For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घुटन – लघुकथा  -

घुटन – लघुकथा  -

"जुम्मन मियाँ, यह क्या हो गया हमारे शहर को। तिरंगा फ़हराने  को लेकर दंगा फ़साद और मोतें"?

"सुखराम जी, यह केवल हमारे शहर का मसला नहीं है। ऐसी खतरनाक़ हवायें तो सारे देश में चल रहीं हैं। कहीं झंडे को लेकर, कहीं गाय को लेकर और कहीं मंदिर के बहाने"।

"अरे मियाँ, आजकल तो बलात्कार की भी बाढ़ सी आगयी है। वह भी नाबालिग बच्चियों के साथ। पता नहीं, ईश्वर कहाँ सोया पड़ा है"?

"सुखराम भाई, सब कुछ ईश्वर के भरोसे थोड़े ही चलता है। हमारी सरकार और प्रशासन की भी तो कोई जिम्मेवारी है कि नहीं"?

"सबसे बड़ी समस्या तो यही है कि सरकार के काम काज पर उंगली उठाते ही आप उनके दुश्मन हो जाते हो। जिसका खामियाज़ा बिना कारण भुगतना पड़ता है"।

"अब आप ही बताओ इन हालात में कोई शरीफ़ इंसान कैसे शुक़ून से जिये"?

 "भैया, कितनी भी ज़हरीली हवायें चलें, कभी ना कभी तो थमेंगी ही।सब्र रखो और स्वच्छ हवा का इंतज़ार करो"।

"पर भाई जी, इन ज़हरीली हवाओं से जो जान माल का नुक़सान होगा, उसकी भरपाई कैसे होगी"?

“ सरकार ने कुछ घोषणा की तो हैं”|

“ उसमें भी तो बंदर बाँट होगी”|

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 721

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on February 4, 2018 at 10:13am

हार्दिक आभार आदरणीय सुरेंदर इंसान जी।

Comment by surender insan on February 3, 2018 at 2:12pm

सोचने पर मजबूर करती बहुत अच्छी रचना की आपने ।बहुत बहुत बधाई हो।

Comment by TEJ VEER SINGH on February 3, 2018 at 11:10am

हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 2, 2018 at 8:46pm

बहुत ही सही विषय उठाया है आदरणीय इस कथा के माध्यम से...सादर

Comment by TEJ VEER SINGH on February 2, 2018 at 7:42pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी।

Comment by vijay nikore on February 2, 2018 at 1:18pm

इस अच्छी सामयिक लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई, आ० आदरणीय तेजवीर सिंह जी

Comment by TEJ VEER SINGH on February 1, 2018 at 9:24am

हार्दिक आभार आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।

Comment by नाथ सोनांचली on February 1, 2018 at 3:59am

अच्छा व्यंग आद0 तेजवीर जी। इस सामयिक पुट के साथ लिखे गये लघुकथा पर मेरी बधाई स्वीकार करें।सादर

Comment by TEJ VEER SINGH on January 31, 2018 at 10:26pm

हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 31, 2018 at 8:21pm

मुहतरम जनाब तेजवीर साहिब ,संदेश देती बहुत ही ज़बरदस्त लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Jun 6
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service