For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज लहरों ने की बातें मुझसे 

बोलीं 

तुम सोचती हो तुम हो बहादुर 

समय से तुम लडती हो 

मूर्ख हो तुम 

जो यह सोचकर दम भरती हो| 

और वह इठला कर चली गयी 

दूर 

वहीं जहाँ से वह आयीं थी 

किनारे तक 

और वहाँ पड़े चट्टानों से 

टकरा-टकरा कर रही थी 

बातें उनसे, 

कह रहे थे चट्टान उनसे 

रुक जाओ 

करीब आप मेरे ऊपर से 

न यूँ बह जाओ 

रुको कुछ घड़ी 

की हम तपते हैं 

और देखो हम बन गये है ठोस और जड़ 

लहरें कुछ देर करती रहीं 

अटखेलियाँ 

चट्टान पर से गोल-गोल घूमकर 

फिर समां गयीं उसी धारा में 

जहाँ से वह आई थीं 

अब वह और धारा एक हो चुकी थीं 

कुछ देर मैं वहीँ खडी रही 

यह सोच कर कि 

आएँगी फिर लहरें 

करीब मेरे और करेंगी बातें मुझसे 

पर अब वह नदी के प्रवाह में 

बह रही थी और दूसरी ओर 

वह निकल पड़ी थी 

शायद हवा से बातें करने 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 615

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on November 3, 2018 at 10:29pm

धन्यवाद आदरणीय विजय निकोरे जी| 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on November 3, 2018 at 10:28pm

धन्यवाद आदरणीय समर भाई | 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on November 3, 2018 at 10:28pm

धन्यवाद् आदरणीय तेज वीर सिंह जी| 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 30, 2018 at 1:59am

बेहतरीन बिम्बात्मक अभिव्यक्ति। हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना भट्ट  साहिबा। कुछ-एक टंकण-त्रुटियां रह गईं हैं, कृपया देख लीजिएगा।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on October 28, 2018 at 8:42am

आदरणीया कल्पना जी बहुत बेहतरीन रचना सुंदर औऱ सार्थक रचना के लिए बहुत बहुत बधाई, आंशिक तंकड़ त्रुटि देख लीजिएगा 

Comment by vijay nikore on October 28, 2018 at 1:41am

इस अच्छी रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीया कल्पना जी।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 27, 2018 at 7:48pm

अच्छी कविता हुई है आदरणीया.. सादर

Comment by Samar kabeer on October 27, 2018 at 3:56pm

बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,अच्छी कविता हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on October 26, 2018 at 1:03pm

हार्दिक बधाई आदरणीय कल्पना भट्ट रौनक जी। बेहतरीन कविता।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
17 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service