For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तु देश का भविष्य है,
ऐ कैसा तेरा भेष है,
जिस कंधों पर होना चाहिए बस्ता,
उस कंधों पर कितना बोझ है !!

तु उन चारदीवारों से क्यों दूर है,
शिक्षा की मन्दिर से कहां गुम है,
जिस हाथ में होना चाहिए कलम,
उस हाथ को चाय बेचने का काम है !!

ज़िन्दगी का अध्ययन का पल तुमसे क्यों दूर है,
आखिर तू भी उसी अल्लाह का नूर है,
जिस आंखों में होना चाहिए ख्वाब,
उन आँखों में दर्द आंसूओं का सैलाब है !!

सरकार और परिवार चुप क्यों है,
ये बच्चे चिलचिलाते धूप में क्यों हैं,
सरकार और परिवार को इस पर करना चाहिए विचार,
इनको भी मिले जीवन जीने का अधिकार।

सुशील कुमार वर्मा

Views: 484

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on November 15, 2017 at 2:12pm
आद0 सुशील जी सादर अभिवादन, रचना का भाव पक्ष बेहतरीन है, कला पक्ष को भी देखिए, बहुत सुंदर कविता बनेगी। कुछ वर्तनीगत त्रुटियों को भी दूर करना है। इस प्रयास पर बधाई।
Comment by vijay nikore on November 14, 2017 at 7:12pm

अति सुन्दर रचना के लिए बधाई।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 13, 2017 at 6:13pm
आदरणीय सुनील जी आपकी भावनाओं का मैं कद्र करता हूँ कविता में आप जो कहना चाह रहे हैं वो झलक रही है ,शेष धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा ,कोई पेट से नही सीखता प्रयास करते रहें, सादर नमन
Comment by Samar kabeer on November 13, 2017 at 3:27pm
जनाब सुशील कुमार वर्मा जी आदाब,बहुत उम्दा कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sushil Kumar Verma on November 12, 2017 at 12:31pm
धन्यवाद
Comment by Mohammed Arif on November 12, 2017 at 12:16pm
आदरणीय सुशील कुमार जी आदाब,
ओबीओ मंच पर मैं पहली बार आपकी रचना से संवाद कर रहा हूँ । सबसे पहले आपका हार्दिक अभिनंदन है । स्कूली बच्चे को केंद्र में रखकर लिखीं गई बेहतरीन कविता है । बढ़ते बच्चे के स्कूली बैग से पालकगण भी चिंतित है मगर हमारे में ही दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली है । कुछ वर्तनीगत अशुद्धियाँ हैं जैसे-तु/तू,कहां/कहाँ,ख्वाब/ख़्वाब,कलम/क़लम,आखिर/आख़िर,आंसूओं/आँसुओं । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 12, 2017 at 12:14pm
बहुत बढ़िया प्रेरक व्यक्तित्व विचारोत्तेजक रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आपको आदरणीय सुशील कुमार वर्मा जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service