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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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जनाब अरुण कुमार निगम जी आदाब,ये सब ओबीओ की महब्बत का कमाल है,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

//बीओ रास आ गया है मुझे

थ वफ़ा का दिखा गया है मुझे//

ओबीओ धड़कनों में बसता है 

ये यक़ीं फिर दिला गया है मुझे 

//ष्ट ऐसे ही सबको होना है
बुलबुला ये बता गया है मुझे//

सूफ़ियाना ख्याल ये वल्लाह 

आपका क़द बता गया है मुझे 

 

//क्या भरोसा करूँ किसी पर मैं 
बके हाथों छला गया है मुझे//

ज़ख्म जिसने हों खाएँ सीने पर

वो है गाज़ी कहा गया है मुझे  

//ज शैताँ के जाल में फँस कर

फ़्स पत्थर बना गया है मुझे//

 

पर समर की ज़ुबाँ से निकलेगा 

भीड़ में से चुना गया है मुझे 

 

//लाके महबूब की गली में "समर"
श्क़ क्या क्या दिखा गया है मुझे//

ज़ाफ़रानी ग़ज़ल के मानी क्या 

आज फिर से सिखा गया है मुझे 

 

//म हैं आँखे तो क्या हुआ यारो
"सब्र" करना तो आ गया है मुझे"//

 

आपका फ़न गिरह लगाने का 

लुत्फ़ रूह तक दिला गया है मुझे  

जनाब योगराज प्रभाकर साहिब आदाब,आपकी मंज़ूम प्रतिक्रया पाकर मुग्ध हूँ :-

अपने दिल में बसा गया है मुझे

ओबीओ क्या बना गया है मुझे

तब्सिरा आपका ग़ज़ल पे मेरी

कितना ऊँचा उठा गया है मुझे

मेरी झोली भी पड़ गई छोटी

प्यार इतना दिया गया है मुझे

छन्द लिखना,लघुकथा लिखना

ओबीओ सब सिखा गया है मुझे

शुक्र है ओबीओ का आज 'समर'

ऊँचा रुतबा दिया गया है मुझे

जितनी तारीफ करूँ कम होगी आदरणीय समर भाई जी| बहुत खूब|

बहुत बहुत शुक्रिया बहना ।

वल्लाह | क्या बात है! आप और समर भाई ! दोनों को मुबारकबाद |

शुक्रिया बहना ।

आप दोनों को नमन सर। सादर।

शुक्रिया महेन्द्र जी ।

बहुत ख़ूबसूरती से आपने ग़ज़ल सजाई है समर साहब, आपकी तारीफ के लिए लफ्ज कम है |

जनाब मोहम्मद अनीस साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

आदरणीय समर कबीर sir , बेहतरीन पेशकश। क्या अंदाज़ । बस वाआआह

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