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लघुकथा - प्यास  –

 लघुकथा - प्यास  –

फ़ौज़ी सौदान सिंह रात के गस्त पर था। उसकी पीने के पानी की बोतल खाली हो गयी। उसे प्यास लगी थी| इधर उधर नज़र दौड़ाई। यूनिट की चौकी बहुत दूर थी।

अचानक उसकी नज़र एक किसान पर पड़ी जो खेत में सिंचाई कर रहा था। सौदान सिंह को लगा कि उसके पास पानी अवश्य मिलेगा। अतः वह उसके पास चला आया,

"भाई जी, क्या आपके पास पीने का पानी मिलेगा"?

"वीर जी, तुम्हारी कौम क्या है"?

"भाई जी, आपके इस सवाल का पानी से क्या ताल्लुक़ है"?

" वीर जी, ताल्लुक़ है तभी तो पूछा है, वरना क्यों पूछता"?

"भाई जी,वैसे मैं राजपूत हूँ।पर आपके सवाल का मतलब अब भी नहीं समझा"।

"वीर जी, मैं आपको अपने मटके का पानी नहीं पिला सकता। मैं अछूत हूं।आपका धर्म खराब हो जायेगा"।

"कौनसी सदी में जी रहे हो भाई जी। आजकल कौन मानता है जाति पांति को"।

"वीर जी, आप पढ़े लिखे लोग हो, इसलिये इन बातों से कोसों दूर हो। लेकिन गाँव देहात में तो आज भी लोग हमारी परछाँई से भी बच कर निकलते हैं"।

"भाई जी, आप परछाँई की बात करते हो, मैं तो आपको गले लगाता हूं,  आप मुझे  पानी पिलाओ| देखता हूँ  मेरा धर्म कितना खराब होगा"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on January 31, 2018 at 10:27pm

हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 31, 2018 at 9:24pm

मुहतरम जनाब तेजवीर साहिब ,जितना अच्छा कथानक उतनी अच्छी पेशकश ,सुन्दर लघुकथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 29, 2018 at 2:41pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।

Comment by नाथ सोनांचली on January 29, 2018 at 5:19am

आद0 तेजवीर जी सादर अभिवादन। एक अच्छी लघुकथा, एक बुराई को खूबसूरती से सामने रख सोचने को मजबूर करती। बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर। सादर

Comment by TEJ VEER SINGH on January 28, 2018 at 10:22pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 28, 2018 at 10:21pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 28, 2018 at 9:15pm

चिर-परिचित कथानक और कथ्य की उम्दा बढ़िया पेशकश। हार्दिक बधाई आदरणीय तेज वीर सिंह जी।

Comment by vijay nikore on January 28, 2018 at 2:54pm

लघु कथा अच्छी लिखी है । हार्दिक बधाई, आ० तेज वीर सिहं जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 28, 2018 at 9:32am

हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी।यह सच है कि इस विषय पर बहुत कुछ लिखा जा चुका है। परंतु यह बुराई समाज में अभी भी व्याप्त है। इसलिये इस बारे में बार बार लिखा जायेगा।सादर।

Comment by Mohammed Arif on January 28, 2018 at 8:02am

आदरणीय तेजवीर सिंह जी आदाब,

                               छुआछूत की पृष्ठभूमि पर लिखी गई यह अच्छी लघुकथा है । लेकिन इस विषय पर हज़ारों लघुकथाएँ लिखीं जा चुकी है । कथानक में ताज़गी नहीं है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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