२१२ २१२ २१२ २१२
दो घड़ी जब ठहरना नहीं आपको
तय ही है प्यार करना नहीं आपको
चाँद अम्बर पे भी चाँद छत पे भी है
कुछ भी हो है बहकना नहीं आपको
रात दिन हुस्न क्यूँ यूं संवरता फिरे
आँखों से कुछ समझना नहीं आपको
बात गुल बुलबुलों तोता मैना कि क्या
है कभी जब चहकना नहीं आपको
सूखती जूड़े में नित नयी गुल कली
खूब समझे बदलना नहीं आपको
कितना भी यूं घटाओं सा उमड़ो मगर
अब्र जैसे बरसना नहीं आपको
आँखें दहकें भले जिस्म चाहे जले
मोम सा पर पिघलना नहीं आपको
छोड़ कर जा रहा हूँ जहाँ , पर पता
ख्वाब में भी बिखरना नहीं आपको
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
भाई गुमनाम जी ..मेरी रचना आपको पसंद आयी मेरा लिखना सार्थक हुआ ..बस आप सब का स्नेह यूं ही मिलता रहे ..सादर धन्यवाद और नव बर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सादर
आदरणीय श्याम जी ..आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहित हूँ ..सादर आभार और नव बर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सादर
आदरणीय लक्ष्मण भाई जी ..रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभारी हूँ ..सादर धन्यवाद और नव बर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सादर
बहुत खूब है भाई जी वाह खूब ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बहुत सुन्दर ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई! |
रात दिन हुस्न क्यूँ यूं संवरता फिरे
आँखों से कुछ समझना नहीं आपको
बहुत खूब ....आ० आशुतोष भाई जी हार्दिक बधाई l
आदरणीय सुनील जी रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभारी हूँ सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online