For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल...नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे-बृजेश कुमार 'ब्रज'

22 22 22 22
फिरते हैं बन वन बंजारे
नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे

जब भी होंट खुले तो पाया
नाम तुम्हारा साँझ सकारे

जाने वाले आ भी जा अब
तुझको मेरी आह पुकारे

दर्द जुदाई आहें आँसू
जीवन है या कोइ सजा रे

कितने अरसे बाद मिले हो
ओ मेघा मनमीत सखा रे
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 862

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 6, 2017 at 10:55pm
आदरणीय शुक्ला जी आपका बहुत बहुत आभार..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 6, 2017 at 10:54pm
उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन आदरणीय सुरेंद्र जी..सादर
Comment by Ravi Shukla on August 6, 2017 at 1:01pm

आदरणीय बृजेश जी अच्छी ग़ज़ल कही आपने दाद कुबूल करें आखरी शेर खासतौर पर पसंद आया

Comment by नाथ सोनांचली on August 4, 2017 at 4:49am
आद0 बृजेश कुमार ब्रज जी सादर अभिवादन, बहुत खूब
कितने अरसे बाद मिले हो
ओ मेघा मनमीत सखा रे

बढ़िया लगा, बधाई आद0
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 2, 2017 at 8:50am
आदरणीय लक्षमण धामी जी आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार..जी कुछ सुधार का प्रयास करता हूँ..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 2, 2017 at 8:49am
आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी हौसलाफजाई के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद...सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 2, 2017 at 8:48am
बहुत बहुत आभार आदरणीय शर्मा जी..सादर
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 1, 2017 at 11:36am

आ. भाई ब्रजेश् जी सुंदर गजल हूई है। हार्दिक बधाई ।  आ. भाई समर जी की बात भी उचित लग रही है। मुझे भी कुछ कुछ समझ नहीं आया ।

Comment by Gurpreet Singh jammu on August 1, 2017 at 10:38am

दर्द जुदाई आहें आँसू
जीवन है या कोइ सजा रे
वाह आदरनीय बृजेश जी,, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है

Comment by बसंत कुमार शर्मा on August 1, 2017 at 10:10am

वाह आनंद आ गया आदरणीय  बृजेश कुमार 'ब्रज' जी , वाह 

दर्द जुदाई आहें आँसू
जीवन है या कोइ सजा रे ..क्या बात है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
12 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service