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जो शख्स मेरे चाँद सितारों की तरह है

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बुझते हुए से आज चराग़ों की तरह है ।

जो शख्स मेरे चाँद सितारों की तरह है ।।

करता है वही कत्ल मिरे दिल का सरेआम ।

मिलता मुझे जो आदमी अपनों की तरह है ।।

रह रह वो कई बार मुझे देखते हैं अब ।

अंदाज मुहब्बत के इशारों की तरह है ।।

कुछ रोज से चेहरे की तबस्सुम पे फिदा वो ।

किसने कहा वो आज भी गैरों की तरह है ।।

यूँ न बिखर जाए कहीं टूट के मुझसे ।

नाजुक सा मुकम्मल वो गुलाबों की तरह है ।।

लाती हैं हवाएं भी नई जान चमन में।

आना तेरा भी दर पे बहारों की तरह है ।।

भूला कहाँ हूँ आज तलक हुस्न का मंजर ।

यादों में कोई जुल्फ घटाओं की तरह है ।।

आये हैं मेरे घर पे तो किस्मत है ये मेरी ।

यह वक्त मेरे दिल की मुरादों की तरह है ।।

उलझा हुआ हूं मैं भी जमाने से अभी तक ।

बेचैनियों का दौर सवालों की तरह है ।।

रखता है सलामत वो मुझे हर बला से अब ।

कोई तो निगहबान दुआओं की तरह है ।।

--नवीन मणि त्रिपाठी मौलिक अप्रकाशित

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Comment by Naveen Mani Tripathi on January 17, 2018 at 6:11pm

आ0मु0 आरिफ़ साहब सादर आभार

Comment by Mohammed Arif on January 17, 2018 at 5:30pm

नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,

                      अच्छी ग़ज़ल । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

कृपया ध्यान दे...

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