For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-76

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 76 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह साक़ी फारुकी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

 
"सितारे ओढ़े हुए माहताब पहने हुए "

मुफाइलुन   फइलातुन    मुफाइलुन   फइलुन/फेलुन

1212      1122     1212     112

(बह्र: बह्र मुजतस मुसम्मन् मख्बून मक्सूर)
रदीफ़ :- पहने हुए
काफिया :- आब (माहताब, गुलाब, सराब, हिजाब आदि)
 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 28 अक्टूबर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक २९ अक्टूबर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 28 अक्टूबर दिन शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 11365

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरनीय , मुझे नही पता किस शब्द से आपको ऐसा लगा कि मै बुरा मान गया  , मै यक़ीन दिलाना चहता हूँ कि मै बुरा मानने वाल्लों मे से नही हूँ , सीखने वालों मे से हूँ , लेकिन केवल गलत कहने से कोई कैसे सीखेगा ? इतनी ज़िम्मेदारी तो बनती ही है गलत कहने वाले की कि वो क्यूँ गलत कह रहा है उसे समझा दे , ताकि सीकह्ने सिखाने की क्रिया पूर्ण हो सके , अभी तो बात अधूरी है , गलत आपने कहा और समझा शिज्जु भाई रहे हैं , और फिर इससे ऊपर की प्रतिक्रिया मे आपने कहा भी नही तहा कि शिज्जु भाई की बात सही है , मै मैसे मानूँ , बताइये आप ही । शिज्जु भाई जी ने जो बात अलग से कही थी कि शेर कमज़ोर है , वो तो मान ही चुका हूँ , इसी लिये तो अपने शे र को खारिज कर रहा हूँ ।

बुरा मानने वाली बात भूल जाइये , कम से कम मेरे लिये , और अगर कुछ बात समझा सकें तो ज़रूर समझाइये । 

मै भी तो ओबीओ की पैदाइश हूँ , गलती बताने से बुरा क्यूँ मानूँगा भाई जी , हाँ, प्रश्न करना मेरा भी अधिकार है । सो किया था ।

आ. गिरिराज जी समर साहब का इशारा किस तरफ़ था मुझे नहीं मालूम मैंने तो बस अपनी बात रखी है.
मैने अर्ज़ किया था कि 'लफ़्ज़'एक वचन है, और निकले बहुवचन के लिये है, इसलिए ग़लत है,अब रही तक़्ति की। बात तो उसे हम मात्रा गिराने की वजह से सही मान सकते हैं,फिर भी जैसा कि शिज्जु भाई ने कहा है,'पी के'की मात्रा गिराना भला नहीं लग रहा । उम्मीद है अब बात स्पष्ट हो गई होगी ।
मुहतरम जनाब समर साहब मैं आ. गिरिराज जी की बात से सहमत हूँ, ग़लत है मान लिया लेकिन सही क्या है हमें मालूम नहीं वो तो आप ही को बताना होगा,
'लफ़्ज़ निकले'यहां लफ़्ज़ एक वचन है और 'निकले'बहुवचन के लिए इस्तेमाल होता है,ये ग़लती है ।

//लफ़्ज़ निकले'यहां लफ़्ज़ एक वचन है और 'निकले'बहुवचन के लिए इस्तेमाल होता है,ये ग़लती है //  जी,

लेकिन मेरा प्रश्न इसपर नहीं है. बल्कि मुझे संशय है कि "ज़माने भर" में मात्रा गिराना क्यों ग़लत है

डॉ आजम सर की किताब आसान अरूज में भी मैंने पढ़ा था कुछ अल्फ़ाज़ जो अलिफ या बड़ी ई पर खत्म होते हैं जैसे- ज़िन्दगी, इनकी मात्रा नहीं गिराई जा सकती. लेकिन ऐसे अल्फ़ाज़ की मात्रा गिराने की कई मिसालें असातिज़ा के यहाँ भी मिलती हैं. मात्रा गिराने के नियम पर चर्चा की ज़रूरत फिर आन पड़ी है

शिज्जु भाई मैने ये कहाँ लिखा है कि ज़माने भर की मात्रा नहीं गिराई जा सकती ,मैने तो ये लिखा है कि बिना मात्रा गिराये इसकी तक़्ति 1222 होती है,आप बात को नाहक़ तूल दे रहे हैं भाई ।

जनाब बात को तूल देने वाली बात नहीं है जनाब मैने कभी ऐसा सोचा भी नहीं ओबीओ में जितनी जानकारी आपके पास है वो किसी के पास नहीं हमें कुछ जानना हो तो कहाँ जाएँ और मैंने डॉ आजम की किताब का भी हवाला दिया है जिसमें लिखा है बड़ी ई पर या फिर अलिफ पर खत्म होने वाले अल्फाज़ की मात्रा गिराना ठीक नहीं है, लेकिन क्यों यह उन्होंने भी बताया नहीं बताया उनके  कथन को मानक माना जाए तो पता नहीं मेरे कितने शेर खारिज हो जाएँ, इसी मुशायरे की ग़ज़ल में मैंने रौशनी की मात्रा गिराते हुए लिखा है. 

जनाब शिज्जु शकूर साहिब,मैने कभी किसी को कुछ बताने या सिखाने से मना नहीं किया,ये तो मेरा मिशन है, और आप भी इससे बख़ूबी वाक़िफ़ हैं,मुझे ग़लत फ़हमी हो गई,में समझा आप जनाब गिरिराज भाई के शैर पर बात कर रहे हैं ।ख़ैर,
मात्रा गिराने की इजाज़त जिन बहरों में है, वहां कहीँ भी इसका ज़िक्र नहीं आता कि बड़ी ई या अलिफ़ पर ख़त्म होने वाले अल्फ़ाज़ की मात्रा नहीं गिराई जा सकती,ज़रूर गिराई जा सकती है,डॉ आज़म साहिब ने अगर ये लिखा है तो मेरे नज़दीक ग़लत लिखा है,और अगर इसकी कोई माक़ूल वजह होती तो ज़रूर बताते,जबकि उन्होंने नहीं बताई,क्योंकि इसका कोई जवाज़ है ही नहीं,और जैसा कि आपने ख़ुद लिखा है कि उस्ताद शायरों के यहां इसकी कई मिसालें मिलती हैं,अगर डॉ आज़म की बात सही मान ली जाये(जबकि वो सही नहीं)तो उन उस्तादों पर हर्फ़ आएगा,इसलिए निसंकोच मात्रा गिरा सकते हैं ।
मेरी किसी बात से आपको दुःख हुआ हो तो में मुआफ़ी चाहता हूँ,उम्मीद है बात अब स्पष्ट हो गई होगी ।
मात्रा गिराने के बारे में एक जानकारी मंच से साझा करना चाहूंगा ,और वो ये की "का" शब्द किसी भी बह्र की ग़ज़ल में आये,आप उसकी मात्रा गिरा सकते हैं,चाहे उस बह्र में मात्रा गिराने की इजाज़त न हो,और ये छूट सिर्फ़ "का" शब्द के लिये मख़्सूस है ।
आपने यह कहा है कि का" शब्द किसी भी बह्र की ग़ज़ल में आये,आप उसकी मात्रा गिरा सकते हैं,चाहे उस बह्र में मात्रा गिराने की इजाज़त न हो। मैं यह जानना चाहता हूँ कि क्या कोई ऐसी बह्र भी है जिसमें कोई भी मात्रा गिराने की इजाज़त नहीं है ?

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"जय हो.. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय मिथिलेश जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार.…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"    प्रस्तुति की सराहना हेतु हृदय से आभार आदरणीय मिथिलेश जी. सादर "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service