For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- जुबाँ से वक्त तक मुकरा हुआ है

1222 1222 122
बहुत खामोश सा चेहरा हुआ है ।
वो अपने दर्द में उलझा हुआ है ।।

दिखा है आँख में हिलता समंदर ।
किसी के इश्क़ पर पहरा हुआ है ।।

जो गिनता है तुम्हारी धड़कनो को ।
कहा किसने ख़ुदा बहरा हुआ है ।।

मिली जब से नज़र बेहोश है वो ।
यकीनन जख़्म कुछ गहरा हुआ है ।।

तुम्हारे जश्न की चर्चा शहर में ।
सुना कुछ रात का सौदा हुआ है ।।

बड़ा अदना समझ रक्खा है मुझको।
तमाशा क्यूँ मेरे घर का हुआ है ।।

हुआ बदनाम तेरी बेरुखी से ।
गली में नाम फिर लिक्खा हुआ है ।।

न जाने किस मुहब्बत में फ़िदा है ।
बड़ी मुद्दत से वो ठहरा हुआ है ।।

रियासत बिक गई उसकी भी यारों ।
गली से जो कभी गुजरा हुआ है ।।

भरोसे की न तुम पूछो कहानी ।
जुबां से वक्त तक मुकरा हुआ है ।।

नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 398

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 21, 2016 at 2:15pm
आ0 मिथिलेश वामनकर साहब तहेदिल से शुक्रिया ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on December 21, 2016 at 2:14pm
भाई सुरेन्द्र नाथ सिंह जी सादर आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on December 21, 2016 at 2:13pm
आ0 आशुतोष भाई सादर आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 20, 2016 at 11:28pm

आदरणीय नवीन मनी त्रिपाठी जी, बढ़िया ग़ज़ल कही है. बधाई. सादर 

Comment by नाथ सोनांचली on December 20, 2016 at 2:51pm
नवीन मनी त्रिपाठी जी उम्दा गजल के लिए बधाई,
Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 17, 2016 at 12:01am
आदरणीय नवीन जी इस सूंदर ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Tuesday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service