For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वप्न का जो नाभिकी ये संलयन प्रारम्भ है----ग़ज़ल

2122 2122 2122 212

स्वप्न का जो नाभिकी ये संलयन प्रारम्भ है

क्या किसी तारे का फिर से नव सृजन प्रारम्भ है

इस जगत को श्रेष्ठतम रचना समर्पित कर सकूँ

प्रति निशा मसि शब्द निद्रा का हवन प्रारम्भ है

मन-जगत घर्षण से अंतस में अनल जो है प्रकट

भावनाओं का उसी से आचमन प्रारम्भ है

लेखनी नें स्वयं से संकल्प इक धारण किया

एकता के भाव का सो संवहन प्रारम्भ है

चक्षुओं पर जो लगा कर घूमते चश्मा उन्हें

ताप तो सहना पड़ेगा ऊष्णन प्रारम्भ है

मौलिक अप्रकाशित

Views: 825

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 8, 2018 at 4:12pm

आदरणीय सोमेश जी सादर अभिवादन और हार्दिक आभार

Comment by somesh kumar on February 8, 2018 at 10:16am

इस जगत को श्रेष्ठतम रचना समर्पित कर सकूँ

प्रति निशा मसि शब्द निद्रा का हवन प्रारम्भ है

 यह कवि की नियति है यही उसकी तपस्या है ,वो रात भर जागकर अपनी नींद को हवन करके बेहतर शब्दों से भावनाएं रचता है,

बधाई पंकज भाई

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 8, 2018 at 9:36am

आदरणीय ब्रजेश जी बहुत बहुत आभार

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 8, 2018 at 9:34am

आदरणीय सुरेंद्र जी आपको हार्दिक आभार, मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत आभार

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 7, 2018 at 9:01pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय पंकज वाह बेहतरीन...

Comment by नाथ सोनांचली on February 7, 2018 at 7:47pm

आद0 पंकज जी सादर अभिवादन। इतनी शुद्ध हिंदी में ग़ज़ल मुझे आपकी ही मिलती है। अच्छे अच्छे खयाल लाये हैं आप। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 7, 2018 at 10:55am

आदरणीय अजय जी सादर आभार

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 7, 2018 at 10:55am

आदरणीय बसन्त जी बहुत बहुत आभार

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 7, 2018 at 10:54am

आदरणीय नरेंद्र जी सादर आभार

Comment by Ajay Kumar Sharma on February 6, 2018 at 10:58pm

वाह शानदार रचना...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
yesterday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service