For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बोलती निगाहें (लघुकथा)

"बिटिया, कितनी बार कहा है कि अॉनलाइन शॉपिंग वग़ैरह के अॉफरों और प्रलोभनों में अपना समय और पैसा यूं मत ख़र्च करो!" अशासकीय शिक्षक ने अपनी कमाऊ शादी योग्य बेटी से कहा ही था कि उनकी पत्नी बीच में टपकीं और बोलीं- "तुम अपने काम से काम रखो। बिटिया तुम से ज़्यादा कमा कर अपने दम पर अपना दहेज़ जोड़ रही है और पैसे भी! ... और रिश्ता भी!"

"आप लोग यूं परेशान न हों! ...मम्मी तुम्हें पापा से इस तरह नहीं बोलना चाहिए। मुझे पता है प्राइवेट नौकरी में क्या-क्या और कैसे सब कर पाते हैं!" बिटिया ने अपना स्मार्ट फोन अॉफ़ करते हुए कहा- "मुझे पता है कि पापा बहुत क़ाबिल और आदर्शवादी होते हुए भी आज के ज़माने और नेट-बैंकिंग वग़ैरह से कैसे तालमेल बिठा पा रहे हैं घर-गृहस्थी के साथ!"


बिटिया के मम्मी-पापा आशा भरी निगाहों से अपनी बिटिया की ओर देखने लगे।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 601

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neelam Upadhyaya on May 23, 2018 at 4:55pm

आदरणीय उस्मानी जी, नमस्कार।  आज के समय से सामंजस्य बिठाती अच्छी लघु कथा।  बधाई स्वीकार करें।

Comment by babitagupta on May 21, 2018 at 7:59pm

आदरणीय सर जी. आज के बच्चों और माता पिता के आपसी सोच मे सामंजस्य दर्शाती बहुत ही अच्छी लघु कथा है । प्रकाशित रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा ।

Comment by Mohammed Arif on May 21, 2018 at 12:27pm

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,

                                    अत्यंत सामयिक-प्रासंगिक लघुकथा । कथा में जीवंतता भी है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 20, 2018 at 7:02pm

ठीक ठाक ही लगी यह लघुकथा आपकी आदरणीय शहजाद उस्मानी जी | सादर|

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 20, 2018 at 12:47pm

जनाब शहज़ाद उस्मानी साहिब आ दाब , समाज को आइना दिखाती उम्दा लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service