तुम इसे तवज्जो न देना ....
ये बादे सबा अगर
तुम्हें मेरे दर्द का पैगाम दे जाये
तो अपने ज़हन में
करवटें लेते खुशनुमा अहसासों पर
तुम तवज्जो न देना
किसी तारीक शब को
अब्र से झांकता माहताब
पीला नज़र आये
तो तन्हाई से गुफ़्तगू करती
मेरी खामोशियों पर
तुम तवज्जो न देना
सड़क पर चलते
तुम्हारे पाँव के नीचे
कोई ज़र्द पत्ता चीखे
तो गर्द में डूबे
मेरी मुहब्बत के
बदलते मौसम पर
तुम तवज्जो न देना
हाँ इक गुजारिश है तुमसे
जब मैं जहां से रुख़्सत हो जाऊं
मेरी लहद पर
मुझसे मिलने ज़रूर आना
मेरे अधूरे अनमानों को
चराग़े मुहब्बत से
रोशन कर जाना
मेरे सफर का आगाज़ तुम थे
अब इसे एक खूबसूरत
अंजाम भी दे जाना
जिस्म न सही
रूह तो हर लम्हा तुम्हारे साथ रहेगी
बस मेरी आखिरी इल्तिज़ा है तुमसे
मैं नहीं हूँ
तुम इसे तवज्जो न देना
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीया मिथिलेश वामनकर जी रचना में निहित भावों पर आपकी ऊर्जावान प्रशंसा का दिल से शुक्रिया।
आदरणीय सुशील सरना सर बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति हुई है. हार्दिक बधाई
आदरणीया गिरिराज भंडारी जी रचना में निहित भावों पर आपकी आत्मग्राही प्रशंसा का दिल से शुक्रिया। आपने सही पहचाना टंकण त्रुटि से अरमानों के स्थान पर अनमानों हो गया ,इस और ध्यान आकर्षित करना का हार्दिक आभार। कृपया इसे अरमानों ही पढ़ें। आपके तहे दिल से शुक्रिया।
आदरणीया राजेश कुमारी जी रचना में निहित भावों पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से शुक्रिया।
आदरणीया प्रतिभा जी रचना के मनोभावों ने आपको प्रभावित किया मेरा प्रयास सफल हुआ। आपकी ऊर्जावान प्रशंसा का दिल से शुक्रिया। नेट व्याधान से आभार व्यक्त नहीं कर पाया , क्षमा चाहूंगा।
आदरनीय सुशील सरना जी , बहुत भाव पूर्ण हृदय ग्राही लगी आपकी रचना ! दिल से बधाइयाँ ।
मेरे अधूरे अनमानों को -- शायद आप अरमानों कहना चाहते हैं ?
वाह वाह..... आ० सुशील सरना जी,उर्दू के बेहतरीन शब्दों को भावों के साथ बखूबी गूँथा गया दिल छू गई ये प्रस्तुति बहुत खूब दिल से बधाई स्वीकारें |
'तुम इसे तवज्जो न देना 'सारी रचना प्रतिबिम्ब है इस एक गहरी पंक्ति का ,खूबसूरत बनी है पूरी रचना ,आपको ढेरों बधाई आदरणीय सुशीलजी
आदरणीय डॉ.कंवर करतार 'खन्देह्ड़वी' जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार।
'सरना' साहिब ,खूबसूरत कविता के लिए बहुत बहुत बधाई I
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