुझे पहले
तुम्हारी अगुवानी में
इन कमरों की बंद खिड़कियों को
खोल लेने दो
जब से तुम गए हो
हवा ने भी आना छोड़ दिया
अब तुम आये हो तो
साँसों को
ज़िंदगी का मतलब

समझ आया है

ज़रा ठहरो
पहले मुझे
तुम्हारी अगुवानी में
मन की दीवारों से
सारी उलझनों के जाले
उतार लेने दो
ताकि तुम्हें
बाहर जैसी खुली हवा का
अहसास दिला सकूं
इन घर की दीवारों में

ज़रा ठहरो
पहले मैं तुम्हारी अगुवानी में
मन पर जमी
यादों की सीलन को
हटा लूँ
ढके दर्पण पर
जमी धुल का धुंधलका हटा लूँ
तुम्हारी याद के
अस्त-व्यस्त पन्नों को
मन में समेट लूँ
आँखों में उदासी के हर मंज़र को
कहीं दूर दफ़ना दूँ
अपने ज़िस्म की चादर को
तुम्हारे शयन कक्ष में
बिछा दूँ
ताकि
तुम
लौट आओ
रोज
अपने घर
जाकर भी

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 438

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 31, 2019 at 4:20pm

आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 31, 2019 at 4:19pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 31, 2019 at 4:18pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब , सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 28, 2019 at 7:10am

बेहतरीन बेहतरीन! हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जज

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 28, 2019 at 7:00am

आ. भाई सुशील जी,सुंदर कविता हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on January 24, 2019 at 11:16pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service