For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पुत्र प्राप्ति मन्त्र (लघु कथा 'राज ')

 “अरे..अरे रे रे ....  ये क्या कर रहे हो दिमाग तो खराब नहीं हो गया आप लोगों का... किराए दार  होकर बिना बताये मेरे ही घर में ये तोड़ फोड़ क्यूँ?” घर के मुख्य द्वार जिसपर उसके स्वर्गीय पति का नाम लिखा था मजदूरों द्वारा हथौड़े से तोड़ते हुए देखकर आपा खो बैठी सावित्री|

“अरे कोई कुछ बोलता क्यूँ नहीं बंद करो ये सब वरना अभी पुलिस को बुलाती हूँ”

“हाँ बुला लीजिये आंटी जी ताकि आज आपको भी पता लगे किरायेदार कौन है वो तो मेरे सास ससुर ने अब तक मेरा व् मेरे पति का मुँह बंद कर रखा था आज कल वो बाहर गए हैं तो हमे ये मौका मिला है घर को ठीक करवाने का|

और वो जो आपका प्यारा बेटा विदेश में बैठा हुआ है न तीन चार महीने से उसने इस  कमरे का किराया भी नहीं दिया जिसमे आप रह रही हैं|

 मेरे ससुर को आपके बेटे ने ये घर इस शर्त पर बेचा था कि एक कमरे में आप किराए पर रहेगीं किन्तु  आपसे ये बात गुप्त रखनी है जब तक आप जियेंगी क्यूंकि आपकी जिद थी कि आप कहीं नहीं जायेंगी आपकी अर्थी अपने इस घर से ही उठेगी|

भले ही मेरे ससुर आपके पति के दोस्त हैं किन्तु आप ही बताइये हम ये नुक्सान कब तक झेलें आंटी जी?” चारु बोली |

“हमे लगता था आप विश्वास नहीं करेंगी ये देखिये इस घर की रजिस्ट्री के कागज़” चारू का पति राहुल घर के कागज़ सावित्री के हाथों में देते हुए बोला |

एक सरसरी नज़र कागजों पर डालती हुई सावित्री विक्षिप्त सी हाथ जोड़कर आँखें बंद कर बार-बार ये मन्त्र दोहराती हुई भारी कदमो से कमरे की और बढ़ने लगी -

“प्रेम मगन कौसल्या निसि दिन जात न जान

सुत सनेह बस माता बाल चरित कर जान”

तभी राहुल ने प्रश्न भरी निगाहों से चारु की और देखते हुए इशारे में पूछा

“ये क्या बोल रही है आंटी ?” 

“पुत्रप्राप्ति के मन्त्र का जाप है ये तो राहुल मुझे भी पंडित जी ने एक दिन बताया था”  

.

मौलिक एवं अप्रकाशित

 

 

 

Views: 744

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 3, 2016 at 9:52pm

प्रिय राहिला जी ,माँ तो माँ होती है ये बात सच है बददुआए भी  देती है तो अपनी ही कोख को कोसती है इसमें जो वो मन्त्र पढ़ रही है वो उसके आक्रोश की ही बानगी है कि क्यूँ वो मन्त्र पढके ऐसे कपूत को जन्म दिया |

बहुत बहुत शुक्रिया आपका | 

Comment by Rahila on July 2, 2016 at 8:04pm
वाह आदरणीया दीदी!क्या खूब माँ की ममता को प्रस्तुत किया जो एक कपूत के लिये भी कम ना हुयी।बहुत बधाई इस रचना के लिये।सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 2, 2016 at 4:46pm

आद० नीता जी,आपको लघु कथा बहुत अच्छी लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ | इंसान ख़ुशी में भी भगवान को याद करता है परेशानी में भी  जब कोई किसी के द्वारा किया गया छल मन को उद्वेलित कर दे संज्ञा शून्य कर दे वो इंसान उस घड़ी को कोसता है कि जब वो इंसान उसकी जिन्दगी में आया था यहाँ तो एक माँ पुत्र द्वारा छली गई है तो वो अपनी कोख को इस तरह से कोस रही है उसी मन्त्र को बोल रही है जिसके द्वारा ऐसा कुपूत जन्मा था |  बहुत बहुत शुक्रिया आपका |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 2, 2016 at 4:41pm

आद० तेजवीर सिंह जी ,आपका दिल से बहुत बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 2, 2016 at 4:41pm

प्रिय प्रतिभा जी ,लघु कथा के मर्म की गहराइयों को छूकर दी गई आपकी प्रतिक्रिया के लिए शुक्रगुजार हूँ जब कोई किसी के द्वारा किया गया छल मन को उद्वेलित कर दे संज्ञा शून्य कर दे वो इंसान उस घड़ी को कोसता है कि जब वो इंसान उसकी जिन्दगी में आया था यहाँ तो एक माँ पुत्र द्वारा छली गई है तो वो अपनी कोख को इस तरह से कोस रही है उसी मन्त्र को बोल रही है जिसके द्वारा ऐसा कुपूत जन्मा था | बहुत  बहुत  आभार 

Comment by Nita Kasar on July 2, 2016 at 3:04pm
माँ तो माँ होती है,इतना बडा छलावा किया पुत्र ने,माँ को अंधेरे में रख कर। हकीकत सामने आने के बाद भी माँ पुत्र प्राप्ति मंत्र जाप कर रही है ।बधाई आपको कथा के लिये आद०राजेश कुमारी जी ।
Comment by TEJ VEER SINGH on July 1, 2016 at 7:43pm

 हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी!बहुत शानदार प्रस्तुति!

Comment by pratibha pande on July 1, 2016 at 7:27pm

 अंत में  माँ के मुख से जो आपने पुत्र प्राप्ति मन्त्र पढवाया है, पूरी रचना को  बहुत ऊंचाई दे गया है वो  और पंच लाइन 

//ये तो राहुल मुझे भी पंडित जी ने एक दिन बताया था”//   कितने सारे अर्थ समेटे है अपने आप में .  बहुत शानदार लघु कथा है ये , हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीया राजेश कुमारी जी 

.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 1, 2016 at 4:43pm

आद० सुशील सरना जी ,लघु कथा के प्रथम पाठक एवं  मर्म  का अनुमोदन करने के लिए आपका हार्दिक आभार |

Comment by Sushil Sarna on July 1, 2016 at 3:08pm

अादरणीया राजेश कुमारी जी मार्मिक लघु कथा की प्रस्तुति की लिए हार्दिक बधाई। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं हम कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२जब जिये हैं दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं हम कान देते आपके निर्देश हैं…See More
4 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service