For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो धारी तलवार(लघुकथा)

"अरे सुखिया! सुन तो मन्ने एक बात सूझी हैं, तू कहे तो बताऊँ।"
"का बात सूझी है दद्दा! बताय ही द्यो। मैं तो परेसान हो गया हूँ, एक तो उ बैंक का मनजेर बाबू आज सुबह ही कह रहे थे कि जो करजवा हम लिये रही उ का ब्याज भरने को पड़ी...।"
"ह्म्म्म हम सुन लिए थे उ वा की बात, तभी तो हम आये हैं, तू एक काम कर, तू कल सरपंच से कछु उधार मांग ले, वो इंकार न करेगा, और उ पैसा से अपन का ब्याज की किश्त चुकाई दिए।"
"होउ , इ हे बात तो हमरी ख़ोपड़िया में आयी ही नही। हम कल ही सरपंच जी से बात करेंगे। पर दद्दा हम इहे काम तो आज भी कर सकत हैं।"
" नेकी और पूछ पूछ, जा बचवा जा, नेक काम में कउनु देरी नही करनी चाहे।"
सरपंच के घर जाते हुए उसकी निगाह हरीसिंह पर पड़ गयी। वह अपने खेत पर बैठा था। हरिसिंह ही क्यों, जहाँ तक भी उसकी नज़र पहुँच रही थी, सभी लोग हैरान परेशान नज़र आ रहे थे। बाढ़ ने उन सब की फसल को बर्बाद कर दिया था।
और सभी कर्ज तले दबे हुए थे, किसीने बैंक से लिया तो किसी ने सरपंच से जो एक महाजन भी था।
सब की हालत सुखिया जैसी ही हो रही थी। उनको देखकर सुखिया ने सरपंच के पास जाने का इरादा बदल दिया और वह घर से फावड़ा लेकर अपने खेत की तरफ निकल पड़ा।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 634

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 30, 2018 at 2:03am

क्षेत्रीय बोली के पात्रों और संवादों में बेहतरीन रचना। हार्दिक बधाई आदरणीया  साहिबा। कल्पना भट्ट साहिबा।

Comment by Nita Kasar on September 22, 2018 at 8:46pm

वक्त की मार है,बाढपीडित किसानों को क़र्ज़ लेना पड़ा ।दरबदर भटकने से बेहतर रहा कि उन्होंने खेत में जाकर कार्य करने का सोचा ।बधाई कथा के लिये आद० कल्पना भट्ट जी ।

Comment by Neelam Upadhyaya on September 17, 2018 at 3:34pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी, नमस्कार।  अच्छी लघुकथा की प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें । 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 16, 2018 at 12:13am

एक किसान/निर्धन पर पड़ने वाली दोहरी मार पर क्षेत्रीय भाषा में बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना भट्ट साहिबा।

Comment by Samar kabeer on September 14, 2018 at 11:10am

बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,लघुकथा का प्रयास अच्छा है,लेकिन अभी कुछ और कसावट चाहता है,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by विनय कुमार on September 13, 2018 at 1:21pm

बढ़िया रचना हुई है आ कल्पना भट्ट जी लेकिन अभी इसपर और प्रयास की जरुरत है. बधाई इस रचना के लिए

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 13, 2018 at 4:59am

आ. प्रतिभा बहन, शोषण को उभारती अच्छी कथा हुयी है । हार

दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। तेरे चेहरे पे शर्म सा क्या…"
8 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Prem Chand Gupta जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। कृपया नुक़्तों का विशेष ध्यान रखें…"
15 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"कू-ब-कू है ख़बर, हुआ क्या हैपर ये अख़बार ने लिखा क्या है । 1 जो परिंदे क़फ़स में जीते हैंउनको मालूम है…"
18 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम चंद गुप्ता जी आदाब, "मौन है बीच में हम दोनों के"... मिसरा बह्र में नहीं…"
35 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। बेवफ़ाई ये मसअला…"
42 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित…"
49 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service