For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ज़हनियत मुर्दाबाद!" (लघुकथा)

"ज़िन्दगी ज़िन्दाबाद! जान ज़िन्दाबाद! .. ज़िन्दगी ज़िन्दाबाद!"- सुंदर 'राष्ट्रीय राजमार्ग' पर मौत को करारी शिकस्त देती कुछ ज़िन्दगियां ख़ुशी की अश्रुधारा बहाती चिल्ला रहीं थीं। वहां दैनिक दिनचर्या तहत बेहद तीव्र गति में दौड़ रहे ट्रैफ़िक में एक बाइक को विपरीत दिशा से आते एक स्कूटर ने यूं टक्कर मारी कि दोनों पर सवार युवा किसी फुटबॉल या सिक्के माफ़िक टॉस करते हुए सड़क के डिवाइडर से टकराने के बावजूद चोटिल होकर ज़िंदा बच गये थे। वह बाइक अभी भी एक छोटे से बच्चे को यथावत बिठाले सड़क पर दौड़ती हुई डिवाइडर से टकराई और कुछ ही चोटें सहते हुए उस बच्चे की भी जान बच गई! उस राजमार्ग पर मोटर-वाहनों का तेज आवागमन यथावत बदस्तूर जारी था। मानव-कानों को केवल हॉर्न सुनाई दे रहे थे, पीड़ितों की चीखें नहीं! उन्हें देखने वाले थे, तो केवल कर्तव्यनिष्ठ सीसीटीवी कैमरे! सबके साथ, सबके काम थे। सभी पंक्चुअल थे! सबके अपने प्रति, अपने दफ़्तरों के प्रति और अपने परिजनों के प्रति दायित्व थे, अनुबंध थे! सो वे सब उनके ही प्रति समर्पित थे। उनकी उपेक्षा देखकर सड़क पर घिसटती-लोटती पीड़ित ज़िन्दगियां एक सुर में चिल्लाने लगीं - "ज़हनियत मुर्दाबाद! इंसानियत मुर्दाबाद! अंधी-तरक़्क़ी मुर्दाबाद! विदेशी-अंधानुकरण मुर्दाबाद!"


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 583

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 26, 2018 at 6:11am

मेरे इस रचना पटल पर वक़्त देकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के साथ अपने विचार सांझा करने हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहिब, जनाब समर कबीर  साहिब, जनाब  बृजेश कुमार 'ब्रज' साहिब, जनाब सुशील सरना  साहिब, जनाब विजय निकोरे साहिब, मोहतरमा नीलम उपाध्याय साहिबा और मुहतरमा बबीता गुप्ता साहिबा।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 25, 2018 at 8:59pm

वाह आदरणीय शेख़ साहब..हाल ही में घटी एक सत्य घटना को आपने बड़ी खूबसूरती से शब्दों में पिरोया...

Comment by vijay nikore on August 25, 2018 at 3:34pm

मानवीय संवेदनशीलता पर बहुत ही अच्छी लघुकथा बनी है।हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ उस्मानी जी।

Comment by Neelam Upadhyaya on August 24, 2018 at 4:08pm

आदरणीय शेख उस्मानी जी, नमस्कार ।  वर्तमान में मानवीय संवेदनशीलता  किस कदर "अमानवीय" "असंवेदनशील" होती जा रही है - इसका उदहारण  पेश करती बढ़िया लघुकथा की प्रस्तुति ।  बधाई स्वीकार करें। 

Comment by Sushil Sarna on August 24, 2018 at 3:48pm

बहुत सुंदर आदरणीय उस्मानी साहिब .... आज की मानवीय संवेदना को झकझोरती एक सशक्त लघुकथा। हार्दिक बधाई।

Comment by babitagupta on August 23, 2018 at 6:24pm

बेहतरीन लघु कथा,मानवीय मानसिकता पर कटाक्ष करती,बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।

Comment by Samar kabeer on August 23, 2018 at 6:15pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, अच्छी लघुकथा हुई है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 23, 2018 at 6:17am

आ. भाई शेख शहजाद जी, अच्छी कथा हुयी है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
16 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
18 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service