For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल- जो नेक दिल हो जमाना उसे सताता है

बह्र 1212 1122 1212 112/22

जो नेक दिल हो ज़माना उसे सताता है
मुसीबतों से मगर वो न बौखलाता है।

जवान हार से भी जीत खींच लाता है
जो हार मान ले मातम वही मनाता है।।

तुम्हारे साथ में गुज़रा हरेक पल जानम
हयात में वही रस्ता मुझे दिखाता है।।

वफा के नाम पे करता दगा अगर कोई
जहाँ में खुद का ही वह कब्र खोद जाता है।।

करम खुदा का हमें क्यों समझ नहीं आता
कभी हमे वो रुलाता कभी हँसाता है।।

फरेब दिल में हमेशा भरा हुआ जिसके
सफ़ेद पोश बना राह वो दिखाता है ।।

खुदा है एक सहारा ज़माने वालों का
मगर हमें वो मुसीबत में याद आता है।।

जुबा पे फूल मगर खार दिल में है जिसके
सुना वो अम्न का झंडा बड़ा उठाता है।।

कभी अगर कोई मजबूरियो में फस जाये
जहाँ पे सर हो उठाना वहीँ झुकाता है।।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 528

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 18, 2016 at 10:57am
आदरणीय सुरेंद्र नाथ कुशक्षत्रप साहब सुन्दर रचना है । बधाई स्वीकार करें । सादर ।
Comment by नाथ सोनांचली on October 18, 2016 at 4:16am
जनाब समर कबीर साहब आपको प्रणाम! आपका सुझाव उत्तम है। यूँही आशीष देते रहें। हम जैसे के लिए संजीवनी है।
Comment by Samar kabeer on October 17, 2016 at 9:26pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है आपने,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
चौथे शैर में "क़ब्र" स्त्रीलिंग है इसलिये सानी मिसरे में 'ख़ुद का'की जगह "ख़ुद की" कर लें ।
आठवें शैर में 'जुबा' को ",ज़ुबाँ" कर लें ।
Comment by नाथ सोनांचली on October 17, 2016 at 2:25pm
आदरणीय रवि शुक्ल जी सादर प्रणाम, आपका ह्रदय से आभार सर
Comment by Ravi Shukla on October 17, 2016 at 1:44pm

आदरणीय सुरेन्‍द्र जी  बढि़या गजल हुई है बधाई स्‍वीकार करें आप इसी तरह गजल पर अभ्‍यास करते रहें आपसे बहुत उम्‍मीदें है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service